जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के गत 24 मई के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत प्रारंभिक शिक्षा के शिक्षकों को माध्यमिक शिक्षा विभाग में भेजने के निर्देश दिए गए (prohibits sending teachers of elementary education) थे. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख शिक्षा सचिव और निदेशक से जवाब तलब किया है.
जस्टिस रामेश्वर व्यास की एकलपीठ ने यह आदेश आशा जोशी अन्य की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि कार्मिक विभाग ने 26 जून, 2021 को शिक्षा सेवा नियम बनाकर वरीयता के आधार पर पंचायती राज विभाग के अधीन कार्यरत शिक्षकों को माध्यमिक शिक्षा की स्कूलों में रिक्त पदों पर भरने का प्रावधान किया. इसकी पालना में विभाग ने प्रारंभिक शिक्षा में कार्यरत शिक्षकों की सूची बनाकर उन्हें माध्यमिक शिक्षा विभाग में भेजने के लिए काउंसलिंग शुरू कर दी.
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याचिका में कहा गया कि शिक्षा सेवा नियम 6 के उपनियम 3 के तहत सिर्फ वरीयता के आधार पर ही प्रारंभिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों का समायोजन माध्यमिक शिक्षा में किया जा सकता है. इसके बावजूद विभाग ने आनन-फानन में जो सूची बनाई, उसमें कई प्रकार की अनियमितता की गई हैं और उसमें कई वरिष्ठ अध्यापकों के नामों को विलोपित किया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को प्रारंभिक शिक्षा से माध्यमिक शिक्षा विभाग में भेजने पर रोक लगा दी है.