जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में गहलोत और पायलट खेमे (Gehlot and Pilot Camp) के बीच मची खींचतान पर ऊर्जा एवं जलदाय मंत्री बीडी कल्ला (Dr. B. D. Kalla) ने कहा है कि सभी सत्ता में भागीदारी चाहते हैं. हर व्यक्ति की ख्वाहिश होती है. ख्वाहिश के हिसाब से सब अपनी बात रखते हैं. उन्होंने यह दावा भी किया कि राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) मजबूत होगी. बीजेपी में जितना द्वंद्व है, उतना कांग्रेस में नहीं है. गहलोत और सचिन पायलट गुट में तकरार और संगठन की रस्साकशी समेत तमाम सियासी मुद्दों के साथ ही बीडी कल्ला ने अपने विभाग से जुड़े सवालों के भी खुलकर जवाब दिए. उन्होंने दावा किया कि राजस्थान अगले कुछ सालों में 52 हजार मेगावाट बिजली जनरेट करेगा और देश में सोलर ऊर्जा के प्रोडक्शन में नंबर वन बनेगा. ईटीवी भारत के रीजनल न्यूज को-ऑर्डिनेटर सचिन शर्मा की मंत्री बी. डी. कल्ला से खास बातचीत.
सवाल: भारत के किसी भी चुनाव के लिए सबसे बड़ा मुद्दा पानी और बिजली का रहता है. राजस्थान में भी इन्हीं मुद्दों पर कई सरकारें आईं और गईं. करीब ढाई साल से राजस्थान का पानी और बिजली महकमा आपके पास है. क्या राजस्थान इन दोनों ही मामलों में आज आत्मनिर्भर है और भविष्य में यह कहां होगा ?
जवाब: आजादी से पहले पूरे राजस्थान में 13 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता था. हमने ढाई साल में 2200 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया है. अगले 5 सालों में हमारी कोशिश रहेगी कि 30 हजार मेगावाट बिजली केवल सोलर बिजली के रूप में पैदा करना चाहेंगे. हमने एनटीपीसी (NTPC) से 5 हजार मेगावाट सोलर बिजली का एमओयू (MoU) साइन किया है. पांच हजार मेगावाट यूनिट सोलर एनर्जी का एमओयू पाइपलाइन में है. 810 मेगावाट बिजली सोलर एनर्जी के रूप में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के द्वारा उत्पादित की जाएगी. कई प्राइवेट सेक्टर के लोग पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आगे आ रहे हैं. राजस्थान सौर ऊर्जा के बहुत बड़े हब के रूप में डेवलप होगा. बहुत जल्द सूरतगढ़ में 660 मेगावाट का सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट लगाने जा रहे हैं. राजस्थान में बिजली उत्पादन की लागत 5 रुपए प्रति यूनिट आती है, लेकिन किसानों को 90 पैसे प्रति यूनिट बिजली दे रहे हैं. मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि राजस्थान में 5 साल तक बिजली की दरों में बढ़ोतरी नहीं करेंगे. हमने बढ़ोतरी नहीं की है.
सवाल: आजादी के 74 साल बाद आज भी राजस्थान के कई गांवों में पानी और बिजली नहीं हैं. ऐसे में जब राजस्थान में अधिकतर समय तक कांग्रेस की सरकार रही है और अब आपके पास यह जिम्मेदारी है तो आपके पास आगे क्या एक्शन प्लान है ?
जवाब: हमने राजस्व गांव के अलावा लगभग 1 लाख ढाणियों में बिजली पहुंचाई है. सौभाग्य योजना के तहत सर्वे के तहत एक लाख से ऊपर कनेक्शन के लिए केंद्र सरकार को 1242 करोड़ का एस्टीमेट बनाकर भेजा है. इसमें 50 % केंद्र सरकार देगी. 50% पैसा हम लगाएंगे. योजना मंजूर हो जाती है तो बचे हुए मकानों को भी बिजली कनेक्शन देंगे. साल 2024 के अंत तक हर घर में जल कनेक्शन देने की जल जीवन मिशन की योजना है. 2013 से पहले राजस्थान में जो भी योजना बनती थी, उसके लिए केंद्र सरकार डेजर्ट एरिया (रेगिस्तानी इलाके) के लिए शत-प्रतिशत सहायता देती थी. लेकिन अब 45-45 का रेशियो तय किया है. लेकिन वास्तविक धरातल पर देखा जाएगा तो 37-38 प्रतिशत खर्चा केंद्र सरकार वहन करेगी.
सवाल: एक बटन दबाने या एक फोन कॉल करने के साथ ही आवश्यकता पूरी होने वाले आज के जमाने में आज भी राजस्थान में सैकड़ों मील दूर से महिलाएं घरों में पीने का पानी लेकर आती हैं. क्या ऐसे दृश्य आपको विचलित नहीं करते ?
