जयपुर के काला महादेव : असाध्य बीमारियों से मुक्ति दिलाते हैं भोलेनाथ
सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए भक्त मंदिरों में विशेष-पूजा अर्चना कर रहे हैं. हर शिव मंदिर में बोल बम के साथ ही हर-हर महादेव के जयकारे की गूंज सुनाई देती है. भक्ति भाव की पावन छटा के बीच ईटीवी भारत आपको जयपुर के उस शिवालय (Kala Mahadev of Jaipur) के बारे में बता रहा है जो खुद महाकाल का स्वरूप कहलाता है. जहां महामृत्युंजय का पाठ करने से असाध्य बीमारियों से निजात मिल जाती है.
नागौर स्थित वैदिक गुरुकुल के शिक्षार्थी का एक रूह कंपा देने वाला वीडियो सामने आया है (Child Brutally Beaten up In Nagaur ). सोशल मीडिया पर वायरल हो रही क्लिप में मासूम अपने साथ हुई दरिंदगी की दास्तां सुना रहा है. कूल्हों पर पड़ी नील और जख्म देख बर्बरता का अंदाजा लगाया जा सकता है. इस वायरल वीडियो की सत्यता की पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है. इस मामले की रपट तो नहीं लिखवाई गई लेकिन गुरुकुल ट्रस्टीज ने अपनी साख को दागदार न करने के लिए 'अपने बटुक' के दोषी की छुट्टी कर दी है.
प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा पूरी तरह चुनावी मोड में है लेकिन पार्टी प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राजस्थान के कुछ प्रमुख नेता असमंजस की स्थिति में भी हैं. असमंजस प्रदेश भाजपा नेतृत्व को लेकर है. सतीश पूनिया का बतौर पार्टी प्रदेश अध्यक्ष 3 साल का कार्यकाल इस साल पूरा हो जाएगा. पूनिया यथावत रहेंगे या उनका स्थान कोई दूसरा नेता लेगा इसे लेकर सुगबुगाहट हो रही है.
राजनीति में रिटायरमेंट का फार्मूला बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने अपने निजी विचारों के जरिए (Satish Poonia Retirement Formula in politics) बताया है. अगर पूनिया के फार्मूले को देखें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित प्रदेश के 17 नेता इसके दायरे में आते हैं. मतलब यह है कि अगर ये फार्मूला लागू हो जाए तो ये नेता 2023 से 2024 के चुनाव तक राजनीति से आउट हो जाएंगे.
उदयपुर में तीन दिन तक कांग्रेस का चिंतन शिविर चला था. इसमें पार्टी को नए रूप रंग में ढालने का खाका खींचा गया. 1 परिवार 1 टिकट फॉर्मूला बाहर निकल कर आया. इस पर हाय तौबा भी मची फिर सहमति भी बन गई. लेकिन अपने तो फिर अपने होते हैं माननीयों ने अपनी Absence में अपनी अगली पीढ़ी यानी Gen Y (जो भी 25 से 40 साल के बीच हैं) को तैयार कर लिया है (GenY of Rajasthan Congress).
9 साल बाद सरकार का निर्णयः उत्तराखण्ड त्रासदी में मृतकों के आश्रितों को मिलेगी सरकारी नौकरी
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2013 में उत्तराखण्ड में आई बाढ़ त्रासदी में जान गंवाने वाले और स्थाई रूप से (Rajasthan people dead in Uttarakhand tragedy of 2013) लापता हुए राजस्थान के मूल निवासियों के आश्रितों को अनुकंपात्मक नौकरी देने का निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री के इस निर्णय से मृतक श्रद्धालुओं के आश्रितों को शैक्षणिक योग्यता के आधार पर पे-मेट्रिक्स लेवल-1 से लेवल-9 तक की राजस्थान अधीनस्थ सेवाओं, मंत्रालयिक एवं चतुर्थ श्रेणी सेवाओं के अंतर्गत आने वाले सीधी भर्ती के पदों पर नियुक्ति दी जा सकेगी. उक्त निर्णय से मृतक श्रद्धालुओं के आश्रितों को सम्बल तथा वित्तीय सुरक्षा मिल सकेगी.
टोंक जिले के मालपुरा में नए रास्ते से कावड़यात्रा निकालने की शर्तों के बीच कांवड़ यात्रा समिति ने (Kanwar Yatra canceled by the Committee in tonk) यात्रा निरस्त कर दी है. वहीं मौजूदा स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने मालपुरा और टोडारायसिंह में अगले 48 घंटे के लिए इंटरनेट बंद करने के आदेश दिए हैं.
सरकारी नौकरी नहीं मिली और परीक्षा देने की अधिकतम आयु भी पूरी हो चुकी है, तो ऐसे अभ्यर्थियों के लिए राहत की खबर है. प्रदेश की गहलोत सरकार ने अब अभ्यर्थियों को सभी भर्तियों में 2 वर्ष की ऊपरी आयु सीमा में छूट देने की घोषणा की (2 years relaxation in maximum age limit in recruitment exams) है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस संबंध में जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर की है.
Kota Suicide Case: लड़के से प्यार में असफल छात्र ने की खुदकुशी, सुसाइड नोट में लिखा ये कारण...
कोटा में जेईई मेंस की तैयारी कर रहे 16 वर्षीय छात्र ने हॉस्टल में फंदे से लटककर (Student Hang Himself in kota) जान दे दी. छात्र ने सुसाइड नोट भी छोड़ा था जिसमें उसने एक लड़के से प्रेम संबंध होने की बात लिखी थी. छात्र मध्य प्रदेश के दमोह जिले का रहने वाला था. फिलहाल पुलिस मामले की छानबीन कर रही है.
राजस्थान में यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव की तारीख की घोषणा हो चुकी है. इसके बाद चुनाव में भाग लेने के लिए छात्र संगठनों ने कमर कस ली है. साथ ही दावेदारों के नाम पर भी चर्चा होने लगी (List of contenders in Rajasthan Student union election) है. एबीवीपी और एनएसयूआई जैसे छात्र संगठनों की ओर से चुनाव में खड़े होने वाले दावेदारों के नाम भी चर्चा में सामने आए हैं.