जयपुर. राजस्थन में भले ही 60 फीसदी से ज्यादा आबादी गांव में निवास करती है. लेकिन आज हम डिजिटल क्रांति में अन्य राज्यों से काफी आगे हैं. प्रदेश में गांव ढाणी में बैठे व्यक्ति को छोटे-छोटे काम के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं कटाने पडें, इसके लिए 2009 में सीएससी ई-मित्र प्रोजेक्ट शुरू किये. वर्तमान में प्रदेश में लगभग 80 हजार ई-मित्र पर 250 जीटूसी सेवाएं संचालित हैं. सीएससी के पूर्व परियोजना प्रबंधक विनय दुबे से खास बातचीत देखिये...
2009 में सीएससी यानी सामान्य सेवा केंद्र प्रोजेक्ट महिला उत्थान और सशक्तिकरण की दिशा में माइलस्टोन साबित हुआ. सीएससी प्रोजेक्ट के साथ राजस्थान इंटरनेट सेवाओं में भी वन ऑफ़ द बेस्ट स्टेट है. राज्य सरकार के सीएसी प्रोजेक्ट को शुरूआती दौर में ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाने का काम संभाल चुके विनय दुबे का कहना है कि वर्तमान में राजस्थान सरकार कई परियोजनाओं के माध्यम से e-governance के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रही है. इन्हीं परियोजनाओं में से कॉमन सर्विस सेन्टर या ई-मित्र परियोजना का क्रियान्वयन सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग कर रहा है.
सीएससी परियोजना से बदली गांवों की तस्वीर
सीएससी परियोजना का प्रारम्भ 2009 में हुआ था. राजस्थान के 33 जिलों की 6626 ग्राम पंचायतों में कॉमन सर्विस सेंटर की स्थापना का निर्णय लिया गया. जिसका उद्देश्य विभिन्न प्रकार की सरकारी सेवाओं को दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रो में निवासरत ग्रामीणों के पास पहुँचाना था. हालांकि राजस्थान के शहरी क्षेत्रों में ई-मित्र परियोजना पहले से ही संचालित की जा रही थी. लेकिन उसका दायरा बहुत ही सीमित था. सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग ने कॉमन सर्विस सेन्टर परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कई प्रकार के कार्य किये.
इसके अतिरिक्त निर्णय लिया गया कि राज्य की महिलाओं को ही सीएससी सेन्टर के संचालन की अनुमति दी जायेगी. यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय था. परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु जिला स्तर पर जिला ई-मित्र सोसाइटी का गठन किया गया. प्रारम्भ में योजना के क्रियान्वयन में जो प्रमुख समस्याएँ थीं उनमें से एक समस्या इंटरनेट की अनुपलब्धता की थी. दूर-दराज के गावों में बीएसएनएल या किसी अन्य इंटरनेट सेवा प्रदाता की इंटरनेट सेवा नहीं थी. इसके अतिरिक्त मात्र 5-6 तरह की सरकारी सेवाएं ही शहरी ई-मित्र के माध्यम से प्रदान की जा रही थी. गावों में टेक्नोलॉजी के प्रसार के सवाल पर क्या कुछ कहा सीएससी के पूर्व परियोजना प्रबंधक विनय दुबे ने, सुनिए...
सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के अधिकारीयों ने समय समय पर परियोजना की माइक्रो प्लानिंग एवं मॉनिटरिंग कर परियोजना को क्रमबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया. विभाग ने अन्य विभागों से समन्वय स्थापित कर सीएससी सेंटर की ओर से प्रदान की जाने वाली सरकारी सेवाओं में विस्तार किया. जिससे सेन्टर संचालक एवं आम जनता लाभान्वित हुआ.
ई-मित्र पर डिजिटल सर्टिफिकेट, इंटरनेट सेवा का प्रसार
इसी क्रम में विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्र जैसे मूल निवास, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र आदि को डिजिटल सर्टिफिकेट के रूप में आम जनता को प्राप्त करने की सुविधा प्रदान की गयी. विनय दुबे ने बताया कि समय के साथ सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग अन्य परियोजनाओं के माध्यम से हर पंचायत पर आवश्यक इंटरनेट सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी. वर्तमान में राजस्थान राज्य की समस्त पंचायतो में ऑप्टिकल फाइबर, ब्रॉडबैंड के साथ हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है. राज्य में लगभग 80 हजार सीएससी ई-मित्र केंद्र संचालित हैं. जिनके माध्यम से लगभग 250 तरह की सरकारी सेवाएं प्रदान की जा रही हैं.
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2014 में राज्य सरकार ने भामाशाह योजना प्रारम्भ की. योजना के माध्यम से ग्रामीण एवं शहरी आबादी को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के रूप में लाभ पहुँचाया गया. भामाशाह परियोजना के क्रियान्वयन में सीइससी ई-मित्र परियोजना का महत्वपूर्ण योगदान रहा. विनय दुबे बताते हैं कि वर्त्तमान में राजस्व विभाग भी DILRMP यानी डिजटल इण्डिया लेंड रिकॉर्ड योजना के अंतर्गत सभी तहसीलो को ऑनलाइन कर रहा है.
रासवान के जरिये गांव-गांव पहुंचा नेटवर्क
राजस्थान स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (रासवान) के जरिये पंचायत स्टार पर नेटवर्क पहुंचा. जिसकी वजह है हाई स्पीड पर नेट उपलब्ध हुआ. जानकारों की मानें तो नेटवर्किंग में भी हम वन ऑफ़ द बेस्ट स्टेट में शामिल हैं.