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एक साल की पढ़ाई के बाद EWS के छात्रों का प्रवेश अमान्य क्यों : HC

राजस्थान हाई कोर्ट ने कॉलेज शिक्षा सचिव राजस्थान विश्वविद्यालय और बार काउंसिल ऑफ इंडिया सहित अन्य को नोटिस जारी कर पूछा है कि एक साल कानून की पढ़ाई के बाद ईडब्ल्यूएस के छात्रों का प्रवेश अमान्य क्यों माना जा रहा है ?

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हाई कोर्ट ने पूछा कि एक साल की पढ़ाई के बाद EWS के छात्रों का प्रवेश अमान्य क्यों?
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Published : Dec 16, 2020, 4:44 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कॉलेज शिक्षा सचिव राजस्थान विश्वविद्यालय और बार काउंसिल ऑफ इंडिया सहित अन्य को नोटिस जारी कर पूछा है कि एक साल कानून की पढ़ाई के बाद ईडब्ल्यूएस के छात्रों का प्रवेश अमान्य क्यों माना जा रहा है ? इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता छात्रों के परीक्षा प्रवेश पत्र जारी करने को कहा है.

हाई कोर्ट ने पूछा कि एक साल की पढ़ाई के बाद EWS के छात्रों का प्रवेश अमान्य क्यों?

न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश आनंद शर्मा और अन्य की याचिका पर दिए हैं. याचिका में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने प्रवेश नीति के तहत ईडब्ल्यूएस के अभ्यर्थियों को विधि संकाय में प्रवेश के लिए स्नातक के अंकों में 5 फीसदी की छूट दी थी. इसका लाभ लेते हुए याचिकाकर्ताओं ने निजी लॉ कॉलेज में प्रवेश ले लिया. वहीं अब विश्वविद्यालय की ओर से यह कहा जा रहा है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने स्नातक में न्यूनतम 45 फीसदी अंक रखने वालों को एलएलबी पाठ्यक्रम के पात्र माना है.

यह भी पढ़ें- राजस्थान : निजी स्कूलों की फीस वसूली के मामले में बहस पूरी, फैसला सुरक्षित

बीसीआई ने आज तक इन न्यूनतम अंको में कोई छूट नहीं दी है. ऐसे में इन छात्रों को राज्य सरकार की ओर से दी गई 5 फीसदी अंकों की छूट का लाभ नहीं दिया जा सकता. इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने प्रथम वर्ष की परीक्षा को लेकर इनका प्रवेश पत्र भी जारी करने से इनकार कर दिया है. याचिका में कहा गया राज्य सरकार और विश्वविद्यालय के बीच समन्वय के अभाव का खामियाजा छात्रों को नहीं भुगताया जा सकता है. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ताओं के परीक्षा प्रवेश पत्र जारी करने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कॉलेज शिक्षा सचिव राजस्थान विश्वविद्यालय और बार काउंसिल ऑफ इंडिया सहित अन्य को नोटिस जारी कर पूछा है कि एक साल कानून की पढ़ाई के बाद ईडब्ल्यूएस के छात्रों का प्रवेश अमान्य क्यों माना जा रहा है ? इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता छात्रों के परीक्षा प्रवेश पत्र जारी करने को कहा है.

हाई कोर्ट ने पूछा कि एक साल की पढ़ाई के बाद EWS के छात्रों का प्रवेश अमान्य क्यों?

न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश आनंद शर्मा और अन्य की याचिका पर दिए हैं. याचिका में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने प्रवेश नीति के तहत ईडब्ल्यूएस के अभ्यर्थियों को विधि संकाय में प्रवेश के लिए स्नातक के अंकों में 5 फीसदी की छूट दी थी. इसका लाभ लेते हुए याचिकाकर्ताओं ने निजी लॉ कॉलेज में प्रवेश ले लिया. वहीं अब विश्वविद्यालय की ओर से यह कहा जा रहा है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने स्नातक में न्यूनतम 45 फीसदी अंक रखने वालों को एलएलबी पाठ्यक्रम के पात्र माना है.

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बीसीआई ने आज तक इन न्यूनतम अंको में कोई छूट नहीं दी है. ऐसे में इन छात्रों को राज्य सरकार की ओर से दी गई 5 फीसदी अंकों की छूट का लाभ नहीं दिया जा सकता. इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने प्रथम वर्ष की परीक्षा को लेकर इनका प्रवेश पत्र भी जारी करने से इनकार कर दिया है. याचिका में कहा गया राज्य सरकार और विश्वविद्यालय के बीच समन्वय के अभाव का खामियाजा छात्रों को नहीं भुगताया जा सकता है. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ताओं के परीक्षा प्रवेश पत्र जारी करने को कहा है.

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