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राजस्थान हाईकोर्ट ने कारगिल शहीद की बेटी को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब - Rajasthan Latest News

राजस्थान हाईकोर्ट ने कारगिल युद्ध में शहीद सैन्यकर्मी की बेटी को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने पर कार्मिक सचिव से जवाब मांगा है.

Rajasthan High Court,  Rajasthan High Court Hearing
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Sep 25, 2021, 6:38 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैन्यकर्मी की बेटी को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने पर कार्मिक सचिव और अलवर कलेक्टर सहित अन्य से जवाब मांगा है. न्यायाधीश अरुण भंसाली ने यह आदेश रेखा चौहान की याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता के पिता सत्यवीर सिंह 28 जून 1999 को कारगिल में युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे. उस समय याचिकाकर्ता की उम्र सात साल थी. वर्ष 2013 में स्नातक होने के बाद याचिकाकर्ता ने सैनिक कल्याण कार्यालय में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया. जिसे अधिकारियों से स्वीकार कर अलवर कलेक्टर के पास भेज दिया.

पढ़ेंः दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास, पॉक्सो की विशेष कोर्ट ने सुनाया फैसला...दिल्ली से नेपाल ले जाकर किया युवती से रेप

याचिका में कहा गया कि दो साल तक कलेक्टर कार्यालय की ओर से कार्रवाई नहीं की गई. इस दौरान नवंबर 2015 में याचिकाकर्ता का विवाह हो गया. वहीं जनवरी 2016 में कार्मिक विभाग ने विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति का अधिकारी नहीं बताकर आवेदन खारिज कर दिया. याचिका में कहा गया कि आवेदन के समय याचिकाकर्ता अविवाहित थी. ऐसे में उसे अनुकंपा नियुक्ति दी जानी चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैन्यकर्मी की बेटी को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने पर कार्मिक सचिव और अलवर कलेक्टर सहित अन्य से जवाब मांगा है. न्यायाधीश अरुण भंसाली ने यह आदेश रेखा चौहान की याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता के पिता सत्यवीर सिंह 28 जून 1999 को कारगिल में युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे. उस समय याचिकाकर्ता की उम्र सात साल थी. वर्ष 2013 में स्नातक होने के बाद याचिकाकर्ता ने सैनिक कल्याण कार्यालय में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया. जिसे अधिकारियों से स्वीकार कर अलवर कलेक्टर के पास भेज दिया.

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याचिका में कहा गया कि दो साल तक कलेक्टर कार्यालय की ओर से कार्रवाई नहीं की गई. इस दौरान नवंबर 2015 में याचिकाकर्ता का विवाह हो गया. वहीं जनवरी 2016 में कार्मिक विभाग ने विवाहित पुत्री को अनुकंपा नियुक्ति का अधिकारी नहीं बताकर आवेदन खारिज कर दिया. याचिका में कहा गया कि आवेदन के समय याचिकाकर्ता अविवाहित थी. ऐसे में उसे अनुकंपा नियुक्ति दी जानी चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

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