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Rajasthan Highcourt Order: अग्रिम जमानत के बाद भी आरोपियों को जेल भेजा, रजिस्ट्रार जनरल करे मामले में उचित कार्रवाई - dausa pocso court decision

राजस्थान हाईकोर्ट ने पॉक्सो मामले में आरोपी बहन और पिता को अग्रिम जमानत मिलने के बाद भी दौसा पॉक्सो कोर्ट की ओर से जेल भेजने की कार्रवाई की भर्त्सना की है. कोर्ट ने इस मामले को रजिस्ट्रार जनरल के पास भेजा है.

Rajasthan Highcourt Order
हाईकोर्ट का निर्देश रजिस्ट्रार जनरल करे मामले में उचित कार्रवाई
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Published : Dec 10, 2021, 8:53 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पॉक्सो मामले में आरोपी बहन और पिता को अग्रिम जमानत मिलने के बाद भी दौसा की पॉक्सो कोर्ट की ओर से दोनों को जेल भेजने की कार्रवाई की भर्त्सना की है. साथ ही अदालत ने मामले को उचित कार्रवाई के लिए रजिस्ट्रार जनरल के पास भेजा है. जस्टिस फरजंद अली ने यह आदेश आरोपी पिता व बेटी की जमानत याचिकाओं को मंजूर करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि ट्रायल न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के निर्णयों की अनदेखी करते हुए अपने मस्तिष्क का उपयोग नहीं किया और मशीनी अंदाज में आदेश जारी कर दिया. लोक अभियोजक शेरसिंह महला ने बताया कि नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में सिकंदरा पुलिस थाने में वर्ष 2019 में आरोपी व पीड़िता की बडी बहन और पिता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने जांच कर आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र पेश कर दिया.

पढ़ें. जनहित में ज्यादा से ज्यादा लोगों को पट्टा देना चाहते हैं: राज्य सरकार

इस दौरान पीड़िता की बहन व पिता को मामले में आरोपी बनाने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए. गिरफ्तारी वारंट को आरोपियों ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अदालत से अग्रिम जमानत मांगी. जिस पर हाईकोर्ट ने दोनों को अग्रिम जमानत दे दी, लेकिन जब वे दोनों पॉक्सो कोर्ट में पेश हुए तो अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया और जमानत अर्जी भी खारिज कर दी.

इस पर आरोपियों ने हाईकोर्ट ने नियमित जमानत याचिका पेश की. इस पर अदालत ने पॉक्सो कोर्ट की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए मामले को कार्रवाई के लिए रजिस्ट्रार जनरल के पास भेजा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पॉक्सो मामले में आरोपी बहन और पिता को अग्रिम जमानत मिलने के बाद भी दौसा की पॉक्सो कोर्ट की ओर से दोनों को जेल भेजने की कार्रवाई की भर्त्सना की है. साथ ही अदालत ने मामले को उचित कार्रवाई के लिए रजिस्ट्रार जनरल के पास भेजा है. जस्टिस फरजंद अली ने यह आदेश आरोपी पिता व बेटी की जमानत याचिकाओं को मंजूर करते हुए दिए.

अदालत ने कहा कि ट्रायल न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के निर्णयों की अनदेखी करते हुए अपने मस्तिष्क का उपयोग नहीं किया और मशीनी अंदाज में आदेश जारी कर दिया. लोक अभियोजक शेरसिंह महला ने बताया कि नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में सिकंदरा पुलिस थाने में वर्ष 2019 में आरोपी व पीड़िता की बडी बहन और पिता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने जांच कर आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र पेश कर दिया.

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इस दौरान पीड़िता की बहन व पिता को मामले में आरोपी बनाने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए. गिरफ्तारी वारंट को आरोपियों ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अदालत से अग्रिम जमानत मांगी. जिस पर हाईकोर्ट ने दोनों को अग्रिम जमानत दे दी, लेकिन जब वे दोनों पॉक्सो कोर्ट में पेश हुए तो अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया और जमानत अर्जी भी खारिज कर दी.

इस पर आरोपियों ने हाईकोर्ट ने नियमित जमानत याचिका पेश की. इस पर अदालत ने पॉक्सो कोर्ट की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए मामले को कार्रवाई के लिए रजिस्ट्रार जनरल के पास भेजा है.

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