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जांच अधिकारी बताएं मदन दिलावर पर राजद्रोह का अपराध कैसे बना- राजस्थान हाइकोर्ट

कोरोना संक्रमण को लेकर एक समुदाय विशेष पर टिप्पणी करने के मामले राजस्थान हाईकोर्ट ने विधायक मदन दिलावर पर दर्ज राजद्रोह के मामले को लेकर जांच अधिकारी को 7 जुलाई को पेश होने के आदेश दिए हैं. साथ ही आरोपों को लेकर रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

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राजद्रोह के मामले पर हाइकोर्ट का आदेश
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Published : Jun 11, 2020, 9:19 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण को लेकर एक समुदाय विशेष पर टिप्पणी करने के मामले में पूर्व मंत्री और विधायक मदन दिलावर पर दर्ज राजद्रोह के मामले को लेकर जांच अधिकारी को 7 जुलाई को पेश होने के आदेश दिए हैं. अदालत ने पूछा है कि मामले में राजद्रोह का अपराध कैसे बना है.

न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश मदन दिलावर की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर लगी रोक को जारी रखा है.

पढ़ेंः राजस्थान हाईकोर्ट ने दिए आदेश, जयपुर में दोनों नगर निगमों में अलग-अलग प्रशासक की हो नियुक्ति

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वह जांच अधिकारी के समक्ष पेश होकर सभी दस्तावेज सौंप चुका है. इन दस्तावेजों से साबित है कि याचिकाकर्ता ने राजद्रोह का अपराध नहीं किया है. याचिकाकर्ता ने जनप्रतिनिधि होने की हैसियत से सिर्फ सरकार की नीतियों की आलोचना की है.

ऐसे में सरकार की आलोचना को राजद्रोह का अपराध नहीं कहा जा सकता है. इस पर अदालत ने जांच अधिकारी को पेश होकर याचिकाकर्ता पर लगाए आरोपों को लेकर रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

पढ़ेंः अगस्त में हो सकते हैं पंचायतों के चौथे चरण के चुनाव

गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण में समाज विशेष को विशेष सुविधाएं देने और कोरोना वॉरियर्स से अभद्रता करने को लेकर कांग्रेसी कार्यकर्ता की ओर से याचिकाकर्ता के खिलाफ कोटा के महावीर नगर थाने में राजद्रोह का मामला दर्ज कराया गया था.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण को लेकर एक समुदाय विशेष पर टिप्पणी करने के मामले में पूर्व मंत्री और विधायक मदन दिलावर पर दर्ज राजद्रोह के मामले को लेकर जांच अधिकारी को 7 जुलाई को पेश होने के आदेश दिए हैं. अदालत ने पूछा है कि मामले में राजद्रोह का अपराध कैसे बना है.

न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश मदन दिलावर की आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर लगी रोक को जारी रखा है.

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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वह जांच अधिकारी के समक्ष पेश होकर सभी दस्तावेज सौंप चुका है. इन दस्तावेजों से साबित है कि याचिकाकर्ता ने राजद्रोह का अपराध नहीं किया है. याचिकाकर्ता ने जनप्रतिनिधि होने की हैसियत से सिर्फ सरकार की नीतियों की आलोचना की है.

ऐसे में सरकार की आलोचना को राजद्रोह का अपराध नहीं कहा जा सकता है. इस पर अदालत ने जांच अधिकारी को पेश होकर याचिकाकर्ता पर लगाए आरोपों को लेकर रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

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गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण में समाज विशेष को विशेष सुविधाएं देने और कोरोना वॉरियर्स से अभद्रता करने को लेकर कांग्रेसी कार्यकर्ता की ओर से याचिकाकर्ता के खिलाफ कोटा के महावीर नगर थाने में राजद्रोह का मामला दर्ज कराया गया था.

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