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निजी स्कूलों के बच्चों की फीस पुनर्भरण को लेकर HC ने मांगा जवाब - मानव संसाधन विकास मंत्रालय

राजस्थान HC ने गैर सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चे की फीस माफी को लेकर HRD, राज्य के शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने यह नोटिस एक जनहित याचिका पर जारी किया है.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय,  jaipur news
स्कूली बच्चों की फीस माफी पर राजस्थान HC का आदेश
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Published : Aug 6, 2020, 8:21 AM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के गैर सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की शैक्षणिक सत्र 2020-21 की फीस को लेकर मानव संसाधन मंत्रालय, राज्य के शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग को नोटिस जारी किया है. जिसमें 15 सितंबर तक उनसे जवाब तलब किया गया है.

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश शैलेश नाथ सिंह की जनहित याचिका पर दिए हैं. जनहित याचिका में कहा गया कि प्रदेश के 35 हजार गैर सरकारी स्कूलों में करीब 9 लाख शिक्षक और गैर शैक्षणिक कर्मचारी हैं, जो करीब 60 लाख बच्चों को पढ़ा रहे हैं लेकिन कोरोना संक्रमण की मौजूदा परिस्थितियों में इन बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा के अधिकार से वंचित रहने की पूरी संभावना है. ऐसे में राज्य सरकार को विशेष परिस्थितियों के आधार पर फीस का पुनर्भरण करना चाहिए. जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं हो.

याचिका में कहा गया कि बच्चों की शिक्षा के अधिकार की रक्षा करने की जिम्मेदारी राज्य और केंद्र सरकार की है. इसलिए सरकार इस साल सभी गैर सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की फीस का पुनर्भरण करे.

यह भी पढ़ें. बड़ा फैसला: 56 किलो सोने से लाल बहादुर शास्त्री को तोलने की थी तैयारी, अब राज्य के विकास में खर्च होगा पैसा

साथ ही याचिका में यह भी कहा गया कि चाहे अभिभावक फीस देने में असमर्थ हो या स्कूल संचालकों की तरफ से और कोई कारण हो, आखिरकार विद्यार्थी ही शिक्षा के अधिकार से प्रभावित होगा. ऐसे में राज्य सरकार उसकी गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए इस सत्र की फीस का वहन करें. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के गैर सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की शैक्षणिक सत्र 2020-21 की फीस को लेकर मानव संसाधन मंत्रालय, राज्य के शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग को नोटिस जारी किया है. जिसमें 15 सितंबर तक उनसे जवाब तलब किया गया है.

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश शैलेश नाथ सिंह की जनहित याचिका पर दिए हैं. जनहित याचिका में कहा गया कि प्रदेश के 35 हजार गैर सरकारी स्कूलों में करीब 9 लाख शिक्षक और गैर शैक्षणिक कर्मचारी हैं, जो करीब 60 लाख बच्चों को पढ़ा रहे हैं लेकिन कोरोना संक्रमण की मौजूदा परिस्थितियों में इन बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा के अधिकार से वंचित रहने की पूरी संभावना है. ऐसे में राज्य सरकार को विशेष परिस्थितियों के आधार पर फीस का पुनर्भरण करना चाहिए. जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं हो.

याचिका में कहा गया कि बच्चों की शिक्षा के अधिकार की रक्षा करने की जिम्मेदारी राज्य और केंद्र सरकार की है. इसलिए सरकार इस साल सभी गैर सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की फीस का पुनर्भरण करे.

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साथ ही याचिका में यह भी कहा गया कि चाहे अभिभावक फीस देने में असमर्थ हो या स्कूल संचालकों की तरफ से और कोई कारण हो, आखिरकार विद्यार्थी ही शिक्षा के अधिकार से प्रभावित होगा. ऐसे में राज्य सरकार उसकी गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए इस सत्र की फीस का वहन करें. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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