जयपुर. राजस्थान में सियासी घमासान के बीच मंगलवार को अशोक गहलोत ने कैबिनेट की बैठक की. इस बैठक में नया प्रस्ताव तैयार किया गया है. जिसमें 31 जुलाई तक विधानसभा सत्र बुलाने की मांग रखी गई है. वहीं राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि राज्यपाल ने जो तीन सुझाव सरकार को भेजे थे, उनपर काम करना स्पीकर का काम है. ऐसे में तीनों सुझाव प्रासंगिक नहीं है.
राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए सरकार के प्रस्ताव को तीन सुझाव के साथ दोबारा लौटा दिया था. जिसको लेकर मंगलवार को प्रदेश कैबिनेट में एक बार फिर बैठक हुई. 1 सप्ताह में यह तीसरा मौका है जब कैबिनेट की बैठक हुई. बैठक के बाद राज्य सरकार ने गवर्नर को एक बार फिर से 31 जुलाई तक सत्र बुलाने के लिए प्रस्ताव भेज दिया है.
राज्यपाल के विधानसभा सत्र बुलाए जाने के तीनों ऑब्जेक्शन को लेकर भी सरकार साफ तौर पर लिखेगी कि जो शंका राजभवन की ओर से की गई है, उसे पूरा करना स्पीकर का काम है. ऐसे में सरकार इस बारे में कुछ नहीं कर सकती है. मतलब साफ है कि जो टकराव की स्थिति राजस्थान में सरकार और राजभवन के बीच बनी हुई है, वह अभी आगे जारी रहेगी.
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मंत्री हरीश चौधरी ने ईटीवी भारत से खास बात करते हुए कहा कि कैबिनेट की बैठक में जो राज्यपाल ने क्वेरी मांगी थी, उसके अनुसार ही सरकार जवाब देते हुए दोबारा प्रस्ताव राजभवन भेजा गया. वहीं मंत्री ने कहा कि 21 दिन की समयावधि की बात जो की गई है, उसे लेकर हमने हमारा जवाब दे दिया.
राज्यपाल स्पीकर के अधिकार उनके पास रहने दे
उन्होंने कहा कि राज्यपाल संविधान से बंधे हुए हैं और वह संविधान और कानून के अनुसार ही निर्णय लें, यही हमारा कहना है. राज्यपाल जो स्पीकर के अधिकार हैं, वह स्पीकर के पास रहने दे. सरकार और कैबिनेट के अधिकार हैं. वह सरकार और कैबिनेट के पास रहने दें. जो सुप्रीम कोर्ट के जो फैसले हुए हैं, उनको राज्यपाल लागू करें.
चौधरी ने कहा कि कैबिनेट ने 31 जुलाई को विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से साफ यह निर्णय है कि राज्यपाल फॉर्मल हेड हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले में साफ है कि सत्र बुलाने का अधिकार कैबिनेट का है. जो प्रश्न हमसे पूछे जा रहे हैं, वह स्पीकर से पूछे जाने चाहिए. जो व्यवस्थाएं मांगी जा रही है, स्पीकर के अधिकार हैं. कैबिनेट में राजभवन की ओर से भेजी गई तीनों बातों पर चर्चा हुई है.
अन्य राज्य में चल रहा सदन फिर राजस्थान में ही सवाल क्यों
हरीश चौधरी का कहना है कि यह सामान्य नागरिक की समझ से परे है कि 21 दिन में समय अवधि की बात क्यों हो रही है. जबकि यह कैबिनेट का अधिकार है. वोटिंग का पैटर्न क्या होना चाहिए, यह स्पीकर का अधिकार है. तीसरी उन्होंने कोरोना के संबंध में बात कही है तो वह व्यवस्था करना स्पीकर का अधिकार है. यह हमारी कैबिनेट का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में पांडिचेरी में सदन चल रहा है.
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राज्यपाल के गृह राज्य यूपी में और बिहार में भी सदन आहूत हो चुका है तो फिर राजस्थान में ही यह सवाल क्यों खड़ा हो रहा है. यह उनका अधिकार ही नहीं है. यह कैबिनेट का अधिकार है कि वह कितना समय देते हैं. किसी और के अधिकारों में कोई और दखल नहीं कर सकते हैं. जिसको जो अधिकार हैं, वही काम कर रहे हैं.
बागियों को भी घेरा
वहीं पायलट खेमे के विधायकों का राजस्थान सरकार में मौजूद कांग्रेस के विधायक से संपर्क होने की बात पर उन्होंने कहा कि वे खुद ही कह रहे हैं कि कांग्रेसी हैं तो ऐसे में बाड़ेबंदी का सवाल कहां उठता है. एक तरफ तो वे कह रहे हैं कि कांग्रेसी हैं और दूसरी तरफ वह कहते हैं, उनके संपर्क में अन्य विधायक हैं तो यह विरोधाभासी बयान है.