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Rajasthan High Court ordered: 28 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त, लेकिन विभाग ने अस्थाई मानकर नहीं दिया परिलाभ

राजस्थान हाइकोर्ट ने 28 साल तक काम करने बाद सेवानिवृत्त होने पर तृतीय श्रेणी शिक्षक को (no pension to retired teacher) विभाग की ओर से सेवा परिलाभ और पेंशन नहीं देने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की है. कोर्ट ने बीकानेर के प्रारंभिक जिला शिक्षाधिकारी को तीन मई को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अपना स्पष्टीकरण पेश करने को कहा है.

High Court ordered clarification,  education department rajasthan
राजस्थान हाइकोर्ट.
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Published : Apr 9, 2022, 7:14 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां व्यक्ति ने तृतीय श्रेणी शिक्षक के रूप में 28 साल तक बच्चों को पढ़ाया और विभाग ने उसे जून 2018 में सेवानिवृत्त भी कर दिया, लेकिन उसे अस्थाई मानते हुए सेवा परिलाभ और पेंशन जारी नहीं की . मामले में अब हाइकोर्ट ने बीकानेर के प्रारंभिक जिला शिक्षाधिकारी (district education officer of Bikaner) को तीन मई को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अपना स्पष्टीकरण पेश करने को कहा है (Rajasthan High Court ordered ) .

जस्टिस इंद्रजीत सिंह ने यह आदेश दूदू ब्लॉक से 30 जून 2018 को तृतीय श्रेणी शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए रामस्वरूप शर्मा की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति बीकानेर जिले में वर्ष 1990 में हुई थी. विभाग ने उसका न तो स्थायीकरण किया और ना ही उसे चयनित वेतनमान का लाभ दिया. इसके बाद उसका तबादला जयपुर जिले में हो गया. वहीं याचिकाकर्ता ने सेवा में रहते हुए करीब 5 दर्जन अभ्यावेदन विभाग को दिए और जयपुर के जिला शिक्षा अधिकारी ने भी कई पत्र बीकानेर जिला शिक्षा अधिकारी को भेजकर याचिकाकर्ता का सेवा रिकॉर्ड भेजने को कहा,

लेकिन बीकानेर के शिक्षा अधिकारियों ने कोई कार्यवाही नहीं की. 30 जून, 2018 को याचिकाकर्ता को सेवानिवृत्त कर दिया. मामले में याचिका पेश होने पर राज्य सरकार ने जवाब पेश कर कहा कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति अस्थाई रूप से की गई थी. इस पर अदालत ने राज्य सरकार के जवाब पर नाराजगी जताते हुए मामले को गम्भीर मानते हुए कहा कि बीकानेर के जिला शिक्षा अधिकारी पेश होकर इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण पेश करें.

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां व्यक्ति ने तृतीय श्रेणी शिक्षक के रूप में 28 साल तक बच्चों को पढ़ाया और विभाग ने उसे जून 2018 में सेवानिवृत्त भी कर दिया, लेकिन उसे अस्थाई मानते हुए सेवा परिलाभ और पेंशन जारी नहीं की . मामले में अब हाइकोर्ट ने बीकानेर के प्रारंभिक जिला शिक्षाधिकारी (district education officer of Bikaner) को तीन मई को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अपना स्पष्टीकरण पेश करने को कहा है (Rajasthan High Court ordered ) .

जस्टिस इंद्रजीत सिंह ने यह आदेश दूदू ब्लॉक से 30 जून 2018 को तृतीय श्रेणी शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए रामस्वरूप शर्मा की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति बीकानेर जिले में वर्ष 1990 में हुई थी. विभाग ने उसका न तो स्थायीकरण किया और ना ही उसे चयनित वेतनमान का लाभ दिया. इसके बाद उसका तबादला जयपुर जिले में हो गया. वहीं याचिकाकर्ता ने सेवा में रहते हुए करीब 5 दर्जन अभ्यावेदन विभाग को दिए और जयपुर के जिला शिक्षा अधिकारी ने भी कई पत्र बीकानेर जिला शिक्षा अधिकारी को भेजकर याचिकाकर्ता का सेवा रिकॉर्ड भेजने को कहा,

लेकिन बीकानेर के शिक्षा अधिकारियों ने कोई कार्यवाही नहीं की. 30 जून, 2018 को याचिकाकर्ता को सेवानिवृत्त कर दिया. मामले में याचिका पेश होने पर राज्य सरकार ने जवाब पेश कर कहा कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति अस्थाई रूप से की गई थी. इस पर अदालत ने राज्य सरकार के जवाब पर नाराजगी जताते हुए मामले को गम्भीर मानते हुए कहा कि बीकानेर के जिला शिक्षा अधिकारी पेश होकर इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण पेश करें.

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