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राजस्थान हाइकोर्ट ने मोती डूंगरी गणेश मंदिर के आसपास अतिक्रमण को 2 सप्ताह में हटाने के दिए आदेश

राजस्थान हाइकोर्ट ने मोती डूंगरी गणेश मंदिर के आसपास अतिक्रमण के मामले में 2 सप्ताह पूर्व में दिए आदेश की पालना में अतिक्रमण हटाने को कहा है. ऐसा नहीं करने पर अदालत ने स्वायत्त शासन सचिव को 27 फरवरी को पेश होने के आदेश दिए हैं.

मोती डूंगरी गणेश मंदिर मामला,  Moti Dungri Ganesh Temple Case
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Feb 11, 2020, 7:36 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने मोती डूंगरी गणेश मंदिर के आसपास अतिक्रमण के मामले में मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा है कि आज दुनिया चांद पर पहुंच गई है, लेकिन निगम अब तक मंदिर से जुड़े अतिक्रमण का पता नहीं लगा पाई है. अदालत ने कहा कि लगता है कि अफसरों में अतिक्रमण हटाने की इच्छा शक्ति ही नहीं है.

मोती डूंगरी गणेश मंदिर के आसपास अतिक्रमण को 2 सप्ताह में हटाने के दिए आदेश

साथ ही अदालत ने 2 सप्ताह पूर्व में दिए आदेश की पालना में अतिक्रमण हटाने को कहा है. ऐसा नहीं करने पर अदालत ने स्वायत्त शासन सचिव को 27 फरवरी को पेश होने के आदेश दिए हैं. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और न्यायाधीश अशोक गोड़ की खंडपीठ ने यह आदेश मामले में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

पढ़ें- राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस के दौरान सदन में हंगामा, विधायक लाहोटी ने दिया ये विवादित बयान

इसी तरह अदालत ने शहर को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने के मामले में निगम और जेडीए सहित प्रकरण से जुड़े पक्षकारों को 14 फरवरी को शाम 5 बजे मोती डूंगरी रोड और म्यूजियम रोड का दौरा कर अतिक्रमण के संबंध में रिपोर्ट पेश करने को कहा है. जबकि अदालत ने आवारा पशुओं को पकड़ने और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में दखल देने के मामले में विधायक कालीचरण सराफ और रफीक खान को जवाब पेश करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है.

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता विमल चौधरी ने अदालत को बताया की मोती डूंगरी गणेश मंदिर से जुड़े अतिक्रमण को लेकर हाइकोर्ट पूर्व में आदेश देकर प्रभावितों का पुनर्वास करने के संबंध में आदेश दिए थे, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं, राज्य सरकार की ओर से एएजी ने कहा कि अतिक्रमण चिन्हित करने के लिए 4 सप्ताह का समय लगेगा. जबकि शहर को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने से जुड़े मामले में न्यायमित्र विमल चौधरी ने कहा कि शहर में चल रही दूध डेयरी संचालकों को वर्ष 2004 में भूमि आवंटित हो चुकी है, लेकिन उन भूमियों को संचालकों ने बेच दिया.

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वहीं, अवैध डेयरी के बिजली कनेक्शन काटने के संबंध में भी दिए आदेश की पालना नहीं हुई. इसके अलावा मोती डूंगरी और म्यूजियम रोड से भी अतिक्रमण नहीं हटे. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने इन रोड का दौरा कर अदालत में रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने मोती डूंगरी गणेश मंदिर के आसपास अतिक्रमण के मामले में मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा है कि आज दुनिया चांद पर पहुंच गई है, लेकिन निगम अब तक मंदिर से जुड़े अतिक्रमण का पता नहीं लगा पाई है. अदालत ने कहा कि लगता है कि अफसरों में अतिक्रमण हटाने की इच्छा शक्ति ही नहीं है.

