जयपुर. हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा है कि राजस्थान में बिना लाइसेंस डॉग ब्रीडिंग सेंटर्स कैसे चल रहे हैं. जस्टिस प्रकाश गुप्ता और जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश ह्यूमन सेटलमेंट टेक्नोलॉजी सेंटर की जनहित याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता नीरजा खन्ना ने अदालत को बताया कि शहर में करीब अस्सी हजार आवारा कुत्ते घूम रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में कुत्ते के काटने की (Dog Bite Cases in Rajasthan) आठ हजार से अधिक घटनाएं हुई हैं.
यानि रोजना करीब बीस लोगों को कुत्तों ने काटा था, जबकि दूसरी ओर नगर निगम में सिर्फ 518 कुत्तों का की पंजीकरण है. हाल ही में एक बच्चे को पिटबुल नस्ल के कुत्ते ने गंभीर रूप से घायल कर दिया था. याचिका में कहा गया कि देश में दस तरह की नस्ल के कुत्तों को पालने पर पाबंदी लगी हुई है. इस नस्ल के कुत्ते बेहद खूंखार माने जाते हैं. इसके अलावा कई ब्रिडिंग सेंटर (Dog Breeding Centres in Rajasthan) बिना लाइसेंस के चल रहे हैं और यहां खतरनाक कुत्तों की अलग-अलग नस्ल को आपस में क्रॉस ब्रिडिंग करवाकर नई नस्ल पैदा की जा रही है. यह नस्ल इंसान के लिए बेहद खतरनाक साबित होती है.
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याचिका में यह भी कहा गया कि डॉग ब्रीडिंग एंड मार्केटिंग रूल्स, 2017 के तहत ब्रिडर्स के पास उसका लाइसेंस होना जरूरी है. वहीं, आयात नीति, 2016 के तहत व्यावसायिक ब्रिडिंग के लिए कुत्तों के आयात करने पर भी रोक है. याचिका में बताया गया कि कई केमिस्ट शॉप पर एक ही लाईसेंस से इंसानों और पशुओं की दवा बेची जा रही है. वहीं, पैट शॉप नियमों की भी अनदेखी की जा रही है. इसके अलावा ब्रिडर्स अपने फायदे के लिए हर छह माह में कुत्तों की जबरन ब्रिडिंग करवा रहे हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.