जयपुर. प्रदेश में हादसों को निमंत्रण देते खुले पड़े बोरवेल को अब बंद करने का जिम्मा राजस्थान एसडीआरएफ टीम (Rajasthan SDRF to cover Open borewells) ने उठाया है. एसडीआरएफ हेड क्वार्टर से सभी जिलों के जिला कलेक्टर व अन्य संबंधित विभाग के अधिकारियों से समन्वय कर खुले पड़े बोरवेल बंद करवाए जा रहे हैं. साथ ही अन्य खुले पड़े बोरवेल की जानकारी जुटाई जा रही है.
एडीजी एसडीआरएफ सुष्मित विश्वास ने बताया कि बीते कुछ वर्षों में प्रदेश में खुले पड़े बोरवेल में बच्चों के गिरने के कई हादसे घटित (Accidents due to Uncovered borewells) हो चुके हैं. इसमें कुछ बच्चों की मौत भी हो चुकी है. बोरवेल की गहराई काफी होती है और उसका डायमीटर काफी छोटा होता है, ऐसे में रेस्क्यू ऑपरेशन में भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. राजस्थान एसडीआरएफ की प्रत्येक कंपनी में बोरवेल रेस्क्यू ऑपरेशन के एक्सपर्ट शामिल हैं. हालांकि एसडीआरएफ अब इस विजन पर काम कर रही है कि प्रदेश में ऐसी घटनाएं न हों. एसडीआरएफ में शामिल जवानों को यह टास्क दिया गया है कि जिन स्थानों पर उनकी कंपनी तैनात है, वह उन स्थानों पर खुले पड़े बोरवेल की जानकारी जुटाए. इसके साथ ही एसडीआरएफ प्रत्येक जिला पुलिस, जिला प्रशासन और थाना स्तर पर संपर्क कर खुले पड़े बोरवेल की जानकारी जुटाने का काम कर रही है.
जिला कलेक्टर को बोरवेल बंद कराने को लेकर पत्र: एडीजी एसडीआरएफ सुष्मित विश्वास ने बताया कि प्रदेश में (Action against Uncovered borewells) बोरवेल की लोकेशन का पता लगाने के लिए उसका सर्वे करना बेहद आवश्यक है. जिसे लेकर प्रत्येक जिला कलेक्टर को एसडीआरएफ कमांडेंट की ओर से पत्र लिखकर सर्वे कराने के लिए कहा जा रहा है. इसके साथ ही जिन स्थानों पर बोरवेल चिह्नित किए गए हैं, उन बोरवेल को बंद करने के लिए जिला कलेक्टर को पत्र लिखा जा रहा है. हाल ही में एडीजी ने भरतपुर में बंद बरेठा का सर्वे किया, जहां पर एक बहुत बड़ी होद खुली पाई गई. उस होद के मुंह पर जाल या ग्रिल लगाने के लिए जिला कलेक्टर को पत्र लिखा गया है. बंद बरेठा से बड़ी-बड़ी कैनाल भरतपुर में पेयजल सप्लाई का काम करती है, ऐसे में उस होद में यदि कोई व्यक्ति गिरता है तो उसकी लाश मिलना तक नामुमकिन है.