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Rajasthan High Court: धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले में गिरफ्तारी पर रोक - राजस्थान लेटेस्ट न्यूज

राजस्थान हाईकोर्ट ने हिंडौन के नई मंडी थाना इलाके में धार्मिक भावनाएं (Rajasthan High Court bans arrest) भड़काने को लेकर दर्ज एफआईआर में आरटीआई कार्यकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.

Rajasthan High Court,  Rajasthan High Court bans arrest
राजस्थान हाईकोर्ट.
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Published : May 20, 2022, 11:47 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हिंडौन के नई मंडी थाना इलाके में धार्मिक भावनाएं भड़काने को लेकर (Rajasthan High Court bans arrest) दर्ज एफआईआर में आरटीआई कार्यकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. साथ ही अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. जस्टिस बीरेन्द्र कुमार की एकलपीठ ने यह आदेश अशोक पाठक की याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि नई मंडी थानाधिकारी गिर्राज प्रसाद ने गत 19 अप्रैल को याचिकाकर्ता के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की थी. एफआईआर में कहा गया कि अशोक पाठक का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह धार्मिक भावनाएं भड़काने की बात कह रहे हैं. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने अपने मन से कोई बात नहीं कही है.

उसने वर्ष 2008 में प्रकाशित एक किताब के अंश पढ़े थे. राज्य सरकार ने इस किताब को बैन नहीं किया है और वह बाजार में आसानी से उपलब्ध है. ऐसे में जब किताब के प्रकाशक और लेखक पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई तो उसे पढ़ने वाले याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज की गई?. इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हिंडौन के नई मंडी थाना इलाके में धार्मिक भावनाएं भड़काने को लेकर (Rajasthan High Court bans arrest) दर्ज एफआईआर में आरटीआई कार्यकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. साथ ही अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. जस्टिस बीरेन्द्र कुमार की एकलपीठ ने यह आदेश अशोक पाठक की याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि नई मंडी थानाधिकारी गिर्राज प्रसाद ने गत 19 अप्रैल को याचिकाकर्ता के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की थी. एफआईआर में कहा गया कि अशोक पाठक का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह धार्मिक भावनाएं भड़काने की बात कह रहे हैं. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने अपने मन से कोई बात नहीं कही है.

उसने वर्ष 2008 में प्रकाशित एक किताब के अंश पढ़े थे. राज्य सरकार ने इस किताब को बैन नहीं किया है और वह बाजार में आसानी से उपलब्ध है. ऐसे में जब किताब के प्रकाशक और लेखक पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई तो उसे पढ़ने वाले याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज की गई?. इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

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