जयपुर. सीओपीडी (Chronic obstructive pulmonary disease) का देश और दुनिया में लगातार बढ़ता दायरा चिंताजनक है. बुधवार को दुनियाभर में विश्व सीओपीडी दिवस (World COPD Day) मनाया जा रहा है. सीओपीडी से होने वाली मौतों के मामले में भारत का दुनिया में दूसरा और राजस्थान का देश में पहला स्थान है.
अस्थमा भवन के निदेशक और चेस्ट सर्जन डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि हाल ही में हुए कुछ सर्वे बताते हैं कि इसके कारण लोगों में LUNG अटैक का खतरा बढ़ रहा है. जो कि जानलेवा है. विश्व सीओपीडी दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि सीओपीडी से मौत के मामले में राजस्थान पहले पायदान पर है. यहां सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की गई हैं.
सीओपीडी से मरने वाले लोगों की संख्या हार्ट अटैक से मरने वाले लोगों से भी ज्यादा है. जहां हार्ट अटैक से एक वर्ष में 95 लोगों की मौत होती है. वहीं, सीओपीडी के कारण एक वर्ष में 111 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. इन चौंकाने वाले तथ्यों के बावजूद सीओपीडी के बारे में लोगों में जागरुकता का अभाव है. जिससे इसके निदान में देरी हो सकती है. निदान में देरी से लंग अटैक हो सकता है.
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उन्होंने बताया कि सीओपीडी में सांस फूलने के साथ ही कफ बढ़ने की समस्या सामने आती है. कभी-कभी टखनों में सूजन के साथ बेहद थकान महसूस होती है. उनका कहना है कि LUNG अटैक के चलते मरीज आईसीयू तक पहुंच सकता है और स्थिति गंभीर हो सकती है.
डॉ. वीरेंद्र सिंह का कहना है कि आमतौर पर हानिकारक कणों और गैसों के संपर्क में आने से सीओपीडी होती है. धूम्रपान और प्रदूषण के कारण यह अधिक होता है. ग्रामीण इलाकों में खाना पकाने के लिए चूल्हे या बायोगैस का उपयोग करने वाली महिलाओं में भी इसका खतरा उच्चतम स्तर पर होता है. वायु प्रदूषण और बार-बार फेफड़ों में संक्रमण से भी सीओपीडी का खतरा बढ़ जाता है.
डॉ. वीरेंद्र सिंह का मानना है कि सीओपीडी का खतरा कम करने के लिए सबसे अहम है कि हमें पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देना होगा. इसके लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर हरियाली का दायरा बढ़ाने की दरकार है. साथ ही धूम्रपान नहीं करने से भी इसका खतरा काफी कम हो जाता है. सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देकर भी सीओपीडी के खतरे को कम किया जा सकता है.