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राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा- एसएमएस अधीक्षक आकर बताएं अदालती आदेश की पालना क्यों नहीं हुई - jaipur news

राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए नियुक्त लैब टेक्नीशियन को पुन सेवा में नहीं लेने पर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक को 30 जनवरी को पेश होने के आदेश दिए हैं.

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Published : Jan 28, 2021, 9:44 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए नियुक्त लैब टेक्नीशियन को पुन सेवा में नहीं लेने पर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक को 30 जनवरी को पेश होने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश कौशलेश पांडे की याचिका पर दिए.

राजस्थान हाईकोर्ट

पढे़ं: Rajashtan Highcourt ने आईपीएस सत्यवीर सिंह को रेंज आईजी बनाने पर मांगा जवाब

अदालत ने कहा कि कोर्ट बार-बार निर्देश दे चुका है कि सरकारी अस्पताल और कार्यालयों में कर्मचारी प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए नहीं लिए जाए. इसके अलावा अदालत याचिकाकर्ता को पुन पद पर लेने के निर्देश दे चुकी है. इसके बावजूद आदेश की पालना नहीं हुई. जिसके चलते यह सीधे तौर पर कोर्ट के आदेश की अवमानना है.

याचिका में कहा गया कि उसे मौखिक आदेश जारी कर सेवा से अलग कर दिया था. इस पर हाईकोर्ट ने गत 6 अक्टूबर को पुन सेवा में लेने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया था. इसके बावजूद उसे अब तक सेवा में नहीं लिया गया. इसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि एसएमएस प्रशासन याचिकाकर्ता का नियोक्ता नहीं है. वह प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए नियुक्त हुआ था. इसलिए एसएमएस अधीक्षक ने संबंधित प्लेसमेंट एजेन्सी पत्र लिखकर याचिकाकर्ता को सेवा में लेने को कहा था.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए नियुक्त लैब टेक्नीशियन को पुन सेवा में नहीं लेने पर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक को 30 जनवरी को पेश होने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश कौशलेश पांडे की याचिका पर दिए.

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अदालत ने कहा कि कोर्ट बार-बार निर्देश दे चुका है कि सरकारी अस्पताल और कार्यालयों में कर्मचारी प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए नहीं लिए जाए. इसके अलावा अदालत याचिकाकर्ता को पुन पद पर लेने के निर्देश दे चुकी है. इसके बावजूद आदेश की पालना नहीं हुई. जिसके चलते यह सीधे तौर पर कोर्ट के आदेश की अवमानना है.

याचिका में कहा गया कि उसे मौखिक आदेश जारी कर सेवा से अलग कर दिया था. इस पर हाईकोर्ट ने गत 6 अक्टूबर को पुन सेवा में लेने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया था. इसके बावजूद उसे अब तक सेवा में नहीं लिया गया. इसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि एसएमएस प्रशासन याचिकाकर्ता का नियोक्ता नहीं है. वह प्लेसमेंट एजेन्सी के जरिए नियुक्त हुआ था. इसलिए एसएमएस अधीक्षक ने संबंधित प्लेसमेंट एजेन्सी पत्र लिखकर याचिकाकर्ता को सेवा में लेने को कहा था.

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