जयपुर. राजस्थान में 25 सितंबर को कांग्रेस आलाकमान की ओर से एक लाइन का प्रस्ताव पास करवाने के लिए बुलाई गई विधायक दल की बैठक का गहलोत गुट के विधायकों की ओर से बहिष्कार किए जाने और स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंपने के मामले में कांग्रेस आलाकमान की ओर से 27 अक्टूबर को मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे. यह नोटिस पर्यवेक्षक बन कर आए अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे की रिपोर्ट के आधार पर जारी किए गए थे. मंत्री शांति धारीवाल और धर्मेंद्र राठौड़ को तो नोटिस तय समय पर मिल गए थे, इसके चलते उन्होंने 6 सितंबर से पहले ही अपना जवाब भेज दिया था.
लेकिन मुख्य सचेतक और मंत्री महेश जोशी को कारण बताओ नोटिस 6 अक्टूबर को मिला था. ऐसे में उनके पास जवाब देने के लिए 15 अक्टूबर तक का समय था, लेकिन महेश जोशी ने अपना जवाब नोटिस मिलने के 5 दिनों में ही 10 अक्टूबर को कांग्रेस अनुशासन समिति को भिजवा दिया है. हालांकि, नोटिस में क्या जवाब दिया गया है यह तो साफ नहीं है, लेकिन जानकारों की मानें तो महेश जोशी ने अपने नोटिस के जवाब में विधायक दल की बैठक से पहले (Mahesh Joshi on Show Cause Notice) मंत्री शांति धारीवाल के निवास पर हुई बैठक के लिए विधायकों को फोन करने से इनकार किया है.
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आपको बता दें कि महेश जोशी को जो कारण बताओ नोटिस दिया गया था, उसका सबसे बड़ा कारण यही था कि महेश जोशी पर यह आरोप था कि उन्होंने मुख्य सचेतक होते हुए मुख्यमंत्री आवास पर होने वाली विधायक दल की बैठक के लिए तो फोन विधायकों को किए ही थे, उसके साथ ही मंत्री शांति धारीवाल के निवास पर समानांतर बैठक में शाम 5 बजे शामिल होने के लिए फोन किए थे. लेकिन जोशी ने अपने जवाब में इन आरोपों से साफ इनकार किया है और कहा है कि विधायक स्वेच्छा से मंत्री शांति धारीवाल के निवास पर पहुंचे थे. इसके लिए विधायकों को किसी ने फोन नहीं किया था.
कांग्रेस आलाकमान को तीनों नेताओं के जवाब मिल चुके हैं. ऐसे में गेंद अब कांग्रेस आलाकमान के पाले में चली गई है कि वह (Rajasthan Congress Politics) इन तीनों नेताओं की विधायक दल के समानांतर दूसरी विधायक दल की बैठक बुलाने में भूमिका पाता है या नहीं. हालांकि, अब यह माना जा रहा है कि तीनों नेताओं पर किसी भी तरीके के निर्णय पर पहुंचने के लिए 19 अक्टूबर का इंतजार किया जाएगा, जब तक की नए कांग्रेस अध्यक्ष का निर्वाचन नहीं हो जाता है.