जयपुर. गोवंशों में फैल रही लंपी स्किन डिजीज की रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग ने 730 पशुधन सहायकों को नियमित नियुक्ति प्रदान की (Husbandry Department appointed Livestock Assistant) है. राज्य सरकार की ओर से रविवार को इसका आदेश जारी (rajasthan pashudhan sahayak vacancy 2022) किया गया. पशुपालन मंत्री कटारिया ने बताया कि इन नव नियुक्त पशुधन सहायकों को सात दिन में कार्यभार ग्रहण करना होगा. उन्होंने बताया कि आदेश की कॉपी पशुपालन विभाग की वेबसाइ़ड पर अपलोड कर दी गई है.
पशुपालन मंत्री ने बताया कि मार्च 2022 में जारी विज्ञप्ति के अनुसार 1136 पदों पर पशुधन सहायक भर्ती (rajasthan pashudhan sahayak vacancy 2022) में नई जगहों पर तीन सौ पशुधन सहायकों के पदों को शामिल किये जाने का फैसला किया गया है. इस तरह से यह भर्ती 1436 पदों पर किये जाने की तैयारी है. उन्होंने बताया कि कर्मचारी चयन बोर्ड से सफल अभ्यर्थियों की सूची मिलने पर खाली रहे पदों पर जल्द से जल्द नियुक्ति आदेश जारी किये जा सकेंगे.
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गौरतलब है कि गोवंश में फैल रही लम्पी स्किन डिजीज की रोकथाम और बेहतर इलाज के लिए हाल ही में पशुपालन विभाग ने 200 पशु चिकित्साधिकारियों को अस्थायी आधार पर नियुक्ति दी है. बता दें कि राज्य में करीब 10 लाख 85 हजार पशुधन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक लंबी से प्रभावित है, जिनमें से 10 लाख 46 हजार पशुओं का इलाज शुरू किया गया है. पशु चिकित्सा विभाग का दावा है कि करीब 6,05,280 गायों को इलाज दिया जा चुका है. जहां तक मौतों की बात है, तो लम्पी वायरस की चपेट में आने से 48 हजार से ज़्यादा गायें काल का ग्रास बन चुकी है.
पीलीबंगा विधायक धर्मेंद्र मोची का आरोप: भाजपा विधायक धर्मेंद्र मोची ने इस मामले में राजस्थान सरकार को कटघरे में खड़ा किया. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने न तो प्रभावित पशुओं के इलाज का सही प्रबंधन किया है और न ही मृत पशुओं का निस्तारण ठीक से किया जा रहा है, इसलिए यह बीमारी इतनी फैल चुकी है, हालात यह है कि एक तरफ गाय मारी जा रही है, दूसरी तरफ पशुपालक गाय के दूध की बिक्री कम होने के कारण चिंतित है. गायों की मौत के सरकारी आंकड़े पर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश में सबसे ज्यादा गोवंश रखने वाले हनुमानगढ़ जिले में बीमारी का ज्यादा असर है. हालात यह है कि सरकार झूठे आंकड़े पेश करके अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रही है. जबकि सरपंचों के जरिए मृत पशुओं का निस्तारण संभव नहीं है. न सरपंचों के पास मृत गायों के निस्तारण का बजट है और न ही व्यवस्था है. सरकार सिर्फ आदेश निकाल कर जिम्मेदारी पूरी कर रही है.