जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि गंभीर और सरकार को प्रभावित करने वाले अपराधों के मामले में सजा भुगत रहे अपराधियों को कोरोना के तहत विशेष पैरोल पर रिहा नहीं करने की पाबंदी को असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में दायर याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश नरेंद्र सिंह की अवकाशकालीन खंडपीठ ने यह आदेश मोनू और अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए है.
याचिका में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए जेलों में अपराधियों की संख्या कम करने के लिए सरकार ने पैरोल नियमों में संशोधन करते हुए नियम 10b को जोड़ा. इसके तहत एसिड अटैक, दुष्कर्म, डकैती, हत्या, धारा 4 और धारा 6 से जुड़े पॉक्सो अधिनियम के अपराध, मादक पदार्थ अधिनियम, आर्थिक अपराध, एसीबी अधिनियम, मनी लॉन्ड्रिंग, राष्ट्र विरोधी गतिविधि और विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम के मामले और सीबीआई की ओर से जांचे गए मामलों में शामिल अपराधियों को छोड़कर अन्य अपराधियों को विशेष पैरोल पर रिहा करने का प्रावधान किया गया है.
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कैदियों में इस तरह का भेदभाव करना संविधान के प्रावधान के खिलाफ है. याचिका में कहा गया कि कई गंभीर मामलों में अपराधियों को नियमित पैरोल का लाभ दिया गया है और वे समय पर जेल में वापस भी आ चुके हैं. इसके अलावा याचिकाकर्ताओं सहित अन्य कई कैदियों के चाल-चलन को देखते हुए उन्हें खुली जेल में भेजने का निर्णय भी हो चुका है. इसके बावजूद उन्हें विशेष पैरोल का लाभ नहीं देना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने इसे असंवैधानिक नहीं मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.