जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 2 साल की बच्ची की अभिरक्षा से जुड़े मामले में आदेश दिए हैं कि मां अपनी बच्ची के साथ 6 सप्ताह में यूएस के संबंधित न्यायालय में पेश हो, ताकि वहां बच्ची की अभिरक्षा तय की जा सकें. न्यायधीश सबीना और न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश बच्ची के पिता वरुण वर्मा की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मां और बच्ची पर होने वाली समस्त धनराशि याचिकाकर्ता स्वयं वहन करें.
याचिका में अधिवक्ता ओपी मिश्रा ने बताया कि याचिकाकर्ता और यशिता साहू का विवाह 11 जुलाई 2016 को कोटा में हुआ था. इसके बाद दोनों यूएस चले गए. जहां यशिता ने 3 मई 2017 को बच्ची को जन्म दिया. याचिका में कहा गया कि दोनों के बीच वैवाहिक मतभेदों के चलते यशिता ने वहां की स्थानीय कोर्ट में बच्ची की अभिरक्षा स्वयं को दिलाने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया. इस पर कोर्ट ने यशिता की सहमति से अंतरिम आदेश देते हुए बच्ची की अभिरक्षा दोनों को संयुक्त रूप से सौंप दी.
वहीं अदालती आदेश की पालना में यशिता खुद और बच्ची का पासपोर्ट जमा कराने के बजाय बच्ची को लेकर भारत आ गई. याचिका में कहा गया कि यूएस कोर्ट ने पत्नी की याचिका पर उसकी सहमति से ही बच्ची को संयुक्त अभिरक्षा में सौंपा था. ऐसे में उसे वापस भेजा जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मां को बच्ची के साथ 6 सप्ताह में जाकर कोर्ट के समक्ष पेश होने के आदेश दिए हैं.