जयपुर. पंजाब कांग्रेस में हुई उठापटक और मुख्यमंत्री के बदलाव के बाद हर किसी की नजर अब राजस्थान पर है. हर कोई यही सोच रहा है कि राजस्थान में जो पिछले 14 महीने से गहलोत और पायलट के बीच चल रहे शीतयुद्ध का अंजाम और बीते साल जुलाई में राजनीतिक उठापटक में अपने पद गंवा चुके सचिन पायलट का भविष्य क्या होगा ?
राहुल गांधी के साथ 17 सितंबर को हुई सचिन पायलट की बंद कमरे की मुलाकात के बाद अब यह कहा जा रहा है कि पायलट को एक बार संगठन में भूमिका मिलेगी. इसका फैसला श्राद्ध पक्ष के बाद कर लिया जाएगा कि संगठन में भूमिका पायलट को राजस्थान में दी जाती है या फिर एआईसीसी में.
इसके साथ ही राजस्थान के रुके हुए राजनीतिक काम जैसे कैबिनेट विस्तार, राजनीतिक नियुक्तियां और राजस्थान कांग्रेस के संगठन का विस्तार भी अक्टूबर महीने में कर लिया जाएगा. उधर पंजाब में जो कुछ हुआ है उसके बाद कांग्रेस पार्टी ने सीधे तौर पर बड़े और कद्दावर नेताओं को यह मैसेज भी दे दिया है कि केवल वही पार्टी का चेहरा नहीं हैं, बल्कि एआईसीसी जिसे पार्टी का चेहरा बनाएगी वही बड़ा नेता होगा और बड़े पदों पर जाएगा.
ऐसे में अब राजस्थान में जो अब तक कहा जा रहा था कि मुख्यमंत्री पद के दावेदार 1-2 चेहरे ही हैं, लेकिन अब राजस्थान में चाहे मुख्यमंत्री हो या चाहे प्रदेश कांग्रेस हो, इसके लिए दावेदारी जताने के लिए कांग्रेस का आम कार्यकर्ता भी तैयार हो गया है.
गहलोत, पायलट और डोटासरा ही नहीं, हरीश चौधरी या कोई और नेता भी पा सकता है बड़ा पद...
पंजाब कांग्रेस में उठापटक और मुख्यमंत्री के चेहरे में बदलाव के बाद एक बात का मैसेज कांग्रेस आलाकमान ने साफ तौर पर कांग्रेस के बड़े नेताओं को दे दिया है कि अब कांग्रेस आलाकमान जिसे चाहे उसे बड़े पदों पर बैठा सकता है. इसके साथ ही जिस तरीके से अचानक कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी कांग्रेस आलाकमान के नजदीक आए और उन्होंने जिस तरीके से ऑपरेशन पंजाब को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाया है, उसके बाद हरीश चौधरी भी राजस्थान में आलाकमान की आंख, नाक और कान की भूमिका में हैं.
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ऐसे में कहा जा रहा है कि हरीश चौधरी भी जल्द ही नई भूमिका में दिखाई दे सकते हैं. इसके साथ ही जब पंजाब में एक अनजान दलित चेहरे कांग्रेस पार्टी ने मुख्यमंत्री का पद दिया है तो हर किसी को यह आस है कि राहुल गांधी अब ऐसे फैसले लेते रहेंगे और दलितों के प्रति उनका रुझान और भी ज्यादा बढ़ेगा.
कैबिनेट, राजनीतिक नियुक्तियां और संगठन में मिलेगी अहम भूमिका...
पंजाब में विधानसभा चुनाव का असर है कि कांग्रेस पार्टी ने दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बनाकर सीधा दलित वोट बैंक में सेंध लगाने के साथ ही संदेश दे दिया है कि कांग्रेस पार्टी के लिए दलित कितना महत्वपूर्ण है. यही हालात राजस्थान में है, क्योंकि राजस्थान में लगातार दो बार से कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई है. ऐसे में अब राजस्थान में होने वाले कैबिनेट विस्तार, राजनीतिक नियुक्तियां और संगठन में विस्तार के समय दलित चेहरों को ज्यादा वेटेज मिलेगा.