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Rajasthan High Court: ई- सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री रोकने के लिए क्या कार्रवाई की?

राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को शपथ पत्र पेश करते हुए (Rajasthan High Court asked the government) बताने को कहा है कि ई सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री रोकने और प्रतिबंध करने के लिए क्या कार्रवाई की गई. कोर्ट ने 29 अगस्त को तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

Rajasthan High Court asked the government,  what action was taken to prevent e cigarettes
राजस्थान हाईकोर्ट.
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Published : Aug 3, 2022, 9:03 PM IST

Updated : Aug 4, 2022, 12:03 AM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री को रोकने और उसे प्रतिबंधित करने के लिए क्या कार्रवाई की गई है. वहीं अदालत ने इस संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी को लेकर 29 अगस्त को (what action was taken to prevent e cigarettes) तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने को कहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रियांशा गुप्ता की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

जनहित याचिका में कहा गया कि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2019 में कानून लाकर ई सिगरेट के निर्माण, आयात, बेचान और वितरण आदि पर रोक लगा दी थी. इसके बावजूद प्रदेश में ई सिगरेट आसानी से मिल रही है. शहर के कई इलाकों में नाबालिग खुलेआम इसका सेवन करते नजर आते हैं. जिससे साबित है कि राज्य सरकार कानून के क्रियान्वयन में पूरी तरह फेल हो गई है.

पढ़ेंः राजस्थान में ई-सिगरेट के बाद हुक्का बार पर पाबंदी, सजा और जुर्माने का भी प्रावधान

याचिका में कहा गया की केन्द्र सरकार ने आमजन के स्वास्थ्य और ई सिगरेट से होने वाले नुकसान को देखते हुए यह कानून बनाया था. लेकिन कानून को लागू करने के लिए नियम नहीं बनाने से यह कानून उद्देश्य पाने में विफल हो गया है. याचिका में गुहार की गई है की कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकार को दिशा निर्देश दिए जाएं. इसके अलावा कानून को लागू करने के लिए संबंधित नियम बनाए जाएं. वहीं मामले में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया जाए.Law made to ban e cigarette

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री को रोकने और उसे प्रतिबंधित करने के लिए क्या कार्रवाई की गई है. वहीं अदालत ने इस संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी को लेकर 29 अगस्त को (what action was taken to prevent e cigarettes) तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने को कहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रियांशा गुप्ता की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

जनहित याचिका में कहा गया कि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2019 में कानून लाकर ई सिगरेट के निर्माण, आयात, बेचान और वितरण आदि पर रोक लगा दी थी. इसके बावजूद प्रदेश में ई सिगरेट आसानी से मिल रही है. शहर के कई इलाकों में नाबालिग खुलेआम इसका सेवन करते नजर आते हैं. जिससे साबित है कि राज्य सरकार कानून के क्रियान्वयन में पूरी तरह फेल हो गई है.

पढ़ेंः राजस्थान में ई-सिगरेट के बाद हुक्का बार पर पाबंदी, सजा और जुर्माने का भी प्रावधान

याचिका में कहा गया की केन्द्र सरकार ने आमजन के स्वास्थ्य और ई सिगरेट से होने वाले नुकसान को देखते हुए यह कानून बनाया था. लेकिन कानून को लागू करने के लिए नियम नहीं बनाने से यह कानून उद्देश्य पाने में विफल हो गया है. याचिका में गुहार की गई है की कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकार को दिशा निर्देश दिए जाएं. इसके अलावा कानून को लागू करने के लिए संबंधित नियम बनाए जाएं. वहीं मामले में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया जाए.Law made to ban e cigarette

Last Updated : Aug 4, 2022, 12:03 AM IST
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