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राजेंद्र राठौड़ ने लिखा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखा पत्र, की ये मांग... - राजेंद्र राठौड़ ने लिखा सीएम गहलोत को पत्र

कोरोना संक्रमण की तीसरी लहत के बीच एक बार फिर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़(Rajendra Singh Rathore) ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Government of Rajasthan) को पत्र लिखा है. राज्य के 10 जिलों में करीब 2 करोड़ की आबादी के स्वास्थ्य के साथ हो रहे खिलवाड़ और पेयजल समस्या को उजागर करते हुए तत्काल रूप से पंजाब सरकार के साथ आपातकालीन बैठक बुलाकर शीघ्रातिशीघ्र निवारण किए जाने की मांग की है.

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राजेंद्र राठौड़ ने लिखा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखा पत्र
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Published : Jun 8, 2021, 10:15 PM IST

Updated : Jun 8, 2021, 10:41 PM IST

जयपुर. कोरोना संक्रमण के बीच एक बार फिर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. पत्र के जरिए राठौड़ ने पंजाब स्थित हरिके बैराज से राजस्थान की आईजीएनपी और गंगनहर में जहरीला और केमिकल युक्त पानी को छोड़ने से राज्य के 10 जिलों में करीब 2 करोड़ की आबादी के स्वास्थ्य के साथ हो रहे खिलवाड़ और पेयजल समस्या को उजागर करते हुए तत्काल रूप से पंजाब सरकार के साथ आपातकालीन बैठक बुलाकर शीघ्रातिशीघ्र निवारण किये जाने की मांग की है.

राजेंद्र राठौड़ ने लिखा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखा पत्र

राठौड़ ने एक बयान जारी कर कहा कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना (आइजीएनपी) और गंगनहर में पंजाब की ओर से पिछले लंबे समय से दूषित और केमिकल युक्त पानी छोड़े जाने से निर्वाचन जिला चूरू सहित राजस्थान के 2 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले 10 जिलों में लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. पेयजल संकट की विकराल स्थिति उत्पन्न हो रही है. पत्र में कहा कि एक ओर राजस्थान में कोरोना महामारी का संकट धीरे-धीरे कम हो रहा है.

दूसरी ओर अब नहरों में जहरीले पानी से उत्पन्न जल प्रदूषण का प्रदेशवासियों के लिए प्राणघातक साबित होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है. पंजाब में जालंधर, लुधियाना और फगवाड़ा सहित विभिन्न जिलों में स्थित सैकड़ों फैक्ट्रियों से निकला गंदा और केमिकल युक्त जहरीला हजारों क्यूसेक पानी हरिके बैराज से राजस्थान की इंदिरा गांधी नहर और गंगनहर में लगातार छोड़ा जा रहा है. जिसे राजस्थान के चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, झुंझुनूं और सीकर सहित अन्य जिलों में रहने वाली करीब 2 करोड़ से ज्यादा की आबादी यहां से मिलने वाले पानी को सरकार की ओर से बनाई गई आपणी योजना सहित विभिन्न पेयजल योजनाओं के लिए उपयोग में लेती है.

पढ़ें: प्यास से मासूम की मौत मामले में BJP ने गहलोत सरकार को घेरा, कहा-(अ)शोक जी जनता माफ नहीं करेगी

राठौड़ ने कहा कि हाल ही में इसी पखवाड़े से पंजाब स्थित हरिके बैराज से राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर परियोजना और गंगनहर में केमिकल युक्त पानी छोड़ा जा गया है, जो 7 जून को हनुमानगढ़ में प्रवेश करते हुए देर शाम तक पीलीबंगा और देर रात तक सूरतगढ़ पहुंच गया. 8 जून को यह जहरीला पानी अनूपगढ़, घड़साना होते हुए आगे बीकानेर और अन्य जिलों में प्रवेश कर रहा है. साथ ही 10-11 जून तक लगभग सभी 10 जिलों में विभिन्न पेयजल योजना के लिए यह पानी वितरित किया जाना प्रारम्भ हो जाएगा. राठौड़ ने कहा कि पंजाब की फैक्ट्रियों से निकले अपशिष्ट पदार्थों से युक्त पानी में लेड, एल्यूमीनियम एल्माइजर, नाइट्रेट, आरसेनिक और यूरेनियम जैसे खतरनाक रसायन होते हैं. जिसके इस्तेमाल से व्यक्ति में कैंसर, अल्माइजर, हार्ट अटैक, पेट की गंभीर बीमारियां, आंखों की समस्या और किडनी फेल होने जैसी खतरनाक बीमारियां भी हो सकती है.

राठौड़ ने कहा कि यह पहला अवसर नहीं है जब पड़ोसी राज्य पंजाब से जहरीले पानी की आवक होने से राजस्थान के निवासियों को प्राणघातक संकट का सामना करना पड़ रहा है. इसका प्रमुख कारण राजस्थान और पंजाब की सरकारों के मध्य आपसी तालमेल और समन्वय की कमी है. जिसका खामियाजा हर बार की तरह इस बार भी प्रदेशवासियों को केमिकल युक्त जहरीले दूषित पानी को मजबूरी में उपयोग करने के रूप में भुगतना पड़ रहा है. राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में निवास करने वाले बड़ी संख्या में किसानों और आमजन पंजाब की ओर से नहरों में छोड़े जा रहे दूषित पेयजल के खिलाफ कई बार आंदोलन कर चुके हैं. इस संबंध में एनजीटी में याचिका भी दायर की गई थी. जिसके पश्चात् पंजाब सरकार पर 50 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था. राजस्थान की नहरों में पंजाब की ओर से छोड़े जा रहे जहरीले पानी की हालत यह है कि नहर में काला पानी और गंदगी साफ देखी जा सकती है. राज्य के जल संसाधन विभाग के अधिकारी इस संबंध में पंजाब सरकार के अधिकारियों के साथ वार्तालाप करने की बजाय सिर्फ हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.

