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न्यूकोनियोसिस पॉलिसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा राजस्थान, केबिनेट सर्कुलेशन में अनुमोदन प्रस्तुत - न्यूकोनियोसिस पॉलिसी

राज्य सरकार राष्ट्रपिता महत्मा गांधी की 150 वी जयंती के ठीक एक दिन बाद यानि 3 अक्टूबर को प्रदेश में न्यूकोनियोसिस पॉलिसी राजस्थान 2019 लागू करने जा रही है , इसके लिए शुक्रवार देर रात केबिनेट सर्कुलेशन के जरिये सिलिकोसिस निति को अनुमोदन कर दिया.

Newconiosis Policy Rajasthan 2019, न्यूकोनियोसिस पॉलिसी राजस्थान 2019
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Published : Sep 21, 2019, 11:10 PM IST

जयपुर. बीओसीडब्ल्यू सहित खनन श्रमिकों के कल्याण के लिए सिलिकोसिस नीति लागू करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बनने जा रहा है. इस नीति से प्रदेश के 20 से 22 हजार रोगियों सिलिकोसिस ग्रस्त मजदूरों और उनके परिवार वालों को लाभ मिलेगा.

जानकार सूत्रों की माने तो इस निति में सिलिकोसिस ग्रस्त को 5 लाख की सहायता राशि के अलावा 4 हजार रुपए प्रतिमाह की पेंशन सहित अन्य परिलाभों का प्रावधान किया है. यह सहायता मौजूदा परिलाभों से कई गुणा ज्यादा होगी. इस पॉलिसी से प्रदेश के करब 17 जिलों में पत्थर तोड़ने और घिसने का काम कर सर्टिफाई सिलिकोसिस रोगी लाभांवित होंगे.

3 अक्टूबर को न्यूकोनियोसिस पॉलिसी होगी लागू, ऐसा करने वाला राजस्थान पहला राज्य

सिलिकोसी मौत का दूसरा नाम!
राजस्थान खनिज पदार्थों से भरपूर राज्य है. प्रदेश के 17 जिलों में करीब 10 लाख लोग खनन के काम से जुड़े हैं. अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों के कारण श्रमिक सिलिकोसिस जैसी असाध्य बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं. इस असाध्य रोग का कोई इलाज नहीं है. पत्थर तोड़ते और घिसाई करते वक्त सिलिका नाम की धूल शरीर में अंदर प्रवेश कर जाती है, जो धीरे-धीरे सिलिकोसिस नाम की बीमारी बन जाती है.

पढ़ेंः राजस्थान में उपचुनाव की घोषणा, खींवसर 15 साल तो मंडावा 10 साल से कांग्रेस की पहुंच से दूर

सामाजिक संगठनों के अथक प्रयास के बाद श्रमिकों के स्वास्थ्य व कल्याण हित में राज्य सरकार ने यह नई नीति बनाई है. इसमें सिलिकोसिस रोकथाम, पुनर्वास, नियंत्रण के उपाय आदि पर फोकस किया है. सिलिकोसिस पोर्टल के अनुसार राज्य में न्यूकोनियोसिस बोर्ड से 22 हजार प्रमाणित रोगी हैं. इसमें करौली जिले में औसतन 4208 जीवित एवं 576 मृतक रोगियों का आंकड़ा है.

हरियाणा व मध्यप्रदेश में भी है पॉलिसी, लेकिन...

हरियाणा व मध्यप्रदेश भी पूर्व में सिलिकोसिस पॉलिसी जारी कर चुके हैं, मगर वह सिर्फ भवन संनिर्माण श्रमिकों के लिए है. जबकि राजस्थान की पॉलिसी बीओसीडब्ल्यू सहित खनन श्रमिकों के लिए भी है, जो देशभर में सबसे अलग और पहली है. सामजिक कार्यकर्ता निखिल डे बताते है कि इस पॉलिसी का ध्येय सिलिकोसिस नियंत्रण, पूर्ण रोकथाम, व्यवसायिक स्वास्थ्य, सहायता व पुनर्वास करना है.

उन्होंने बताया कि डस्ट वाले रोगों में न्यूमोकॉनियोसिस, कॉल वर्कर्स, न्यूमोनिया, एस्बेस्टोसिस, बेरिटोसिस, सिड्रोसिस, स्टेनोसिस आदि हैं. इस न्यूकोनियोसिस नीति में योग्यता के लिए राज्य का कोई भी मजदूर या व्यक्ति प्रमाणित न्यूकोनियोसिस हो. प्रमाणित रोगियों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है.

