जयपुर. महुआ पुजारी शंभू दयाल की मौत के मामले में जयपुर के सिविल लाइंस फाटक पर चल रहे अनिश्चितकालीन धरने में चौथे दिन रविवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया भी पहुंचे. हालांकि, धरना स्थल पर उनकी एंट्री ही धमाकेदार हुई. क्योंकि, वह भाजपा मुख्यालय से सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ पैदल मार्च करते हुए सिविल लाइंस फाटक पर पहुंचकर धरने में शामिल हुए.
इस दौरान ईटीवी भारत से बातचीत में सतीश पूनिया ने कहा कि सरकार को पुजारी मौत मामले में संवेदनशील होकर सकारात्मक निर्णय बहुत पहले ले लेना चाहिए था. उन्होंने कहा कि आज चल रही सरकार से वार्ता के दौरान उम्मीद है कि सरकार प्रदर्शनकारियों की मांग मान लें. उन्होंने कहा कि पुजारी शंभू दयाल की मौत का यह पहला मामला नहीं, बल्कि पिछले 6 महीने में इस प्रकार की 4 घटनाएं पुजारियों के साथ हो चुकी है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि मंदिर माफी की जमीन को सुरक्षित रखने के लिए कोई ठोस कानून बनाएं.
क्या पूनिया का ही था इंतजार...
इससे पहले सिविल लाइंस फाटक पर चल रहा है. धरना भाजपा नेताओं के बल पर ही चल रहा था. क्योंकि, धरने का नेतृत्व भाजपा सांसद किरोडी लाल मीणा कर रहे थे. इस दौरान भाजपा सांसद रामचरण बौहरा, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी और प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच भी पूरी तरह सक्रिय नजर आ रहे थे. वहीं, जयपुर शहर के अध्यक्ष राघव शर्मा, विधायक कालीचरण सराफ, अशोक लाहोटी, भाजपा नेत्री सुमन शर्मा और उपमहापौर पुनीत करनावत, युवा नेता लक्ष्मीकांत भारद्वाज और प्रदेश सचिव जितेंद्र गोठवाल के साथ कुछ स्थानीय भाजपा पार्षद भी धरने में नजर आ रहे थे. लेकिन, धरना स्थल पर भीड़ की कमी साफ तौर पर देखी जा रही थी. क्योंकि, नेताओं का आना-जाना जारी था. शनिवार को उम्मीद थी कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जयपुर में है, तो वह धरना स्थल पर आएंगे. लेकिन, वे शनिवार को धरना स्थल पर नहीं आए और रविवार को उस समय आए जब धरना स्थल पर मौजूद सांसद किरोडी लाल मीणा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी सहित तमाम भाजपा के नेता सचिवालय में सरकार से वार्ता के लिए चले गए थे.
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वह नेता भी पहुंचे जो अब तक से नदारद...
रविवार को धरना स्थल पर जब पूनिया का आगमन हुआ, तो उनके साथ ही बड़ी संख्या में कार्यकर्ता भी यहां पहुंचे. खास बात यह भी है कि इस दौरान बड़ी संख्या में वह तमाम कार्यकर्ता नेता और कुछ पार्षद भी पहुंचे, जो पिछले 3 दिन से यहां चल रहे धरने से दूर थे. मतलब साफ है कि यहां आने वाले अधिकतर कार्यकर्ता और नेता केवल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को अपना चेहरा दिखाने और नंबर बढ़ाने के लिए ही यहां पहुंचे.