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बिना तैयारी पेश की गई जनहित याचिका पर कोर्ट नहीं ले सकती प्रसंज्ञान-हाईकोर्ट - डीएमएफटी फंड राजस्थान

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए कहा है कि भले ही याचिकाकर्ता ने सिलिकोसिस पीड़ित खान श्रमिकों के लिए बने डीएमएफटी फंड का उपयोग नहीं करने जैसा महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है, लेकिन बिना तैयारी पेश की गई याचिका पर सुनवाई की अनुमति नहीं दी जा सकती.

Rajasthan high court
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Published : Nov 13, 2021, 4:03 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ( Rajasthan High Court) ने सिलिकोसिस पीड़ित खान श्रमिकों के लिए बने डीएमएफटी फंड का उपयोग नहीं करने से जुड़े मामले में दायर जनहित याचिका में दखल से इनकार कर दिया है.

अदालत ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका के जरिए महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है, लेकिन बिना तैयारी और आवश्यक सूचनाएं एकत्रित किए बिना पेश प्रकरण पर सुनवाई की अनुमति नहीं दी जा सकती. सीजे अकील कुरैशी और जस्टिस रेखा बोराणा की खंडपीठ ने यह आदेश बाबूलाल जाजू की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हम याचिकाकर्ता के लिए कोर्ट के दरवाजे हमेशा के लिए बंद नहीं कर रहे हैं. यदि याचिकाकर्ता मामले में आवश्यक दस्तावेज और पूरी तैयारी के साथ आते हैं तो अदालत ज्यादा गंभीरता से उस पर विचार करेगी.

पढ़ें: police search in jail: जयपुर सेंट्रल जेल में पहुंचे 500 पुलिसकर्मी, जेल का चप्पा-चप्पा खंगालने में जुटे

जनहित याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार ने खनन कार्य में लगे श्रमिकों और सिलिकोसिस बीमारी से पीड़ितों की देखभाल के लिए डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट बना रखा है. इसके तहत राज्य सरकार ने एक फंड का गठन किया है.

पढ़ें: Jaipur: T20 मैच से पहले राजधानी में मिला बमनुमा Object, मचा हड़कंप ...अलर्ट पर जांच एजेंसियां

डीएमएफटी नियम, 2016 (DMFT Rules, 2016) के तहत फंड का साठ फीसदी बजट उच्च वरीयता वाले मदों पेयजल, पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल कल्याण आदि के लिए और चालीस फीसदी अन्य वरीयता में शामिल मदों में करने का प्रावधान है. इसके बावजूद राज्य सरकार उच्च वरीयता के मदों में फंड को खर्च नहीं कर रही है। जिससे खान श्रमिकों के हितों का हनन हो रहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ( Rajasthan High Court) ने सिलिकोसिस पीड़ित खान श्रमिकों के लिए बने डीएमएफटी फंड का उपयोग नहीं करने से जुड़े मामले में दायर जनहित याचिका में दखल से इनकार कर दिया है.

अदालत ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका के जरिए महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है, लेकिन बिना तैयारी और आवश्यक सूचनाएं एकत्रित किए बिना पेश प्रकरण पर सुनवाई की अनुमति नहीं दी जा सकती. सीजे अकील कुरैशी और जस्टिस रेखा बोराणा की खंडपीठ ने यह आदेश बाबूलाल जाजू की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हम याचिकाकर्ता के लिए कोर्ट के दरवाजे हमेशा के लिए बंद नहीं कर रहे हैं. यदि याचिकाकर्ता मामले में आवश्यक दस्तावेज और पूरी तैयारी के साथ आते हैं तो अदालत ज्यादा गंभीरता से उस पर विचार करेगी.

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जनहित याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार ने खनन कार्य में लगे श्रमिकों और सिलिकोसिस बीमारी से पीड़ितों की देखभाल के लिए डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट बना रखा है. इसके तहत राज्य सरकार ने एक फंड का गठन किया है.

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डीएमएफटी नियम, 2016 (DMFT Rules, 2016) के तहत फंड का साठ फीसदी बजट उच्च वरीयता वाले मदों पेयजल, पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल कल्याण आदि के लिए और चालीस फीसदी अन्य वरीयता में शामिल मदों में करने का प्रावधान है. इसके बावजूद राज्य सरकार उच्च वरीयता के मदों में फंड को खर्च नहीं कर रही है। जिससे खान श्रमिकों के हितों का हनन हो रहा है.

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