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ब्लैक फंगस के मरीजों का प्रभावी इलाज नहीं होने पर हाई कोर्ट ने केन्द्र से मांगा जवाब

प्रदेश में ब्लैक फंगस बीमारी को महामारी घोषित करने के बाद भी इसके मरीजों का प्रभावी इलाज नहीं करने और आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट ने केन्द्र सरकार को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

राजस्थान हाई कोर्ट, Rajasthan High Court
राजस्थान हाई कोर्ट
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Published : Jun 16, 2021, 10:22 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ब्लैक फंगस बीमारी को महामारी घोषित करने के बाद भी इसके मरीजों का प्रभावी इलाज नहीं करने और आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी को लेकर केन्द्र सरकार को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश सिद्धार्थ जैन की जनहित याचिका पर दिए.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से प्रार्थना पत्र पेश कर मामले में केन्द्र सरकार को पक्षकार बनाने की गुहार की, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने केन्द्र को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है. अदालत इससे पहले राज्य के मुख्य सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी कर चुकी है.

यह भी पढ़ेंः दिल्ली दरबार से जयपुर लौटे पायलट...गहलोत समर्थक विधायक संदीप यादव पर बरसे इंद्राज गुर्जर

याचिका में बताया कि राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस बीमारी को महामारी तो घोषित कर दिया, लेकिन अस्पतालों में इस बीमारी का उचित इलाज मुहैया नहीं हो रहा. बीमारी के इलाज में काम आ रहे इंजेक्शन लिपोसोमल अम्फोटेरिसिन बाजार में मिल ही नहीं रहे हैं, जबकि डॉक्टर्स मरीजों के परिजनों को 40 से 50 इंजेक्शन लाने के लिए पर्ची थमा रहे हैं. ऐसे में मरीजों को इंजेक्शन नहीं लगने के कारण उनकी मौत हो रही है, इसलिए ब्लैक फंगस बीमारी के इलाज में काम आ रहे इंजेक्शनों को सीधे ही अस्पतालों में मुहैया कराए.

याचिका में गुहार की गई है कि ब्लैक फंगस के इलाज की सभी दवाइयों की कालाबाजारी को रोकते हुए इसे मरीजों को निशुल्क उपलब्ध कराया जाए. इसके साथ ही ब्लैक फंगस से स्थाई दिव्यांगता या मौत होने पर मरीज के आश्रितों को 5 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ब्लैक फंगस बीमारी को महामारी घोषित करने के बाद भी इसके मरीजों का प्रभावी इलाज नहीं करने और आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी को लेकर केन्द्र सरकार को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश सिद्धार्थ जैन की जनहित याचिका पर दिए.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से प्रार्थना पत्र पेश कर मामले में केन्द्र सरकार को पक्षकार बनाने की गुहार की, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने केन्द्र को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है. अदालत इससे पहले राज्य के मुख्य सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी कर चुकी है.

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याचिका में बताया कि राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस बीमारी को महामारी तो घोषित कर दिया, लेकिन अस्पतालों में इस बीमारी का उचित इलाज मुहैया नहीं हो रहा. बीमारी के इलाज में काम आ रहे इंजेक्शन लिपोसोमल अम्फोटेरिसिन बाजार में मिल ही नहीं रहे हैं, जबकि डॉक्टर्स मरीजों के परिजनों को 40 से 50 इंजेक्शन लाने के लिए पर्ची थमा रहे हैं. ऐसे में मरीजों को इंजेक्शन नहीं लगने के कारण उनकी मौत हो रही है, इसलिए ब्लैक फंगस बीमारी के इलाज में काम आ रहे इंजेक्शनों को सीधे ही अस्पतालों में मुहैया कराए.

याचिका में गुहार की गई है कि ब्लैक फंगस के इलाज की सभी दवाइयों की कालाबाजारी को रोकते हुए इसे मरीजों को निशुल्क उपलब्ध कराया जाए. इसके साथ ही ब्लैक फंगस से स्थाई दिव्यांगता या मौत होने पर मरीज के आश्रितों को 5 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए.

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