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Rajasthan High Court: राजीनामे से बरी होने के आधार पर नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब

राजस्थान हाइकोर्ट ने कॉन्स्टेबल भर्ती- 2019 में चयन के बावजूद आपराधिक मामले में राजीनामे के आधार पर बरी होने का हवाला देते हुए भूतपूर्व सैनिक को नियुक्ति नहीं देने पर प्रमुख गृह सचिव और डीजीपी से जवाब मांगा है.

Rajasthan High Court
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Published : Nov 12, 2021, 12:56 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने कॉन्स्टेबल भर्ती- 2019 में चयन के बावजूद आपराधिक मामले में राजीनामे के आधार पर बरी होने का हवाला देते हुए भूतपूर्व सैनिक को नियुक्ति नहीं देने पर प्रमुख गृह सचिव और डीजीपी से जवाब मांगा है. जस्टिस महेंद्र गोयल ने यह आदेश राकेश कुमार की याचिका पर दिए.

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याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की पत्नी ने उसके विरुद्ध वर्ष 2016 में दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था. दोनों पक्षों के बीच राजीनामा होने पर वर्ष 2016 में ही कोर्ट ने उसे संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. याचिकाकर्ता ने भर्ती आवेदन में आपराधिक प्रकरण की जानकारी भी दी थी.

वहीं, चयन के बाद विभाग ने यह कहते हुए नियुक्ति देने से इनकार कर दिया कि वह आपराधिक मामले में लिप्त रहा है और संदेह के लाभ के आधार पर बरी हुआ है. याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से अवतार सिंह के मामले में दिए निर्देशों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति राजीनामे के आधार पर दोषमुक्त हुआ है तो उसे नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने कॉन्स्टेबल भर्ती- 2019 में चयन के बावजूद आपराधिक मामले में राजीनामे के आधार पर बरी होने का हवाला देते हुए भूतपूर्व सैनिक को नियुक्ति नहीं देने पर प्रमुख गृह सचिव और डीजीपी से जवाब मांगा है. जस्टिस महेंद्र गोयल ने यह आदेश राकेश कुमार की याचिका पर दिए.

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याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की पत्नी ने उसके विरुद्ध वर्ष 2016 में दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था. दोनों पक्षों के बीच राजीनामा होने पर वर्ष 2016 में ही कोर्ट ने उसे संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. याचिकाकर्ता ने भर्ती आवेदन में आपराधिक प्रकरण की जानकारी भी दी थी.

वहीं, चयन के बाद विभाग ने यह कहते हुए नियुक्ति देने से इनकार कर दिया कि वह आपराधिक मामले में लिप्त रहा है और संदेह के लाभ के आधार पर बरी हुआ है. याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से अवतार सिंह के मामले में दिए निर्देशों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति राजीनामे के आधार पर दोषमुक्त हुआ है तो उसे नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

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