जयपुर. वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को पछाड़ दूसरे नंबर पर रहने वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) पंचायत चुनाव में इस बार अपने हथियार डाल चुकी है. प्रदेश में श्रीगंगानगर, करौली, कोटा और बारां में पंचायती राज संस्थाओं (rajasthan panchayat election 2021) के चुनाव होने हैं. लेकिन कोटा और बारां में आरएलपी ने प्रत्याशी नहीं खड़े किए. आरएलपी ने भाजपा-कांग्रेस के लिए चुनावी मैदान खाली छोड़ दिया है.
माना जा रहा है कि हाड़ौती अंचल में आरएलपी (rajasthan panchayat election RLP news) की जमीनी पकड़ बेहद कमजोर है. संगठन मजबूत नहीं है. कांग्रेस और भाजपा की तुलना में पार्टी कार्यकर्ता बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं है. यहीं कारण है कि संगठन के मजबूत नहीं होने के कारण आरएलपी ने कोटा और बारां जिले में पंचायत चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है. दोनों जिलों में आरएलपी का कोई प्रभाव नहीं है. यहां लंबे अरसे से भाजपा और कांग्रेस की जमीनी पकड़ मजबूत रही है. कांग्रेस और भाजपा में सेंधमारी के लिए आरएलपी को कड़ी मेहनत करनी होगी.
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राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने इस बार 4 जिलों में से केवल 2 ही जिलों में पंचायत राज चुनाव के दौरान अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं. पार्टी ने श्रीगंगानगर और करौली में लगभग सभी पंचायत समितियों और जिला परिषद के अधिकतर वार्डों में आरएलपी प्रत्याशी उतारे हैं लेकिन हाड़ौती संभाग के कोटा और बारां जिले में जिला परिषद और पंचायत समितियों में कोई प्रत्याशी नहीं उतारे. कोटा में एक जिला परिषद और पांच पंचायत समितियों में चुनाव होने हैं जबकि बारां जिले में एक जिला परिषद और 8 पंचायत समितियों में यह चुनाव होंगे.
हनुमान बेनीवाल को नहीं मिल रहा प्रचार के लिए समय
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी इस बार गांव के दंगल में प्रचार के दौरान अपना पसीना नहीं बहाया. संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल दिल्ली में है. यही कारण है कि बेनीवाल का इन 4 जिलों में होने वाले चुनाव पर उनका फोकस कम है. हालांकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक पुखराज गर्ग सहित अन्य नेताओं ने पंचायत राज चुनाव को लेकर तैयारियां तेज की है लेकिन उनका भी फोकस केवल करौली और श्रीगंगानगर जिलों पर है.
RLP का तीसरा विकल्प का दावा
आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल बार-बार अपने बयानों में राजस्थान में आरएलपी को तीसरा राजनीतिक विकल्प बताते हैं. यह भी दावा करते हैं कि साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में आरएलपी जनता को तीसरा विकल्प उपलब्ध कराएगी. लेकिन विधानसभा चुनाव में अभी 2 साल का समय शेष है. इससे पहले हो रहे पंचायत चुनाव में ही आरएलपी ने अन्य राजनीतिक दलों के लिए सियासी मैदान खाली छोड़ दिया. यही कारण है कि अगले विधानसभा चुनाव में आरएलपी के तीसरे विकल्प का दावा धरातल पर नजर नहीं आ रहा है.