जयपुर. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 में राजस्थान के जेलों को संपूर्ण भारत में प्रथम स्थान पर रखा गया है. पिछले साल 2019 में राजस्थान के जेलों का संपूर्ण भारत में 12वां स्थान था. महानिदेशक जेल राजीव दासोत के मुताबिक टाटा ट्रस्ट के संयुक्त उपक्रम में उसके सहयोगी संगठनों सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज दक्ष, सीएचआरआई, प्रयास और विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी सम्मिलित है, इनके द्वारा इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 प्रकाशित की गई है. इसमें राजस्थान राज्य की जेलों को 10 अंकों में से 6.32 अंकों के साथ प्रथम स्थान पर आंका गया है. दूसरा स्थान तेलंगाना राज्य का है, जो 5.69 अंकों के साथ काफी पीछे है.
हाल ही में जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 में पुलिस, न्यायपालिका, कारागार और कानूनी सहायता पर राज्यों की रैंकिंग निर्धारित की गई है. ये एक राष्ट्रीय तथ्य पत्रक है. ये प्रतिवेदन आंकड़ों का अध्ययन कर तैयार किया गया है. इसमें विभिन्न राज्यों में पिछले 5 वर्षों के दौरान जेलों की कार्यप्रणाली, रिक्त पद, नवाचार, विविधता कार्यभार और मूलभूत व्यवस्थाओं जैसे क्षेत्रों में हुए परिवर्तन के आधार पर रैंकिंग की गई है.
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डीजी जेल राजीव दासोत के मुताबिक राजस्थान जेल विभाग द्वारा आवधिक समीक्षा की बैठक, खुला बंदी शिविर बैठक, स्थाई पैरोल बैठक समय पर आयोजित होने के कारण कारागृह की ऑक्युपेंसी रेट 102 प्रतिशत से घटकर 94 प्रतिशत हो गई है. कारागार विभाग राजस्थान ई-प्रिजंस और पिक्स ( बंदियों द्वारा एसटीडी फोन पर वार्ता) के संचालन में संपूर्ण भारत में प्रथम स्थान पर है. राजस्थान जेल विभाग ने आईसीजेएस के महत्वपूर्ण अंग ई-प्रिजंस से साल 2005 से अब तक बंदियों के आंकड़े संधारित कर लिए हैं. पिक्स की सुविधा से बंदी अपने परिजनों से प्रति सप्ताह लगभग 2 लाख मिनट वार्ता कर रहे हैं. कोरोना काल में मुलाकात बंद होने की स्थिति में राजस्थान जेल विभाग ने बंदियों की उनके परिजनों से ई-मुलाकात और वीडियो कॉलिंग की से बात कराने की सुविधा को पूरे भारत में सराहा है.
डीजी जेल के मुताबिक नई नियुक्तियों और पदोन्नतियों के फलस्वरुप 340 अधिनस्थ संवर्ग के पदों में से 208 यानी 61.17 प्रतिशत पद भरे जा चुके हैं. आदिनाथ संवर्ग के 3520 पदों में से 2807 यानी 79.74 प्रतिशत पद भरे हुए हैं. शेष पदों को भरने की कार्रवाई जारी है. राजस्थान में कर्मियों और बंदियों का अनुपात 1:6 है. महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई करने से विभाग में महिला कार्मिकों का प्रतिशत 19:38 प्रतिशत हो गया है.
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जेलों से अपराधिक गतिविधियों के संचालन पर रोकथाम में भी राजस्थान जेल विभाग संपूर्ण भारत में अग्रणी रहा है. 21 नवंबर 2020 से जेलों में मोबाइल और निषिद्ध सामग्री की तस्करी और जेलों से अपराधिक गतिविधियों की रोकथाम के लिए उद्देश्य से 'ऑपरेशन फ्लश आउट' शुरू किया गया है. इसके चलते बड़ी संख्या में जेलों में चल रहे मोबाइल फोन बरामद किए जा चुके हैं.
जेलों से अपराधिक गतिविधियां संचालित करने वाले बंदियों को दूरदराज के जेलों में शिफ्ट करके इन गतिविधियों पर अंकुश लगाने में सफलता प्राप्त की गई है. इसी प्रकार भ्रष्टाचार, मिलीभगत और अपराधिक गतिविधियों में लिप्त जेलकर्मियों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है. राजस्थान सरकार के निर्देशों की पालना में राजस्थान की विभिन्न जेलों में कोविड-19 महामारी का प्रबंधन भी उत्कृष्ट श्रेणी का रहा है. वर्तमान में राज्य की सभी जेलों के बंदी और स्टाफ कोविड-19 से मुक्त हो चुके हैं. जेलों में निरुद्ध बंदियों के कौशल विकास, सुधार, पुनस्थापन आजीविका उपार्जन जैसे क्षेत्रों में नित नए प्रयोग और नवाचार किए जा रहे हैं, जिसे हाल ही में प्रारंभ किया गया है.
बंदियों की ओर से संचालित पेट्रोल पंप इसका एक उदाहरण है. साथ ही जेलों में बंदियों द्वारा रजाई, मास्क, यूनिफॉर्म, कालीन, कूलर पेंटिंग बनाना, आर्केस्ट्रा बजाना जैसे नवाचार किए जा रहे हैं. राजीव दासोत के मुताबिक जेलों के इस बहुआयामी विकास में राज्य सरकार और राजस्थान उच्च न्यायालय की ओर से स्युमोटो पीटीशन में प्रदान विभिन्न निर्देशों की अति आवश्यक भूमिका रही है. जेल विभाग अपनी नकारात्मक छवि को त्यागकर सकारात्मक छवि के निर्माण के क्षेत्र में कार्यरत है.