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सीपी जोशी की ओर से विधायकों को नोटिस दिए जाने के मामले में 14 दिसंबर तक सुनावई टली

राजस्थान हाईकोर्ट ने सचिन पायलट सहित अन्य विधायकों को विधानसभा स्पीकर की ओर से दिए नोटिस के मामले में सुनवाई 14 दिसंबर तक टाल दी है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा ने यह आदेश पीआर मीणा की याचिका में मोहन लाल नामा के प्रार्थना पत्र पर दिए.

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Published : Dec 7, 2020, 9:23 PM IST

Chief Justice Indrajit Mahanti,  Sachin Pilot Notice Case
राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सचिन पायलट सहित अन्य विधायकों को विधानसभा स्पीकर की ओर से दिए नोटिस के मामले में सुनवाई 14 दिसंबर तक टाल दी है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा ने यह आदेश पीआर मीणा की याचिका में मोहन लाल नामा के प्रार्थना पत्र पर दिए.

प्रकरण को आज पहले न्यायाधीश सबीना की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन वादसूची के साथ यह नोट आ गया कि जस्टिस सबीना के समक्ष सूचीबद्ध कुछ अन्य प्रकरणों के साथ इस प्रकरण को मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ सुनेगी. वहीं बाद में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई टाल दी.

पढ़ें- आरएएस भर्ती के साक्षात्कार लेने पर अंतरिम रोक...

मोहनलाल नामा की ओर से अधिवक्ता विमल चौधरी ने प्रार्थना पत्र में कहा है कि यह राजनैतिक मामला था और दोनों की पक्षों के बीच अब विवाद समाप्त हो गया है. ऐसे में लंबित याचिका को खारिज किया गया. प्रार्थना पत्र का जवाब देते हुए एजी ने पूर्व में अदालत को बताया था कि खंडपीठ ने इस मामले को संविधान की अनुसूची दस सहित दो कानूनी बिंदू तय करने के विचारार्थ रखा हुआ है.

ऐसे में जब तक इन कानूनी बिंदुओं पर फैसला नहीं होता, तब तक याचिका का निस्तारण नहीं किया जा सकता. दूसरी ओर स्पीकर के वकील प्रतीक कासलीवाल का कहना है कि उन्हें इस प्रार्थना पत्र की कॉपी नहीं मिली है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सचिन पायलट सहित अन्य विधायकों को विधानसभा स्पीकर की ओर से दिए नोटिस के मामले में सुनवाई 14 दिसंबर तक टाल दी है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा ने यह आदेश पीआर मीणा की याचिका में मोहन लाल नामा के प्रार्थना पत्र पर दिए.

प्रकरण को आज पहले न्यायाधीश सबीना की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन वादसूची के साथ यह नोट आ गया कि जस्टिस सबीना के समक्ष सूचीबद्ध कुछ अन्य प्रकरणों के साथ इस प्रकरण को मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ सुनेगी. वहीं बाद में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई टाल दी.

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मोहनलाल नामा की ओर से अधिवक्ता विमल चौधरी ने प्रार्थना पत्र में कहा है कि यह राजनैतिक मामला था और दोनों की पक्षों के बीच अब विवाद समाप्त हो गया है. ऐसे में लंबित याचिका को खारिज किया गया. प्रार्थना पत्र का जवाब देते हुए एजी ने पूर्व में अदालत को बताया था कि खंडपीठ ने इस मामले को संविधान की अनुसूची दस सहित दो कानूनी बिंदू तय करने के विचारार्थ रखा हुआ है.

ऐसे में जब तक इन कानूनी बिंदुओं पर फैसला नहीं होता, तब तक याचिका का निस्तारण नहीं किया जा सकता. दूसरी ओर स्पीकर के वकील प्रतीक कासलीवाल का कहना है कि उन्हें इस प्रार्थना पत्र की कॉपी नहीं मिली है.

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