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राजस्थान विशेष न्यायालय विधेयक 2020 पारित, विपक्ष ने सरकार पर लगाया ये आरोप

राजस्थान में साल 2012 में जयपुर और जोधपुर में स्थापित किए गए विशेष न्यायालय अब हटाए जाएंगे. राजस्थान विधानसभा में राजस्थान विशेष न्यायालय विधेयक 2020 पारित कर दिया गया है.

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सदन में हंगामा
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Published : Aug 24, 2020, 4:24 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में राजस्थान विशेष न्यायालय विधेयक 2020 पारित कर दिया गया है. इस विधेयक को पारित करने से पहले हुई बहस में प्रतिपक्ष के उपनेता राठौड़ ने इसका विरोध किया. उन्होंने लोकतंत्र को खोखला करने में भ्रष्ट लोक सेवकों को संरक्षण देने का आरोप लगया.

विशेष न्यायालय निरसन विधेयक पारित

राठौड़ ने इस बिल पर बोलते हुए कहा कि 11 दिसंबर 2012 को पूरे प्रदेश में विशेष न्यायालय लगाए जाने का निर्णय हुआ और इसके पीछे मकसद था लोगों को त्वरित न्याय मिले. लेकिन अब सरकार इस संशोधन बिल के जरिए इन विशेष न्यायालय को हटाना चाह रही है. राठौड़ ने कहा कि प्रदेश सरकार ने 446 लोक सेवकों के अभियोजन की स्वीकृति भी रोकी है.

इस दौरान राठौड़ ने सरकार पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि हो सकता है जिन लोक सेवकों ने प्रदेश सरकार के हिलते पायों को संभाला, उनके संरक्षण के लिए ये बिल लेकर आया गया हो. लेकिन 4 लाख 57 हजार से अधिक और अधीनस्थ अदालतों में 16 लाख से अधिक मामले लंबित पड़े हैं जो चिंता का विषय है. इस पर यदि विशेष न्यायालय भी हटा लिए जाएंगे तो इनमें लंबित पड़े मामले अन्य अदालतों में भेजे जाएंगे और वापस से उन पर नए सिरे से सुनवाई होगी. इससे आमजन को न्याय समय पर नहीं मिल पाएगा.

पढें- सदन में हंगामे पर भड़के स्पीकर, राजेंद्र राठौड़ को लेकर कह दी ये बड़ी बात

इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि प्रदेश में इन विशेष न्यायालय की उपयोगिता ही समाप्त हो गई थी. खुद साल 2013 में जब भाजपा की सरकार आई तब 8 मामले लंबित थे, उन्हें भी मुख्य सचिव के पास भेज दिया गया. इसके बाद सदन में राजस्थान विशेष न्यायालय निरसन विधेयक 2020 पारित कर दिया गया.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में राजस्थान विशेष न्यायालय विधेयक 2020 पारित कर दिया गया है. इस विधेयक को पारित करने से पहले हुई बहस में प्रतिपक्ष के उपनेता राठौड़ ने इसका विरोध किया. उन्होंने लोकतंत्र को खोखला करने में भ्रष्ट लोक सेवकों को संरक्षण देने का आरोप लगया.

विशेष न्यायालय निरसन विधेयक पारित

राठौड़ ने इस बिल पर बोलते हुए कहा कि 11 दिसंबर 2012 को पूरे प्रदेश में विशेष न्यायालय लगाए जाने का निर्णय हुआ और इसके पीछे मकसद था लोगों को त्वरित न्याय मिले. लेकिन अब सरकार इस संशोधन बिल के जरिए इन विशेष न्यायालय को हटाना चाह रही है. राठौड़ ने कहा कि प्रदेश सरकार ने 446 लोक सेवकों के अभियोजन की स्वीकृति भी रोकी है.

इस दौरान राठौड़ ने सरकार पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि हो सकता है जिन लोक सेवकों ने प्रदेश सरकार के हिलते पायों को संभाला, उनके संरक्षण के लिए ये बिल लेकर आया गया हो. लेकिन 4 लाख 57 हजार से अधिक और अधीनस्थ अदालतों में 16 लाख से अधिक मामले लंबित पड़े हैं जो चिंता का विषय है. इस पर यदि विशेष न्यायालय भी हटा लिए जाएंगे तो इनमें लंबित पड़े मामले अन्य अदालतों में भेजे जाएंगे और वापस से उन पर नए सिरे से सुनवाई होगी. इससे आमजन को न्याय समय पर नहीं मिल पाएगा.

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इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि प्रदेश में इन विशेष न्यायालय की उपयोगिता ही समाप्त हो गई थी. खुद साल 2013 में जब भाजपा की सरकार आई तब 8 मामले लंबित थे, उन्हें भी मुख्य सचिव के पास भेज दिया गया. इसके बाद सदन में राजस्थान विशेष न्यायालय निरसन विधेयक 2020 पारित कर दिया गया.

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