जयपुर. आम लोगों के लिए एक राज्य को तब तक बेहतर नहीं माना जा सकता, जब लोगों को जीवन बसर करने के लिए अथक संघर्ष करना पड़े. बात जब न्याय की आती है, तब यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. लेकिन न्याय आसान नहीं है, इसके लिए लंबा और अथक संघर्ष करना पड़ता है. न्याय देने के मामले में देश में राजस्थान की स्थिति को देखें तो स्थिति पहले के मुकाबले काफी सुधरी है. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान न्याय प्रदान करने में देश में 10वें स्थान पर है, लेकिन हैरानी की बात है कि न्यायालयों में हजारों मामले ऐसे हैं, जो पिछले 30 साल से लंबित चल रहे हैं. देखें ये खास रिपोर्ट...
नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड के आंकडों के अनुसार, राजस्थान हाईकोर्ट समेत अधीनस्थ अदालतों में फिलहाल 1095 मुकदमे पिछले 30 साल से भी ज्यादा समय से लंबित चल रहे हैं. एनजेडीजी के 30 जनवरी, 2021 के आंकडों के अनुसार, प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में 18 लाख 66 हजार 689 मुकदमे लंबित हैं. जबकि, हाईकोर्ट की जोधपुर और जयपुर पीठ में कुल मिलाकर 5 लाख 29 हजार 985 प्रकरण लंबित चल रहे हैं.
अदालती दखल से हुआ जेल सुधार...
जेल सुधार को लेकर अदालती आदेश के बाद प्रदेश में तेजी के काम किया गया. अधिकारियों और कर्मचारियों की भर्ती कर कमी को काफी हद तक दूर करने का प्रयास हुआ. वहीं, जेलों में क्षमता के अनुपात में कैदियों की संख्या को बेहतर कर जेलकर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया गया.
चार पैमानों के आधार पर तैयार रिपोर्ट...
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में न्यायपालिका, पुलिस, जेल व्यवस्था और कानूनी सहायता के पैमानों पर आकलन किया गया है. इनके आधार पर महाराष्ट्र पहले स्थान पर आया है. जबकि,तमिलनाडु को दूसरा स्थान मिला है. प्रदेश को पिछली रिपोर्ट में 14वां स्थान मिला था. वहीं, इस साल इसे चार अंकों की बढ़त के साथ 10वें स्थान पर रखा गया है.