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Rajasthan High Court: समन्वय कमेटी बताए रामगढ़ बांध को लेकर किन आदेशों की पालना नहीं हुई?

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Published : Jul 4, 2022, 7:54 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने (Rajasthan High Court) रामगढ़ बांध क्षेत्र में अतिक्रमण को लेकर पांच सदसीय समन्वय कमेटी का गठन किया है. कमेटी को 45 दिन में रिपोर्ट तैयार करके पेश करने के लिए कहा गया है.

Rajasthan High Court,  Ramgarh dam
राजस्थान हाईकोर्ट.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रामगढ़ बांध क्षेत्र में अतिक्रमण को लेकर पांच सदस्यीय (coordination committee regarding Ramgarh dam ) समन्वय कमेटी का गठन किया है. अदालत ने कमेटी को कहा है कि वह चार्ट पेश कर बताए कि रामगढ़ बांध को लेकर अब तक हाईकोर्ट ने क्या-क्या आदेश दिए हैं और उनकी पालना में क्या कार्रवाई की गई.

इसके अलावा चार्ट में यह भी बताने को कहा है कि अब तक किन आदेशों की पालना नहीं हो पाई है. अदालत ने कमेटी को इस संबंध में एक माह में बैठक करने के बाद अगले 45 दिनों में यह रिपोर्ट तैयार कर पेश करने को कहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से मामले में अदालती आदेश की पालना में समन्वय कमेटी गठित करने के लिए नाम सुझाए. जिसमें सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के आईएएस समित शर्मा को नोडल ऑफिसर बनाते हुए हैड ऑफ फॉरेस्ट डीएन पांडे, राजस्व विभाग के आरएएस श्याम सिंह शेखावत और जल संसाधन विभाग के सचिव सहित एक अधिवक्ता का नाम सुझाया. इस पर अदालत ने अधिवक्ता की जगह वाटर प्लानिंग के चीफ इंजीनियर रवि सोलंकी को कमेटी में शामिल कर कमेटी गठित की है.

पढ़ेंः World Water Day : रामगढ़ की बदहाली इतिहास के पन्नों में दफन, लाइफ लाइन का योगदान भूल गया जयपुर !

वहीं न्याय मित्र वीरेन्द्र डांगी और अशोक भार्गव की ओर से रिपोर्ट पेश की गई. जिसमें बताया गया कि जमवारामगढ़ के केलाकाबास ग्राम पंचायत के टोडालडी गांव के पास से गुजर रही बाणगंगा नदी में सार्वजनिक निर्माण विभाग सड़क निर्माण करा रहा है. सडक की सुरक्षा के लिए ऊंची दीवार बनाई गई है. जिसके चलते भविष्य में पानी के बहाव में बाधा बन सकती है. इस संबंध में मुख्य सचिव को भी पत्र लिखा गया है. इसके अलावा रामगढ़ बांध तक पानी पहुंचाने वाली बाण गंगा, माधो बेणी और ताला नदी के कुल 111 किलोमीटर के बहाव क्षेत्र में तीन से चार मीटर मिट्टी है. हाईकोर्ट ने मिट्टी काटकर पानी निकास के लिए नाली बनाने को कहा था, लेकिन अभी तक सिर्फ 17 किलोमीटर से ही मिट्टी हटाई गई है. सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मामले में कमेटी गठित कर उसे रिपोर्ट पेश करने को कहा है. बता दें कि रामगढ़ बांध में अतिक्रमण और पानी नहीं पहुंचने के मामले में हाईकोर्ट ने वर्ष 2011 में स्व प्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था. वहीं अदालत वर्ष 2012 में मामले का निस्तारण कर राज्य सरकार और मॉनिटरिंग कमेटी से समय-समय पर पालना रिपोर्ट मांग रही है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रामगढ़ बांध क्षेत्र में अतिक्रमण को लेकर पांच सदस्यीय (coordination committee regarding Ramgarh dam ) समन्वय कमेटी का गठन किया है. अदालत ने कमेटी को कहा है कि वह चार्ट पेश कर बताए कि रामगढ़ बांध को लेकर अब तक हाईकोर्ट ने क्या-क्या आदेश दिए हैं और उनकी पालना में क्या कार्रवाई की गई.

इसके अलावा चार्ट में यह भी बताने को कहा है कि अब तक किन आदेशों की पालना नहीं हो पाई है. अदालत ने कमेटी को इस संबंध में एक माह में बैठक करने के बाद अगले 45 दिनों में यह रिपोर्ट तैयार कर पेश करने को कहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से मामले में अदालती आदेश की पालना में समन्वय कमेटी गठित करने के लिए नाम सुझाए. जिसमें सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के आईएएस समित शर्मा को नोडल ऑफिसर बनाते हुए हैड ऑफ फॉरेस्ट डीएन पांडे, राजस्व विभाग के आरएएस श्याम सिंह शेखावत और जल संसाधन विभाग के सचिव सहित एक अधिवक्ता का नाम सुझाया. इस पर अदालत ने अधिवक्ता की जगह वाटर प्लानिंग के चीफ इंजीनियर रवि सोलंकी को कमेटी में शामिल कर कमेटी गठित की है.

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वहीं न्याय मित्र वीरेन्द्र डांगी और अशोक भार्गव की ओर से रिपोर्ट पेश की गई. जिसमें बताया गया कि जमवारामगढ़ के केलाकाबास ग्राम पंचायत के टोडालडी गांव के पास से गुजर रही बाणगंगा नदी में सार्वजनिक निर्माण विभाग सड़क निर्माण करा रहा है. सडक की सुरक्षा के लिए ऊंची दीवार बनाई गई है. जिसके चलते भविष्य में पानी के बहाव में बाधा बन सकती है. इस संबंध में मुख्य सचिव को भी पत्र लिखा गया है. इसके अलावा रामगढ़ बांध तक पानी पहुंचाने वाली बाण गंगा, माधो बेणी और ताला नदी के कुल 111 किलोमीटर के बहाव क्षेत्र में तीन से चार मीटर मिट्टी है. हाईकोर्ट ने मिट्टी काटकर पानी निकास के लिए नाली बनाने को कहा था, लेकिन अभी तक सिर्फ 17 किलोमीटर से ही मिट्टी हटाई गई है. सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मामले में कमेटी गठित कर उसे रिपोर्ट पेश करने को कहा है. बता दें कि रामगढ़ बांध में अतिक्रमण और पानी नहीं पहुंचने के मामले में हाईकोर्ट ने वर्ष 2011 में स्व प्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था. वहीं अदालत वर्ष 2012 में मामले का निस्तारण कर राज्य सरकार और मॉनिटरिंग कमेटी से समय-समय पर पालना रिपोर्ट मांग रही है.

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