जयपुर. राजस्थान के वकीलों के वेलफेयर फंड में राशि का अंशदान नहीं करने से जुड़े मामले में अदालती आदेश की पालना में बार कौंसिल ऑफ राजस्थान ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र पेश किया है. शपथ पत्र में कहा गया कि पिछले 35 साल में वेलफेयर फंड में करीब 150 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं, लेकिन इस फंड में राज्य सरकार ने सिर्फ 1 करोड़ 50 हजार रुपये का ही अंशदान किया है.
वहीं, जब तक राज्य सरकार से उन्हें फंड नहीं मिलता, तब तक वे नए वकीलों को नियमित स्टाइपेंड नहीं दे सकते. अदालत ने कौंसिल के शपथ पत्र को रिकॉर्ड पर लेते हुए राज्य सरकार से वेलफेयर फंड में अंशदान और नए वकीलों के स्टाइपेंड के संबंध में अपनी मंशा स्पष्ट करने को कहा है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव प्रहलाद शर्मा की जनहित याचिका पर दिए.
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गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने गत सुनवाई को बीसीआर को शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा था कि वेलफेयर फंड में कितनी राशि जमा है और इसमें से राज्य सरकार का अंशदान कितना है. याचिका में अधिवक्ता डॉ. अभिनव शर्मा ने बताया कि वकीलों की सामाजिक सुरक्षा के लिए कोई योजना नहीं है और कल्याण कोष (Bar Council of Rajasthan) केवल खानापूर्ति बनकर रह गया है. वकीलों की सुरक्षा से जुड़ा प्रोटेक्शन बिल भी लागू नहीं हो पाया है. वहीं, राज्य सरकार भी वेलफेयर फंड में नियमित अंशदान नहीं कर रही है. दूसरी ओर नए वकीलों के पास आय का कोई साधन नहीं है. इसलिए उन्हें मासिक मानदेय भी दिया जाना चाहिए.