जयपुर. कोरोना संक्रमण के बीच एक बार फिर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. पत्र के जरिए राठौड़ ने पंजाब स्थित हरिके बैराज से राजस्थान की आईजीएनपी और गंगनहर में जहरीला और केमिकल युक्त पानी को छोड़ने से राज्य के 10 जिलों में करीब 2 करोड़ की आबादी के स्वास्थ्य के साथ हो रहे खिलवाड़ और पेयजल समस्या को उजागर करते हुए तत्काल रूप से पंजाब सरकार के साथ आपातकालीन बैठक बुलाकर शीघ्रातिशीघ्र निवारण किये जाने की मांग की है.

राजेंद्र राठौड़ ने लिखा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखा पत्र

राठौड़ ने एक बयान जारी कर कहा कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना (आइजीएनपी) और गंगनहर में पंजाब की ओर से पिछले लंबे समय से दूषित और केमिकल युक्त पानी छोड़े जाने से निर्वाचन जिला चूरू सहित राजस्थान के 2 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले 10 जिलों में लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. पेयजल संकट की विकराल स्थिति उत्पन्न हो रही है. पत्र में कहा कि एक ओर राजस्थान में कोरोना महामारी का संकट धीरे-धीरे कम हो रहा है.

दूसरी ओर अब नहरों में जहरीले पानी से उत्पन्न जल प्रदूषण का प्रदेशवासियों के लिए प्राणघातक साबित होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है. पंजाब में जालंधर, लुधियाना और फगवाड़ा सहित विभिन्न जिलों में स्थित सैकड़ों फैक्ट्रियों से निकला गंदा और केमिकल युक्त जहरीला हजारों क्यूसेक पानी हरिके बैराज से राजस्थान की इंदिरा गांधी नहर और गंगनहर में लगातार छोड़ा जा रहा है. जिसे राजस्थान के चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, झुंझुनूं और सीकर सहित अन्य जिलों में रहने वाली करीब 2 करोड़ से ज्यादा की आबादी यहां से मिलने वाले पानी को सरकार की ओर से बनाई गई आपणी योजना सहित विभिन्न पेयजल योजनाओं के लिए उपयोग में लेती है.

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राठौड़ ने कहा कि हाल ही में इसी पखवाड़े से पंजाब स्थित हरिके बैराज से राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर परियोजना और गंगनहर में केमिकल युक्त पानी छोड़ा जा गया है, जो 7 जून को हनुमानगढ़ में प्रवेश करते हुए देर शाम तक पीलीबंगा और देर रात तक सूरतगढ़ पहुंच गया. 8 जून को यह जहरीला पानी अनूपगढ़, घड़साना होते हुए आगे बीकानेर और अन्य जिलों में प्रवेश कर रहा है. साथ ही 10-11 जून तक लगभग सभी 10 जिलों में विभिन्न पेयजल योजना के लिए यह पानी वितरित किया जाना प्रारम्भ हो जाएगा. राठौड़ ने कहा कि पंजाब की फैक्ट्रियों से निकले अपशिष्ट पदार्थों से युक्त पानी में लेड, एल्यूमीनियम एल्माइजर, नाइट्रेट, आरसेनिक और यूरेनियम जैसे खतरनाक रसायन होते हैं. जिसके इस्तेमाल से व्यक्ति में कैंसर, अल्माइजर, हार्ट अटैक, पेट की गंभीर बीमारियां, आंखों की समस्या और किडनी फेल होने जैसी खतरनाक बीमारियां भी हो सकती है.

राठौड़ ने कहा कि यह पहला अवसर नहीं है जब पड़ोसी राज्य पंजाब से जहरीले पानी की आवक होने से राजस्थान के निवासियों को प्राणघातक संकट का सामना करना पड़ रहा है. इसका प्रमुख कारण राजस्थान और पंजाब की सरकारों के मध्य आपसी तालमेल और समन्वय की कमी है. जिसका खामियाजा हर बार की तरह इस बार भी प्रदेशवासियों को केमिकल युक्त जहरीले दूषित पानी को मजबूरी में उपयोग करने के रूप में भुगतना पड़ रहा है. राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में निवास करने वाले बड़ी संख्या में किसानों और आमजन पंजाब की ओर से नहरों में छोड़े जा रहे दूषित पेयजल के खिलाफ कई बार आंदोलन कर चुके हैं. इस संबंध में एनजीटी में याचिका भी दायर की गई थी. जिसके पश्चात् पंजाब सरकार पर 50 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था. राजस्थान की नहरों में पंजाब की ओर से छोड़े जा रहे जहरीले पानी की हालत यह है कि नहर में काला पानी और गंदगी साफ देखी जा सकती है. राज्य के जल संसाधन विभाग के अधिकारी इस संबंध में पंजाब सरकार के अधिकारियों के साथ वार्तालाप करने की बजाय सिर्फ हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.

Last Updated : Jun 8, 2021, 10:41 PM IST
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