पढ़ेंः मुख्यमंत्री कह रहे हैं सभी विधायक निस्वार्थ भाव से आए हैं...लेकिन हम तभी मानेंगे जब विधायकों को स्वार्थ का पद नहीं मिलेगा: कटारिया

पूर्व में लाभान्वितों को भी मिलेगा ये लाभ, पेंशन की भी व्यवस्था

जानकारी के अनुसार पहले जिन सिलिकोसिस रोगियों को 1 लाख की राशि मिल गई है, उनको अब 3 लाख और मिलेंगे. वहीं जो मृतक हैं, उनके आश्रितों में पत्नी को 3500 रुपए प्रतिमाह फैमिली पेंशन मिलेगी. पीड़ितों की सुनवाई और समस्या समाधान व शिकायत के लिए जिला स्तर पर लीगल सेल बनेगी. बजट, जांच व बोर्ड आदि को लेकर मुख्य सचिव हर तीन माह में रिव्यू करेंगे.

इन जिलों में सिलिकोसिस के रोगी -
भीलवाड़ा, करोली, सिरोही, अजमेर, जोधपुर, दौसा, धौलपुर, भरतपुर , उदयपुर, नागौर, बूंदी, चितौड़गढ़, राजसमंद, जयपुर, टोंक, कोटा ओर बीकानेर. ये वो 17 जिले हैं जिनमें माईंस के काम के चलते सिलिकोसिस मजदूर ज्यादा हैं.

बजट भाषण में भी किया था नीति का उल्लेख
10 जुलाई को बजट भाषण में मुख्यमंत्री ने बिंदु संख्या 112 पर नई सिलिकोसिस नीति बनाने का उल्लेख किया है. जिसमें श्रमिकों के स्वास्थ्य हितों एवं सुरक्षा को दृष्टिगत रखकर खान मालिकों को उचित प्रबंधन के लिए पाबंद करने की प्रतिबद्धता भी है. इसके लिए जरूरत पड़ने पर सरकार नया कानून भी ला सकती है.

जयपुर. बीओसीडब्ल्यू सहित खनन श्रमिकों के कल्याण के लिए सिलिकोसिस नीति लागू करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बनने जा रहा है. इस नीति से प्रदेश के 20 से 22 हजार रोगियों सिलिकोसिस ग्रस्त मजदूरों और उनके परिवार वालों को लाभ मिलेगा.

जानकार सूत्रों की माने तो इस निति में सिलिकोसिस ग्रस्त को 5 लाख की सहायता राशि के अलावा 4 हजार रुपए प्रतिमाह की पेंशन सहित अन्य परिलाभों का प्रावधान किया है. यह सहायता मौजूदा परिलाभों से कई गुणा ज्यादा होगी. इस पॉलिसी से प्रदेश के करब 17 जिलों में पत्थर तोड़ने और घिसने का काम कर सर्टिफाई सिलिकोसिस रोगी लाभांवित होंगे.

3 अक्टूबर को न्यूकोनियोसिस पॉलिसी होगी लागू, ऐसा करने वाला राजस्थान पहला राज्य

सिलिकोसी मौत का दूसरा नाम!
राजस्थान खनिज पदार्थों से भरपूर राज्य है. प्रदेश के 17 जिलों में करीब 10 लाख लोग खनन के काम से जुड़े हैं. अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों के कारण श्रमिक सिलिकोसिस जैसी असाध्य बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं. इस असाध्य रोग का कोई इलाज नहीं है. पत्थर तोड़ते और घिसाई करते वक्त सिलिका नाम की धूल शरीर में अंदर प्रवेश कर जाती है, जो धीरे-धीरे सिलिकोसिस नाम की बीमारी बन जाती है.

पढ़ेंः राजस्थान में उपचुनाव की घोषणा, खींवसर 15 साल तो मंडावा 10 साल से कांग्रेस की पहुंच से दूर

सामाजिक संगठनों के अथक प्रयास के बाद श्रमिकों के स्वास्थ्य व कल्याण हित में राज्य सरकार ने यह नई नीति बनाई है. इसमें सिलिकोसिस रोकथाम, पुनर्वास, नियंत्रण के उपाय आदि पर फोकस किया है. सिलिकोसिस पोर्टल के अनुसार राज्य में न्यूकोनियोसिस बोर्ड से 22 हजार प्रमाणित रोगी हैं. इसमें करौली जिले में औसतन 4208 जीवित एवं 576 मृतक रोगियों का आंकड़ा है.

हरियाणा व मध्यप्रदेश में भी है पॉलिसी, लेकिन...