मोती डूंगरी गणेश मंदिर के आसपास अतिक्रमण को 2 सप्ताह में हटाने के दिए आदेश

साथ ही अदालत ने 2 सप्ताह पूर्व में दिए आदेश की पालना में अतिक्रमण हटाने को कहा है. ऐसा नहीं करने पर अदालत ने स्वायत्त शासन सचिव को 27 फरवरी को पेश होने के आदेश दिए हैं. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और न्यायाधीश अशोक गोड़ की खंडपीठ ने यह आदेश मामले में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

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इसी तरह अदालत ने शहर को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने के मामले में निगम और जेडीए सहित प्रकरण से जुड़े पक्षकारों को 14 फरवरी को शाम 5 बजे मोती डूंगरी रोड और म्यूजियम रोड का दौरा कर अतिक्रमण के संबंध में रिपोर्ट पेश करने को कहा है. जबकि अदालत ने आवारा पशुओं को पकड़ने और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में दखल देने के मामले में विधायक कालीचरण सराफ और रफीक खान को जवाब पेश करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है.

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता विमल चौधरी ने अदालत को बताया की मोती डूंगरी गणेश मंदिर से जुड़े अतिक्रमण को लेकर हाइकोर्ट पूर्व में आदेश देकर प्रभावितों का पुनर्वास करने के संबंध में आदेश दिए थे, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं, राज्य सरकार की ओर से एएजी ने कहा कि अतिक्रमण चिन्हित करने के लिए 4 सप्ताह का समय लगेगा. जबकि शहर को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने से जुड़े मामले में न्यायमित्र विमल चौधरी ने कहा कि शहर में चल रही दूध डेयरी संचालकों को वर्ष 2004 में भूमि आवंटित हो चुकी है, लेकिन उन भूमियों को संचालकों ने बेच दिया.

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वहीं, अवैध डेयरी के बिजली कनेक्शन काटने के संबंध में भी दिए आदेश की पालना नहीं हुई. इसके अलावा मोती डूंगरी और म्यूजियम रोड से भी अतिक्रमण नहीं हटे. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने इन रोड का दौरा कर अदालत में रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

Intro:बाईट - न्यायमित्र अधिवक्ता विमल चौधरी

जयपुर। राजस्थान हाइकोर्ट ने मोतीडूंगरी गणेश मंदिर के आसपास अतिक्रमण के मामले में मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा है की आज दुनिया चांद पर पहुँच गई है, लेकिन निगम अब तक मंदिर से जुड़े अतिक्रमण का पता नहीं लगा पाई है। अदालत ने कहा है की लगता है की अफसरों में अतिक्रमण हटाने की इच्छा शक्ति ही नहीं है। इसके साथ ही अदालत ने 2 सप्ताह में पूर्व में दिए आदेश की पालना में अतिक्रमण हटाने को कहा है। ऐसा नहीं करने पर अदालत ने स्वायत्त शासन सचिव को 27 फरवरी को पेश होने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश अशोक गोड़ की खंडपीठ ने यह आदेश मामले में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए। Body:इसी तरह अदालत ने शहर को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने के मामले में निगम और जेडीए सहित प्रकरण से जुड़े पक्षकारों को 14 फरवरी को शाम 5 बजे मोतीडूंगरी रोड और म्यूजियम रोड का दौरा कर अतिक्रमण के संबंध में रिपोर्ट पेश करने को कहा है। जबकि अदालत ने आवारा पशुओं को पकड़ने और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में दखल देने के मामले में विधायक कालीचरण सराफ और रफीक खान को जवाब पेश करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता विमल चौधरी ने अदालत को बताया की मोतीडूंगरी गणेश मंदिर से जुड़े अतिक्रमण को लेकर हाइकोर्ट पूर्व में आदेश देकर प्रभावितों का पुनर्वास करने के संबंध में आदेश दिए थे, लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। वहीं राज्य सरकार की ओर से एएजी ने कहा की अतिक्रमण चिन्हित करने के लिए 4 सप्ताह का समय लगेगा। जबकी शहर को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने से जुड़े मामले में न्यायमित्र विमल चौधरी ने कहा की शहर में चल रही दूध डेयरी संचालकों को वर्ष 2004 में भूमि आवंटित हो चुकी है, लेकिन उन भूमियों को संचालको ने बेच दिया। वहीं अवैध डेयरी के बिजली कनेक्शन काटने के संबंध में भी दिए आदेश की पालना नही हुई। इसके अलावा मोतीडूंगरी और म्यूजियम रोड से भी अतिक्रमण नहीं हटे। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने इन रोड का दौरा कर अदालत में रिपोर्ट पेश करने को कहा है।Conclusion:
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