जयपुर. राजनीतिक पार्टियां भले ही आपराधिक मुकदमा झेल रहे नेताओं से दूरी बनाने के दावे करती नजर आती हो, लेकिन हकीकत यह है कि दिनों दिन आपराधिक पृष्ठभूमि के नेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है. राजस्थान की बात करें तो साल 2008 और साल 2013 की तुलना में राजस्थान विधानसभा में ऐसे विधायकों की संख्या साल 2018 में बढ़ी हैं. देश में दागी छवि वाले नेताओं को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ा और अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां ऐसे उम्मीदवारों की आपराधिक मामलों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगी. अगर आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को चुनाव में टिकट दिया भी जाता है तो इसका कारण भी राजनीतिक पार्टियां बताएगी कि आखिर वह किसी बेदाग प्रत्याशी को टिकट क्यों नहीं दे पाई ? साथ ही कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को उम्मीदवार के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में तमाम जानकारी अपने आप आधिकारिक फेसबुक और ट्विटर हैंडल पर देनी होगी.
हालांकि दागी उम्मीदवारों को चुनाव से रोकने के दावे भले ही किए जाते हैं, लेकिन आंकड़े यह बताते हैं कि हर बार चुनाव में इनकी संख्या औसत दर औसत बढ़ी है और खास बात यह है कि आपराधिक रिकॉर्ड करने वाले नेता जनता की पसंद भी बनते हैं. यही कारण है कि राजस्थान विधानसभा में इन नेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है. हालत यह है कि अगर राजनीतिक दल इन नेताओं से दूरी बना भी लें, तो वह निर्दलीय जीतकर आ जाते हैं. ऐसे में जनता के समर्थन के चलते राजनीतिक पार्टियां भी असहाय हो जाती है.
भारत निर्वाचन आयोग इस शिकंजा कसने का प्रयास तो कर रहा है और देश की सर्वोच्च अदालत ने भी इसे लेकर आदेश दिए हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग की चिंता कितनी ही क्यों ना हो जनता में इन नेताओं की पकड़ को देखते हुए पार्टियों को इन नेताओं पर आश्रित होना पड़ता है. राजस्थान की बात करें तो राजस्थान में विधानसभा में जीतकर पहुंचने वाले विधायकों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है. साल 2004, 2013 और 2018 की तुलना करें तो आपराधिक रिकॉर्ड धारी नेताओं का राजस्थान विधानसभा में जीतकर पहुंचने का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है.
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2008 में विधानसभा में विधायकों की स्थिति
साल 2008 में राजस्थान विधानसभा में जीत कर आने वाले 30 विधायकों ने खुद पर आपराधिक मुकदमे होना बताया था. इनमें से आठ विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे, यानी कि 2008 में 15% विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले थे. इनमें से 4% के खिलाफ गंभीर अपराध वाले मामले दर्ज थे.
2013 में विधानसभा में पहुंचे 36 विधायक
इसी तरह साल 2013 की बात करे तो विधानसभा में जीतकर आने वाले 36 विधायकों ने खुद पर आपराधिक मुकदमे बताए थे. इनमें से 19 विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे यानी कि 2013 में 18% विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले थे. जिनमें से 10% के खिलाफ गंभीर अपराध वाले मामले रहे.
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आइए जानते हैं गंभीर आपराधिक मामलों के लिए मापदंड क्या है?
1. 5 साल या उससे अधिक सजा वाले अपराध गैर जमानती अपराध चुनाव से जुड़े अपराध
2. धारा 171 या रिश्वतखोरी सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने से जुड़े अपराध
3. हमला हत्या अपहरण बलात्कार से जुड़े अपराध
4. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 के तहत उल्लिखित अपराध
5. भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम कानून के तहत अपराध
6. महिलाओं के खिलाफ अत्याचार से जुड़े अपराध
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां विचारधाराओं में भले ही अलग हो, लेकिन अपराधी मुकदमा झेल रहे विधायकों की संख्या लगभग बराबर. साल 2013 में जीतकर विधानसभा में पहुंचे विधायकों में से आपराधिक मुकदमा झेल रहे विधायकों की संख्या 23 फीसदी थी. इनमें से भाजपा के 17% विधायक अपराधी मुकदमा झेल रहे थे, तो कांग्रेस के 16%. इसी तरह साल 2018 की बात करें तो इस बार जीतकर विधानसभा में पहुंचने वाले विधायकों में कांग्रेस और भाजपा दोनों की ही 25% विधायक आपराधिक मुकदमा झेल रहे हैं.
