जयपुर: सूचना के अधिकार (Right To Information) की गत क्या है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जानकारी तो दूर अफसर सूचना आयोग की ओर से लगाए गए जुर्माने की राशि को भी जमा नहीं करा रहे. आलम यह है कि प्रदेश में अलग अलग विभागों के कर्मचारी और अधिकारियों पर 1 हजार 848 मामले में 2 करोड़ से ज्यादा की जुर्माना राशि बकाया है. इनमे से कई अधिकारी तो रिटायर्ड ही हो गए हैं.
ये भी पढ़ें- रीट पेपर लीक : मामले का खुलासा करने के लिए 7 दिन का अल्टीमेटम, 14 अक्टूबर से आमरण अनशन का एलान
लागू करने में नम्बर वन, पालना में फिसड्डी
मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने पिछले दिनों सूचना के अधिकार (Right To Information) के तहत दी जाने वाली जानकारी और कानून की समीक्षा बैठक ली. बैठक में सामने आया कि राइट टू इन्फॉर्मेशन (Right To Information) को लागू करने में तो राजस्थान (Rajasthan) पहले पायदान पर आ खड़ा हुआ, लेकिन इस कानून की सही से पालन नौकरशाही (Bureaucracy) नहीं कर रही है. आम जनता को समय पर सूचना देना तो दूर नियमों की अवहेलना होने पर लगने वाले जुर्माने की राशि को भी नौकरशाही जमा नहीं करा रहे है.
यह है बकाया राशि
सूत्रों की मानें तो कुल 1 हजार 848 ऐसे मामले हैं जिनकी जुर्माना राशि बकाया थी. इनमें से 318 में जुर्माने वसूले गए और 44 को हाईकोर्ट (Highcourt) में लंबित प्रकरणों में स्थगन दिया गया. कुल दो करोड़ 28 लाख 56 हजार 341 का जुर्माना लगाया गया है जिसमें से 12 लाख 78250 की राशि का ही जुर्माना वसूला जा सका है. ऐसे में दो करोड़ 15 लाख 78 हजार 091 का जुर्माना वसूला जाना बाकी है. साथ ही क्षतिपूर्ति की कुल राशि 3 लाख 9900 तय की गई है , जिसमें से महज 6000 की राशि का ही भुगतान किया गया है. 3 लाख 3900 की क्षतिपूर्ति राशि की वसूली बाकी है.
ये हैं सिस्टम को धत्ता बताने वाले अफसर
पंचायती राज के सचिव पद के खिलाफ न सिर्फ सबसे ज्यादा 580 प्रकरणों में जुर्माना लगाया है , बल्कि उसकी जुर्माने की राशि भी सबसे ज्यादा 46 लाख 68 हजार 250 है. इनमें से 8 लाख 66500 का जुर्माना जमा कराया जा चुका है और 38 लाख एक हजार सात सौ पचास का जुर्माना जमा करना बाकी है. इसी तरह से कुल क्षतिपूर्ति राशि 37500 में से 36500 की क्षतिपूर्ति राशि वसूला जाना बाकी है , सिर्फ एक हजार की क्षतिपूर्ति राशि जमा कराई गई है.
इन 580 प्रकरणों में 272 प्रकरणों में पंचायती राज सचिव की ओर से जुर्माना दिया जा चुका है. 3 प्रकरणों में हाई कोर्ट का स्टे (HighCourt Stay) है. पंचायती राज के बाद नगर निगम जयपुर (Nagar Nigam Jaipur) के 256 प्रकरणों में 39 लाख 45000 का जुर्माना लगाया गया है और 56000 की क्षतिपूर्ति राशि तय की गई है. इन दोनों ही मदों में राशि की वसूली बाकी है. LSG सचिव के 286 प्रकरणों में 4 प्रकरणों में जुर्माना जमा हुआ है. कुल 39 लाख 44,000 के जुर्माने में सिर्फ ₹40000 की वसूली ही हो पाई है और 39 लाख 4 हजार रुपए की जमाने की वसूली बाकी है. जबकि कुल क्षतिपूर्ति राशि 35000 में से इतनी ही राशि वसूली जानी बाकी है.
ये भी पढ़ें- जयपुर नगर निगम: सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए मॉनिटरिंग मैकेनिज्म को किया जा रहा सुदृढ़
जेडीए जयपुर ( JDA Jaipur) के 132 प्रकरणों में 3 प्रकरणों में जुर्माना जमा किया गया है कुल 14 लाख 75333 में से 22500 जुर्माने की वसूली ही की जा सकी है. जबकि 14 लाख 52833 की राशि वसूली जानी बाकी है. वहीं तय की गई 10,000 की क्षतिपूर्ति राशि में इतनी ही राशि वसूली जानी बाकी है. इसके बाद राजस्व विभाग के 129 प्रकरणों में 3 प्रकरणों में जुर्माना राशि जमा कराई गई है.
5 प्रकरणों में स्टे लगा हुआ है. कुल 23 लाख 36460 जुर्माने में से महज 35000 की वसूली हो पाई है और इस तरह 23 लाख 1460 की वसूली होनी बाकी है. वहीं तय की गई 35000 की राशि में से 14000 की राशि की वसूली बाकी है. इसी तरह यूडीएच (UDH) में 102 प्रकरणों में से 2 प्रकरणों में जुर्माना जमा कराया गया है. साथ ही 2 प्रकरणों में स्टे लगा हुआ है. कुल तेरह लाख आठ हजार के जुर्माने में से 35000 की वसूली हो पाई है जबकि 12 लाख 73000 की वसूली बाकी है. इसी तरह 38500 की क्षतिपूर्ति राशि में से सिर्फ चार हजार की राशि वसूली हो पाई है 34500 की राशि वसूलना बाकी है.
इस सच्चाई से सरकार दंग, लिया ये फैसला
लापरवाही पर सख्ती दिखाते हुए सरकार (Gehlot Government) ने निर्णय लिया है कि अब अब इस जुर्माना राशि को कर्मचारी और अधिकारी की सैलरी से कटौती की जाए , इसके साथ जो कर्मचारी और अधिकारी रिटायर्ड हो गए हैं उनकी पेंशन से इस जुर्माना राशि को वसूल किया जाये. मुख्य सचिव ने सभी विभागों के एचओडी (HOD) को एक महीने इसके डेटा एकत्र कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए जिसमें यह बताना है कि कितने अधिकारियों और कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन से यह राशि वसूल की जाएगी.