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राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा, दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए क्या है पॉलिसी

राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका पर राज्य सरकार से पूछा है कि गंभीर और दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए राज्य सरकार की क्या पॉलिसी है.

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दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए क्या है पॉलिसी
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Published : Oct 29, 2021, 8:34 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश में दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित मरीजों के इलाज की क्या पॉलिसी और कार्य योजना तय की गई है. वहीं अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि याचिका में बताए गए बच्चों की बीमारी का उचित इलाज और दवाइयां मुहैया कराए. इसके साथ ही राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे कि बच्चे उचित इलाज के अभाव में बीमारी के शिकार न हो.

न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश फरजंद अली की खंडपीठ ने यह आदेश गौचर बीमारी से पीड़ित बच्चों के मामले में जमील की ओर से दायर याचिका पर दिए.
सुनवाई के दौरान अदालत ने केन्द्र सरकार से पूछा कि क्या जोधपुर एम्स में ऐसी दुर्लभ बीमारियों के लिए बुनियादी ढांचा और उचित इलाज की सुविधा मुहैया कराई जा सकती है? इस पर एएसजी आरडी रस्तोगी ने कहा कि वे इस संबंध में केन्द्र सरकार से निर्देश लेकर अदालत को सूचित कर देंगे.

पढ़ें. जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट में 3 नए न्यायाधीशों ने ली शपथ

एएसजी ने बताया कि देशभर में दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए आठ एक्सीलेंस सेंटर हैं. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जेके लोन, जयपुर में मौजूदा संसाधनों के जरिए दुर्लभ बीमारियों का इलाज किया जा रहा है. याचिका में कहा गया कि इन बीमारियों का इलाज बहुत महंगा है. दवाइयां न केवल महंगी हैं, बल्कि इन्हें दूसरे देशों से आयात करना पड़ता है. गौचर बीमारी से पीड़ित बच्चे को हर 15 दिन में एन्जाइम रिप्लसमेंट थैरेपी दी जाती है. जिसका हर बार करीब तीस हजार रुपए खर्च आता है. प्रदेश में करीब इसके दो दर्जन मरीज सामने आ चुके हैं. केन्द्र सरकार भी एक मुश्त बीस लाख रुपए तक ही सहायता देती है. ऐसे में मरीजों का इलाज सुनिश्चित किया जाए.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश में दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित मरीजों के इलाज की क्या पॉलिसी और कार्य योजना तय की गई है. वहीं अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि याचिका में बताए गए बच्चों की बीमारी का उचित इलाज और दवाइयां मुहैया कराए. इसके साथ ही राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे कि बच्चे उचित इलाज के अभाव में बीमारी के शिकार न हो.

न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश फरजंद अली की खंडपीठ ने यह आदेश गौचर बीमारी से पीड़ित बच्चों के मामले में जमील की ओर से दायर याचिका पर दिए.
सुनवाई के दौरान अदालत ने केन्द्र सरकार से पूछा कि क्या जोधपुर एम्स में ऐसी दुर्लभ बीमारियों के लिए बुनियादी ढांचा और उचित इलाज की सुविधा मुहैया कराई जा सकती है? इस पर एएसजी आरडी रस्तोगी ने कहा कि वे इस संबंध में केन्द्र सरकार से निर्देश लेकर अदालत को सूचित कर देंगे.

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एएसजी ने बताया कि देशभर में दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए आठ एक्सीलेंस सेंटर हैं. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जेके लोन, जयपुर में मौजूदा संसाधनों के जरिए दुर्लभ बीमारियों का इलाज किया जा रहा है. याचिका में कहा गया कि इन बीमारियों का इलाज बहुत महंगा है. दवाइयां न केवल महंगी हैं, बल्कि इन्हें दूसरे देशों से आयात करना पड़ता है. गौचर बीमारी से पीड़ित बच्चे को हर 15 दिन में एन्जाइम रिप्लसमेंट थैरेपी दी जाती है. जिसका हर बार करीब तीस हजार रुपए खर्च आता है. प्रदेश में करीब इसके दो दर्जन मरीज सामने आ चुके हैं. केन्द्र सरकार भी एक मुश्त बीस लाख रुपए तक ही सहायता देती है. ऐसे में मरीजों का इलाज सुनिश्चित किया जाए.

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