जयपुर. राजस्थान रोडवेज को घाटे से उबारने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. राजस्थान रोडवेज के सीएमडी राजेश्वर सिंह ने रोडवेज को घाटे से उबारने और कबाड़ में जाने वाली बसों को चलाने के लिए खास प्लान तैयार किया है. पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए यह प्लान तैयार किया गया है.
रोडवेज में पुरानी बसें माइलेज कम देने के चलते रूट से हटा दी जाती हैं लेकिन अब रोडवेज की कबाड़ होती बसें कबाड़ में जाने की बजाय फर्राटे से दौड़ती नजर आएंगी. पुरानी बसों को नए कलेवर में चलाने के लिए रोडवेज सीएमडी ने प्लान तैयार किया है. नए साल में रोडवेज की 600 बसों में से करीब 25 बसों को सीएनजी में कन्वर्ट किया जाएगा. हालांकि शुरुआती दौर में एक बस को ट्रायल के तौर पर कन्वर्ट करके चलाया जाएगा. जिसके बाद सफल होने पर अन्य बसों को भी सीएनजी में कन्वर्ट कर रूट पर दौड़ाया जाएगा.
इस प्लान से रोडवेज को भी लाभ होगा और राजस्व में वृद्धि होगी. सीएनजी के उपयोग को लेकर वित्त नियम शाखा से राय करके निर्णय लिया जाएगा. राजस्थान रोडवेज को घाटे से उबारने के साथ प्रदेश में प्रदूषण के स्तर को भी कम किया जा सकेगा. रोडवेज बसों में डीजल के उपयोग से प्रदूषण ज्यादा होता है. ऐसे में सीएनजी उपयोग से प्रदूषण का स्तर कम होगा. रोडवेज को सीएनजी से काफी फायदा होगा. कबाड़ होती बसों को उपयोग में लेने के साथ ही प्रदूषण कम होगा और राजस्व में बढ़ोतरी होगी.
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पायलट प्रोजेक्ट 3 महीने के लिए किया जाता है तो प्रतिदिन 250 किलोमीटर बस संचालन की स्थिति में 59.70 प्रति किलोमीटर की दर से लगभग 2 लाख 23 हजार 875 रुपए सीएनजी लागत होने की संभावना है. माना जा रहा है कि सीएनजी मे एक बस प्रतिदिन 250 किलोमीटर चलती है तो एक बस का 3 महीने सीएनजी का खर्चा लगभग 2 लाख 23 हजार 875 रुपए आएगा. अगर डीजल की बात करें तो एक बस पर 2 लाख 92 हजार 500 रुपए का खर्च आता है. ऐसे में सीएनजी के उपयोग से एक बस पर रोडवेज को करीब 70000 रुपए की बचत होगी.
रोडवेज के सीएमडी राजेश्वर सिंह ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से सीएनजी का परिवहन सफल प्रयोग माना जाता है. दिल्ली में सीएनजी का प्रयोग सफलतापूर्वक चल रहा है. राजस्थान रोडवेज के पास प्राइवेट कंपनी का प्रस्ताव आया है. शुरुआत में एक बस को प्रायोगिक तौर पर सीएनजी में कन्वर्ट करके चलाया जाएगा. यह प्रयोग सफल हो जाता है तो दूसरी बसों में भी सीएनजी लगाया जाएगा. पिछले साल करीब 875 बसों की खरीद हुई थी. जिसके बाद करीब 550 बसें कंडम हो चुकी हैं. राजस्थान रोडवेज के पास बसें पर्याप्त उपलब्ध हैं, जितना हो रहे उतनी सीएनजी से चलाई जा सकती हैं.