जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने चौमूं तहसील के मौरीजा गांव की चारागाह भूमि पर एफएसटीपी लगाने पर जेडीए आयुक्त, कलेक्टर, चौमूं एसडीओ और जोन उपायुक्त सहित अन्य से जवाब मांगा (Court on FMTP plant in Chomu) है. जस्टिस प्रकाश गुप्ता और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश मंगलचंद सैनी व अन्य की जनहित याचिका पर दिए.
जनहित याचिका में अधिवक्ता धर्मवीर ठोलिया और अधिवक्ता हिमांशु ठोलिया ने बताया कि मौरीजा गांव के खसरा नंबर 1942 पर नगर पालिका एफएसटीपी प्लांट लगाने जा रही है और इसके लिए पट्टा भी जारी किया गया है. जबकि यह चारागाह भूमि है और अब्दुल रहमान के मामले में हाईकोर्ट तय कर चुका है कि ऐसी भूमि को किसी अन्य उद्देश्य के लिए आवंटित नहीं किया जा सकता. इसके अलावा वर्ष 2012 में इस खसरे से सटे खसरा नंबर 1409 पर नगर पालिका मृत जानवर व कचरा डालती थी.
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उस समय हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर 15 दिन में मृत पशु व कचरा हटाने के आदेश देते हुए आबादी से दूर इसके निस्तारण की व्यवस्था करने को कहा था. याचिका में कहा गया कि 10 साल बाद यहां एफएसटीपी प्लांट के लिए पट्टा जारी किया गया है. जिससे यहां अपशिष्ट डाला जाएगा. याचिका में यह भी कहा गया कि दोनों खसरा नंबर की भूमि की सीमा एक ही है. इसके अलावा यहां पास ही पूरा गांव बसा हुआ है. कई स्कूल की संचालित होते हैं.
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स्कूलों के प्रिंसिपल भी बदबू से पढ़ाई में बाधा होने के कारण प्लांट निरस्त कराने के लिए उच्चाधिकारियों को कई बार पत्र लिख चुके हैं. इसके साथ ही पास ही टोडीवाला बांध भी है. इस बांध में जलभराव के लिए राज्य सरकार ने 45 लाख रुपए खर्च किए थे. याचिका में कहा गया कि एफएसटीपी प्लांट के विरोध में स्थानीय निवासी कई दिनों से धरना भी दे रहे हैं. ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए एफएसटीपी को निरस्त किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.