हरियाणा व मध्यप्रदेश भी पूर्व में सिलिकोसिस पॉलिसी जारी कर चुके हैं, मगर वह सिर्फ भवन संनिर्माण श्रमिकों के लिए है. जबकि राजस्थान की पॉलिसी बीओसीडब्ल्यू सहित खनन श्रमिकों के लिए भी है, जो देशभर में सबसे अलग और पहली है. सामजिक कार्यकर्ता निखिल डे बताते है कि इस पॉलिसी का ध्येय सिलिकोसिस नियंत्रण, पूर्ण रोकथाम, व्यवसायिक स्वास्थ्य, सहायता व पुनर्वास करना है.

उन्होंने बताया कि डस्ट वाले रोगों में न्यूमोकॉनियोसिस, कॉल वर्कर्स, न्यूमोनिया, एस्बेस्टोसिस, बेरिटोसिस, सिड्रोसिस, स्टेनोसिस आदि हैं. इस न्यूकोनियोसिस नीति में योग्यता के लिए राज्य का कोई भी मजदूर या व्यक्ति प्रमाणित न्यूकोनियोसिस हो. प्रमाणित रोगियों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है.

पढ़ेंः मुख्यमंत्री कह रहे हैं सभी विधायक निस्वार्थ भाव से आए हैं...लेकिन हम तभी मानेंगे जब विधायकों को स्वार्थ का पद नहीं मिलेगा: कटारिया

पूर्व में लाभान्वितों को भी मिलेगा ये लाभ, पेंशन की भी व्यवस्था

जानकारी के अनुसार पहले जिन सिलिकोसिस रोगियों को 1 लाख की राशि मिल गई है, उनको अब 3 लाख और मिलेंगे. वहीं जो मृतक हैं, उनके आश्रितों में पत्नी को 3500 रुपए प्रतिमाह फैमिली पेंशन मिलेगी. पीड़ितों की सुनवाई और समस्या समाधान व शिकायत के लिए जिला स्तर पर लीगल सेल बनेगी. बजट, जांच व बोर्ड आदि को लेकर मुख्य सचिव हर तीन माह में रिव्यू करेंगे.

इन जिलों में सिलिकोसिस के रोगी -
भीलवाड़ा, करोली, सिरोही, अजमेर, जोधपुर, दौसा, धौलपुर, भरतपुर , उदयपुर, नागौर, बूंदी, चितौड़गढ़, राजसमंद, जयपुर, टोंक, कोटा ओर बीकानेर. ये वो 17 जिले हैं जिनमें माईंस के काम के चलते सिलिकोसिस मजदूर ज्यादा हैं.

बजट भाषण में भी किया था नीति का उल्लेख
10 जुलाई को बजट भाषण में मुख्यमंत्री ने बिंदु संख्या 112 पर नई सिलिकोसिस नीति बनाने का उल्लेख किया है. जिसमें श्रमिकों के स्वास्थ्य हितों एवं सुरक्षा को दृष्टिगत रखकर खान मालिकों को उचित प्रबंधन के लिए पाबंद करने की प्रतिबद्धता भी है. इसके लिए जरूरत पड़ने पर सरकार नया कानून भी ला सकती है.

Intro:सिलिकोसिस मौत का दूसरा नाम !
सिलिकोसिस पॉलिसी को केबिनेट सर्कुलेशन से अनुमोदन , 3 अक्टूबर को न्यूकोनियोसिस पॉलिसी लागू करने वाला राजस्थान पहला राज्य  

एंकर :- राज्य सरकार राष्ट्रपिता महत्मा गाँधी की 150 वी जयंती के ठीक एक दिन बाद यानि 3 अक्टूबर को प्रदेश में न्यूकोनियोसिस पॉलिसी राजस्थान-2019 लागू करने जा रही है , इसके लिए शुक्रवार देर रात केबिनेट सर्कुलेशन के जरिये सिलिकोसिस निति को अनुमोदन कर दिया , बीओसीडब्ल्यू सहित खनन श्रमिकों के कल्याण के लिए सिलिकोसिस नीति लागू करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। इस नीति से प्रदेश के 20 से 22 हजार रोगियों सिलिकोसिस ग्रस्त मजदूरों और उनके परिवार वालों को लाभ मिलेगा , जानकार सूत्रों की माने तो इस निति में सिलिकोसिस ग्रस्त को 5 लाख की सहायता राशि के अलावा 4 हजार रुपए प्रतिमाह की पेंशन सहित अन्य परिलाभों का प्रावधान किया है, यह सहायता मौजूदा परिलाभों से कई गुणा ज्यादा होगी, इस पॉलिसी से प्रदेश के करब 17 जिलों में पत्थर तोड़ने और घिसने का काम कर सर्टिफाई सिलिकोसिस रोगी लाभांवित होंगे।

