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70 फीसदी ट्यूशन फीस वसूलने के मामले में संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब

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Published : Sep 16, 2020, 5:23 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी कर पूछा है कि ट्यूशन फीस का 70 सीसी वसूलने के संबंध में एकल पीठ के आदेश को क्यों ना रद्द कर दिया जाए.

70 फीसदी ट्यूशन फीस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने अधिकारियों को किया तलब

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख माध्यमिक शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और सोसाइटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन्स इंस्टीट्यूशन इन राजस्थान को नोटिस जारी कर पूछा है कि ट्यूशन फीस का 70 फीसदी वसूलने के संबंध में एकलपीठ की ओर से गत 7 दिसंबर को दिए आदेश को क्यों ना रद्द कर दिया जाए. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश सुनील समदड़िया की अपील पर दिए.

अपील में कहा गया कि राज्य सरकार ने गत 9 अप्रैल और 7 जुलाई को आदेश जारी कर स्कूल खुलने तक फीस को स्थगित कर अभिभावकों को राहत दी थी. वहीं एकलपीठ ने गत 7 सितंबर को अंतरिम आदेश जारी कर स्कूल बंद रहने और प्रभावी शिक्षा नहीं देने के बावजूद स्कूलों को ट्यूशन फीस का 70 फीसदी हिस्सा वसूलने की छूट दे दी.

पढ़ें- अजमेर : PTET की परीक्षा में सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां, जानें पूरा मामला

जबकि नियमानुसार याचिका में मांगी गई फाइनल रिलीफ को अंतरिम आदेश में नहीं दिया जा सकता. इसके अलावा एकलपीठ ने प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन को मुख्य याचिकाकर्ता मानते हुए आदेश दिया था, जबकि यह एसोसिएशन पंजीकृत ही नहीं है.

वहीं एकलपीठ ने आदेश देने से पहले अभिभावकों के पक्ष को भी नहीं सुना. अपील में यह भी कहा गया कि एकलपीठ में राज्य सरकार के आदेशों को स्थगित किए बिना 70 फीसदी फीस वसूली के आदेश दे दिए. इसके अलावा कई स्कूलों ने ट्यूशन फीस को अलग से भी नहीं दर्शा रखा है. अपील में कहा गया कि एकलपीठ के आदेश को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रमुख माध्यमिक शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और सोसाइटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन्स इंस्टीट्यूशन इन राजस्थान को नोटिस जारी कर पूछा है कि ट्यूशन फीस का 70 फीसदी वसूलने के संबंध में एकलपीठ की ओर से गत 7 दिसंबर को दिए आदेश को क्यों ना रद्द कर दिया जाए. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश सुनील समदड़िया की अपील पर दिए.

अपील में कहा गया कि राज्य सरकार ने गत 9 अप्रैल और 7 जुलाई को आदेश जारी कर स्कूल खुलने तक फीस को स्थगित कर अभिभावकों को राहत दी थी. वहीं एकलपीठ ने गत 7 सितंबर को अंतरिम आदेश जारी कर स्कूल बंद रहने और प्रभावी शिक्षा नहीं देने के बावजूद स्कूलों को ट्यूशन फीस का 70 फीसदी हिस्सा वसूलने की छूट दे दी.

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जबकि नियमानुसार याचिका में मांगी गई फाइनल रिलीफ को अंतरिम आदेश में नहीं दिया जा सकता. इसके अलावा एकलपीठ ने प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन को मुख्य याचिकाकर्ता मानते हुए आदेश दिया था, जबकि यह एसोसिएशन पंजीकृत ही नहीं है.

वहीं एकलपीठ ने आदेश देने से पहले अभिभावकों के पक्ष को भी नहीं सुना. अपील में यह भी कहा गया कि एकलपीठ में राज्य सरकार के आदेशों को स्थगित किए बिना 70 फीसदी फीस वसूली के आदेश दे दिए. इसके अलावा कई स्कूलों ने ट्यूशन फीस को अलग से भी नहीं दर्शा रखा है. अपील में कहा गया कि एकलपीठ के आदेश को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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