ETV Bharat / city

राजस्थान हाईकोर्ट ने जांच अधिकारी को आरएसएमडीसी से मूल विभाग में भेजने पर लगाई रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम के एक कर्मचारी के मामले में जांच अधिकारी को रिपोर्ट देने पर जांच अधिकारी को ही मूल विभाग में वापस भेजने के आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

rajasthan highcourt
राजस्थान हाईकोर्ट ने जांच अधिकारी को आरएसएमडीसी से मूल विभाग में भेजने पर लगाई रोक
author img

By

Published : Nov 11, 2020, 6:16 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम के एक कर्मचारी के मामले में जांच अधिकारी बन रिपोर्ट देने पर जांच अधिकारी को मूल विभाग में वापस भेजने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश रवि मीणा की याचिका पर दिए.

पढ़ें: आजीविका के अधिकार से बड़ा है जीवन जीने का अधिकार : HC

याचिका में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि कॉलेज शिक्षा में तैनात याचिकाकर्ता को तीन साल के लिए आरएसएमडीसी में डीजीएम पद पर प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था. यहां प्रतिनियिुक्ति पर आए अन्य व्यक्ति के मामले में उसे जांच अधिकारी बनाया गया था. प्रकरण में एमडी ने संबंधित व्यक्ति को दोषी मानते हुए गत एक जुलाई को मूल विभाग में भेज दिया. वहीं बाद में मंत्री के दखल से चेयरमैन ने एमडी के आदेश को निरस्त कर एमडी का तबादला कर दिया.

दूसरी ओर गत 29 अक्टूबर को याचिकाकर्ता को भी तय समय से दो साल पहले मूल विभाग में भेजने के आदेश जारी कर दिए. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई शिकायत नहीं होने के बावजूद दस माह बाद ही उसकी प्रतिनियुक्ति समाप्त कर मूल विभाग में भेज दिया गया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने 29 अक्टूबर के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किए हैं.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम के एक कर्मचारी के मामले में जांच अधिकारी बन रिपोर्ट देने पर जांच अधिकारी को मूल विभाग में वापस भेजने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश रवि मीणा की याचिका पर दिए.

पढ़ें: आजीविका के अधिकार से बड़ा है जीवन जीने का अधिकार : HC

याचिका में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि कॉलेज शिक्षा में तैनात याचिकाकर्ता को तीन साल के लिए आरएसएमडीसी में डीजीएम पद पर प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था. यहां प्रतिनियिुक्ति पर आए अन्य व्यक्ति के मामले में उसे जांच अधिकारी बनाया गया था. प्रकरण में एमडी ने संबंधित व्यक्ति को दोषी मानते हुए गत एक जुलाई को मूल विभाग में भेज दिया. वहीं बाद में मंत्री के दखल से चेयरमैन ने एमडी के आदेश को निरस्त कर एमडी का तबादला कर दिया.

दूसरी ओर गत 29 अक्टूबर को याचिकाकर्ता को भी तय समय से दो साल पहले मूल विभाग में भेजने के आदेश जारी कर दिए. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई शिकायत नहीं होने के बावजूद दस माह बाद ही उसकी प्रतिनियुक्ति समाप्त कर मूल विभाग में भेज दिया गया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने 29 अक्टूबर के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.