जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह प्री-प्राइमरी कक्षाओं में आरटीई के तहत प्रवेश को चालू रखे और संबंधित अधिकारी इस संबंध में उचित कार्रवाई (High Court on rte admissions in pre primary classes) करें. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश अभ्यूथानम सोसायटी और स्माइल फॉर आल सोसायटी की जनहित याचिकाओं पर दिए.
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि कोर्ट ने वर्ष 2021-22 में प्रवेश के लिए अंतरिम आदेश जारी किए थे, लेकिन उनकी पालना नहीं हुई. इसके साथ ही राज्य सरकार इस संबंध में 23 अक्टूबर, 2021 को दिए आदेशों के तहत लाभ प्रदान करे. जनहित याचिका में राज्य सरकार की उस पॉलिसी को चुनौती दी गई है जिसके तहत शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्री-प्राइमरी कक्षाओं में आरटीई कानून के तहत बच्चों को प्रवेश देने का अधिकारी नहीं माना था. अभ्युथानम सोसायटी की ओर से अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने कहा कि प्रथम कक्षा से प्रवेश दिए जाने की स्थिति में गरीब व वंचित वर्ग के बच्चे पूर्व में अध्ययनरत बच्चों से पिछड़ जाते हैं. ऐसे में प्रवेश प्री-प्राइमरी कक्षाओं से ही दिया जाना चाहिए.
पढ़ें: प्री प्राइमरी कक्षाओं में आरटीई के तहत प्रवेश नहीं देने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
वहीं स्माइल फॉर आल सोसाइटी की ओर से अधिवक्ता विकास जाखड ने कहा कि आरटीई कानून के तहत प्री-प्राइमरी कक्षाओं में प्रवेश दिया जाता रहा है. इसमें 25 फीसदी सीटों पर प्रवेश लाटरी के जरिए होता है. इसके बदले राज्य सरकार स्कूलों में एक निश्चित राशि का पुनर्भुगतान करती है. सरकार ने 2019-20 सत्र से मनमाने तरीके से नियमों की व्याख्या करते हुए प्रथम कक्षा से प्रवेश देने का फैसला कर (PIL against no admission in Pre Primary classes) लिया. इससे कमजोर वर्ग व गरीब बच्चों का स्कूलों में प्रवेश बाधित हुआ है, जो कानून की मूल भावना के खिलाफ है.