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राजस्थान हाईकोर्ट ने चयन के बावजूद नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने जनसंपर्क अधिकारी भर्ती-2019 में चयन के बावजूद अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं देने पर सूचना एवं जनसंपर्क निदेशक और आरपीएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने को कहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश राजेश कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने चयन के बावजूद नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब
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Published : May 5, 2021, 8:28 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जनसंपर्क अधिकारी भर्ती-2019 में चयन के बावजूद अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं देने पर सूचना एवं जनसंपर्क निदेशक और आरपीएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने को कहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश राजेश कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट ने चिकित्सक के तबादला आदेश पर रोक लगाई, मांगा जवाब

याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि आरपीएससी ने जून, 2019 में जनसंपर्क अधिकारी भर्ती निकाली थी. जिसमें याचिकाकर्ता को चयनित किया गया. दस्तावेज सत्यापन के बाद अन्य अभ्यर्थियों को तो नियुक्ति दे दी गई, वहीं याचिकाकर्ता को चयन से वंचित कर दिया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के लिए आरपीएससी ने अपनी सिफारिश विभाग में भेज दी, लेकिन विभाग ने उसे चयन से वंचित करने के लिए उस पर वे शर्ते लगा दी गई जो ना तो नियमों तय की गई हैं और ना ही विज्ञापन में बताई गई थी.

राजस्थान हाईकोर्ट

जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जनसंपर्क अधिकारी भर्ती-2019 में चयन के बावजूद अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं देने पर सूचना एवं जनसंपर्क निदेशक और आरपीएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने को कहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश राजेश कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट ने चिकित्सक के तबादला आदेश पर रोक लगाई, मांगा जवाब

याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि आरपीएससी ने जून, 2019 में जनसंपर्क अधिकारी भर्ती निकाली थी. जिसमें याचिकाकर्ता को चयनित किया गया. दस्तावेज सत्यापन के बाद अन्य अभ्यर्थियों को तो नियुक्ति दे दी गई, वहीं याचिकाकर्ता को चयन से वंचित कर दिया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के लिए आरपीएससी ने अपनी सिफारिश विभाग में भेज दी, लेकिन विभाग ने उसे चयन से वंचित करने के लिए उस पर वे शर्ते लगा दी गई जो ना तो नियमों तय की गई हैं और ना ही विज्ञापन में बताई गई थी.

राजस्थान हाईकोर्ट

जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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