VO :- सिलिकोसी मौत का दूसरा नाम , जिस भी मजदूर को सालिकोसिस ने अपनी गिरफ्त में लिया मानों उसकी मौत तय है , राजस्थान खनिजों से भरपूर राज्य है , 17 जिलों करीब 10 लाख लोग माईनस में काम करते है , अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों के कारण श्रमिक सिलिकोसिस जैसी असाध्य बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं , सिलिकोसिस रोग होने का मतलब जीवन का आखरी पड़ाव , इस असाध्य रोग का कोई इलाज नहीं है , दरअसल पत्थर तोड़ते और घिसाई करते वक्त सिलिस नाम की धूल शरीर में घुस जाती है जो निकल नहीं सकती , जिस भी मजदूर ये रोग लगा तो उसकी मौत निश्चित है ,  सामाजिक संगठनों के अथक प्रयास के बाद श्रमिकों के स्वास्थ्य व कल्याण हित में राज्य सरकार ने यह नई नीति बनाई है , इसमें सिलिकोसिस रोकथाम, पुनर्वास, नियंत्रण के उपाय आदि पर फोकस किया है ,  राज्य में सिलिकोसिस पोर्टल के अनुसार न्यूकोनियोसिस बोर्ड से 22  हजार प्रमाणित रोगी हैं , इसमें करौली जिले में औसतन 4208 जीवित एवं 576 मृतक रोगियों का आंकड़ा है। हरियाणा व मध्यप्रदेश भी पूर्व में सिलिकोसिस पॉलिसी जारी कर चुके हैं, मगर वह सिर्फ भवन संनिर्माण श्रमिकों के लिए है,जबकि राजस्थान की पॉलिसी बीओसीडब्ल्यू सहित खनन श्रमिकों के लिए भी है,जो देशभर में सबसे अलग और पहली है , सामजिक कार्यकर्ता निखिल डे बताते है कि इस पॉलिसी का ध्येय सिलिकोसिस नियंत्रण, पूर्ण रोकथाम, व्यवसायिक स्वास्थ्य, सहायता व पुनर्वास करना है , धूल जन्य बीमारियों के खतरों को कम करना तथा न्यूकोनियोसिस से होने वाली मौतों पर रोकथाम लगाना है , डस्ट वाले रोगों में न्यूमोकॉनियोसिस, कॉल वर्कर्स, न्यूमोनिया, एस्बेस्टोसिस, बेरिटोसिस, सिड्रोसिस, स्टेनोसिस आदि हैं , इस न्यूकोनियोसिस नीति में योग्यता के लिए राज्य का कोई भी मजदूर या व्यक्ति प्रमाणित न्यूकोनियोसिस हो , इस पॉलिसी के क्रियान्वयन में राज्य के श्रम,स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, सूचना प्रोद्यौगिकी, माइन्स आदि विभागों की भूमिका रहेगी , प्रमाणित रोगियों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है , जानकारी  के अनुसार पहले जिन सिलिकोसिस रोगियों को 1 लाख की राशि मिल गई है,उनको अब 3 लाख और मिलेंगे ,  वहीं जो मृतक हैं,उसके आश्रित पत्नी को 3500 रुपए प्रतिमाह फैमिली पेंशन मिलेगी , पीडि़तों की सुनवाई  और  समस्या समाधान व शिकायत के लिए जिला स्तर पर लीगल सेल बनेगी , बजट,जांच व बोर्ड आदि को लेकर मुख्य सचिव हर तीन माह में रिव्यू करेंगे।


इन जिलों में सिलिकोसिस के रोगी - 
भीलवाड़ा , करोली , सिरोही , अजमेर , जोधपुर , दौसा , धौलपुर , भरतपुर , उदयपुर , नागौर  , बूंदी , चितौड़ , राजसमंद, जयपुर,टोंक, कोटा ओर बीकानेर
ये वो 17 जिलों जिनमेें माईनस के काम के चलते सिलिकोसिस मजदूर ज्यादा है ,


बजट भाषण में भी किया था नीति का उल्लेख

10 जुलाई को बजट भाषण में मुख्यमंत्री ने बिंदु संख्या 112 पर नई सिलिकोसिस नीति बनाने का उल्लेख किया है। जिसमें श्रमिकों के स्वास्थ्य हितों एवं सुरक्षा को दृष्टिगत रखकर खान मालिकों को उचित प्रबंधन के लिए पाबंद करने की प्रतिबद्धता भी है। इसके लिए जरूरत पड़ने पर सरकार नया कानून भी ला सकती है।  इसको लेकर मुख्य सचिव डी.बी.गुप्ता की अध्यक्षता में कई बार सचिवालय में अधिकारी और सामाजिक संगठनों बैठकों का दौर चला था , 

बाइट:- निखिल डे - सामाजिक कार्यकर्ताBody:VoConclusion:Vo
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