कांग्रेस के वो विधायक जिन पर चल रहे आपराधिक मुकदमे
1. भरोसी लाल जाटव
2. महेंद्र जीत सिंह मालवीय
3. मदन प्रजापत
4. अशोक चांदना
5. गोविंद राम
6. लालचंद कटारिया
7. परसादी लाल मीणा
8. दिव्या मदेरणा
9. रामलाल
10. वेद प्रकाश
11. मुकेश भाकर
12. रामनिवास गावड़िया
13. राजेंद्र गुढ़ा
14. जाहिदा खान
15. रोहित बोहरा
16. रमेश मीणा
17. संदीप कुमार
18. भंवर सिंह भाटी
19. विश्वेंद्र सिंह
20. विजयपाल मिर्धा
21. भजन लाल जाटव
22. रामलाल जाट
23. राजेंद्र बिधूड़ी
24. अर्जुन बामणिया
25. चेतन डूडी
26. टीकाराम जूली
भाजपा के वो विधायक जिन पर चल रहे आपराधिक मुकदमे
1. गुरदीप सिंह
2. शोभा रानी कुशवाहा
3. रामप्रताप कासनिया
4. चंद्रकांता
5. कालीचरण सराफ
6. कैलाश मेघवाल
7. मदन दिलावर
8. फूल सिंह मीणा
9. जोगेश्वर गर्ग
10. गोपाल लाल
11. संजय शर्मा
12. सुभाष पूनिया
निर्दलीय जीतकर आने वाले विधायक जिन पर आपराधिक मुकदमे
1. रामकेश
2. रमिला खड़िया
3. कांति प्रसाद
4. राजकुमार गौड़
5. महादेव सिंह खंडेला
कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक जिन पर आपराधिक मुकदमे
1. बलवान पूनिया
2. गिरधारी लाल
सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि 30% मंत्रियों पर भी आपराधिक मुकदमे
उधर, आपराधिक मुकदमा झेल रहे नेताओं को लेकर राजनीतिक पार्टियों को सुप्रीम कोर्ट ने नई दिशा निर्देश जारी किए, लेकिन सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि राजस्थान में 23% विधायक जीतकर विधानसभा में पहुंच गए हो, लेकिन मंत्री बनने में भी इन विधायकों का कोई ऑप्शन नहीं है. राजस्थान की गहलोत कैबिनेट में शामिल 25 सदस्यों में से 9 सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे हैं. जानिए कौन-कौन से हैं वो मंत्री
1. परसादी लाल मीणा
2. टीकाराम जूली
3. अर्जुन बामणिया
4. अशोक चांदना
5. भजन लाल जाटव
6. विश्वेंद्र सिंह
7. लालचंद कटारिया
8. रमेश मीणा
9. भंवर सिंह भाटी
विधायक बोले बनना चाहिए कानून
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के पास जहां राजनीतिक पार्टियों की चिंता और जिम्मेदारी दोनों पड़ने वाली है, तो भी राजस्थान के विधायकों का भी कहना है कि इसे लेकर राजस्थान में नए नियम बनने चाहिए. विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि स्थानीय निकायों और पंचायत राज चुनाव में जो आपराधिक मुकदमा को लेकर नियम लागू है. वहीं नियम विधायकों और सांसदों के लिए भी चुनाव लड़ने के लिए लागू होने चाहिए. कुल मिलाकर स्थिति ये है कि साफ सुथरी राजनीति की बात करने वाली देश की राजनीतिक पार्टियों में जमकर दागी नेताओं को टिकट बांटे थे. जिसके बाद स्थिति आपके सामने है. फिर सवाल ये भी है कि अगर राजनीतिक पार्टियां इन नेताओं से दूरी भी बना लेती है तो भी इन्ह पर जनता भरपूर आशीर्वाद बरसता है. पार्टी का टिकट कटे तो भी निर्दलीय जीत जाते हैं.