जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पीड़िता से रिश्वत में अस्मत मांगने के मामले में आरोपी बर्खास्त आरपीएस कैलाश बोहरा को जमानत देने से इनकार कर दिया है. न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने आरोपी को छूट दी है कि वह ट्रायल कोर्ट में पीड़िता के बयान दर्ज होने के बाद दोबारा जमानत याचिका पेश कर सकता है.
जमानत याचिका में कहा गया था कि उसके पास पीड़ित महिला का कोई काम लंबित नहीं था. महिला ने अपने होने वाले पति के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था, जिसमें याचिकाकर्ता की सिफारिश पर पुलिस ने एक महिला को गिरफ्तार भी किया था. ऐसे में यह आरोप लगाना गलत है कि उसने पीड़िता से रिश्वत की मांग की है. गत 14 मार्च को पीड़िता ने याचिकाकर्ता को आधा दर्जन मिस कॉल किए थे. याचिकाकर्ता के पूछने पर पीड़िता ने मुकदमे से जुड़े कुछ दस्तावेज देने की बात कही और एसीबी से मिलीभगत कर उसे मामले में फंसा दिया. इसके अलावा प्रकरण में आरोप पत्र पेश किया जा चुका है, इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए.
वहीं, अतिरिक्त महाधिवक्ता विभूति भूषण शर्मा ने विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने पीड़िता से 50 हजार रुपए लिए और बाद में रिश्वत में अस्मत मांगी. एसीबी के पास उसकी रिकॉर्डिंग भी मौजूद है. ऐसे में उसे जमानत नहीं दी जा सकती. बता दें, पीड़िता ने गत मार्च माह में एसीबी में शिकायत दी थी कि उसने जवाहर सर्किल थाने में एक युवक और अन्य के खिलाफ दुष्कर्म में धोखाधड़ी के तीन मामले दर्ज कराए थे, जिसकी जांच महिला अत्याचार अनुसंधान यूनिट के एसीपी कैलाश बोहरा के पास थी. मुकदमे में कार्रवाई की एवज में बोहरा ने उससे अस्मत मांगी. वहींं, 14 मार्च को बोहरा ने पीड़िता को अपने ऑफिस बुलाकर कमरा बंद कर लिया. इस पर एसीबी ने आकर बोहरा को आपत्तिजनक स्थिति में गिरफ्तार कर लिया.