जयपुर. सांभर झील में हजारों प्रवासी पक्षियों की मौत के मामले में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि सांभर झील राज्य के वन व पशुपालन विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में नहीं हैं. राज्य सरकार ने यह जवाब न्याय मित्र की ओर से पूर्व में पेश की गई रिपोर्ट के जवाब में दिया.
राज्य सरकार ने न्याय मित्र अधिवक्ता नितिन जैन के उस सुझाव पर सहमति दिखाई. जिसमें पूरी झील और इसके आस-पास के एरिया को फॉरेस्ट लैंड घोषित कर वाईल्ड लाईफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को सौंपने के लिए कहा था. सरकार ने कहा कि उनकी सभी एजेंसियां पूरे समन्वय से बचाव कार्य कर रही है. काचरोड़ा नर्सरी में स्थापित अस्थाई रेस्क्यू सेंटर अच्छा काम कर रहा है. इसके अलावा 25 नवंबर तक झील में 19 हजार 507 पक्षियों की मौत हुई. गहरे पानी से नावों व राफ्ट की सहायता से मृत पक्षियों को निकाला जा रहा है. न्याय मित्र के सुझाव के अनुसार पहले से ही इनफ्टेबल बोट और ड्रोन वीडियोग्राफी से मृत पक्षियों का पता लगाया जा रहा है.
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वन विभाग व पशुपालन विभाग सहित दूसरे सरकारी विभाग एनजीओ के साथ मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन संचालित कर रहे हैं. सुनवाई के दौरान न्याय मित्र ने कहा कि वह सरकार के जवाब पर अपना जवाब पेश करेंगे. अदालत ने मामले की सुनवाई 18 दिसंबर को तय करते हुए सांभर साल्ट लिमिटेड को आगामी सुनवाई पर जवाब देने के लिए कहा. उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मौत के मामले में स्व:प्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर जनहित याचिका दर्ज की थी और राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए मृत पक्षियों को झील से तुरंत बाहर निकालने का निर्देश दिया था.