जवाब: निश्चित रूप से ऐसे दृश्य देखने को नहीं मिलेंगे. मुझे पता लगा कि एक गांव में ढाई किलोमीटर दूर से महिलाएं पानी लेकर आती हैं. मैंने एक सप्ताह के अंदर ट्यूबवेल लगवाया. जहां-जहां ऐसी स्थितियों का पता लगता है, उसे ठीक करने की कोशिश करते हैं. दिक्कत यह है कि भू-गर्भ जल ज्यादा नहीं होने से सरफेस वाटर की जरूरत है. भारत सरकार कई बार कहती है कि हम नदियों को जोड़ेंगे. हमने केंद्र सरकार को ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट 37 हजार 200 करोड़ का डीपीआर (DPR) बनाकर भेज दिया है. यदि यह योजना मंजूर हो जाती है तो राजस्थान के पूर्वोत्तर के 12 जिलों और उसके गांवों को सरफेस वाटर मिल सकता है. हमारे यहां जैसलमेर जिला केरल प्रांत के बराबर है. गांवों को जोड़ने के लिए 50-50 किलोमीटर पाइप लाइन डालनी पड़ती है. ऐसी परिस्थितियों में हमने भारत सरकार से विशेष पैकेज देने का आग्रह किया है. आधारभूत ढांचे का विकास करने के लिए बहुत धन की आवश्यकता है.
सवाल: कोरोना के इस काल में सरकार ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कर रही है लेकिन आज भी राजस्थान की कई ढाणियों में बिजली का कनेक्शन नहीं है. कैसे पढ़ाई करेंगे राजस्थान के बच्चे? क्या आपके महकमे की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है ?
जवाब: जहां सीनियर हायर सेकंडरी और मैट्रिक की पढ़ाई है, वहां ऑनलाइन एजुकेशन की सुविधा है और बिजली भी है. केवल सुदूर ढाणियों में सौभाग्य योजना के तहत अप्लाई नहीं करने वालों के यहां बिजली कनेक्शन बाकी है. पूरे राजस्थान में बमुश्किल 1 लाख से ऊपर कनेक्शन बाकी हैं. वो भी सौभाग्य योजना के बाद उन्होंने अप्लाई किए हैं. प्राइमरी और अपर प्राइमरी लेवल के विद्यार्थियों के लिए हमने ऐसे शिक्षक तैयार किए हैं, जो कंप्यूटर के जरिए बच्चों को पढ़ा देते हैं. ढाणियों के स्कूलों में बिजली है. आम उपभोक्ताओं के लिए राजस्थान 24 घंटे बिजली दे रहा है. हम बिजली के मामले में आत्मनिर्भर हैं. रात के वक्त में तो हमारे पास चार-पांच हजार मेगावाट बिजली एक्स्ट्रा रहती है.
सवाल: रेतीले राजस्थान की तपती गर्मी से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में काफी संभावनाएं दिखती हैं. सौर ऊर्जा से बिजली की कमी को पूरा किया जा सकता है. लेकिन अब भी राजस्थान या कहें भारत इस क्षेत्र में काफी पीछे है. इस क्षेत्र में विकास को आप किस तरह से देखते हैं? निवेशकों के लिए इसमें क्या संभावनाएं हैं ?
जवाब: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सौर ऊर्जा नीति और हाइब्रिड एनर्जी पॉलिसी लॉन्च की है. काफी सुविधाएं निवेशकों को दी गई हैं. उन सुविधाओं को देखकर प्राइवेट सेक्टर, ज्वाइंट सेक्टर, पब्लिक सेक्टर आ रहे हैं. हम राजस्थान में 5 साल तक सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली पैदा करेंगे. जैसे ही सेकी का राजस्थान विद्युत उत्पादन लिमिटेड कंपनी का प्रोडक्शन आएगा, हम देश में सोलर ऊर्जा के प्रोडक्शन में नंबर वन होंगे. आने वाले समय में हम 30 हजार मेगावाट बिजली का जनरेशन करेंगे. फिलहाल अंतर्राज्यीय समझौते समेत सभी प्रकार की 22 हजार मेगावाट बिजली हो रही है. भविष्य में अकेले सोलर ऊर्जा से 30 हजार मेगावाट बिजली के साथ 52 हजार मेगावाट बिजली राजस्थान जनरेट करेगा. राजस्थान में 15 जिलों को हमने दिन में बिजली देना शुरू कर दिया है. अगले 2 सालों में तमाम जिलों में यह देखने को मिलेगा.
सवाल: कोरोना काल में विपक्ष पानी और बिजली के बिलों को पूरी तरह से माफ करने की मांग कर रहा है, लोगों के पास रोजगार का संकट है, क्या बिल माफी या राहत की सरकार की ओर से कोई योजना है ?
जवाब: मुख्यमंत्री ने 15 हजार लीटर तक के पानी के बिल माफ कर दिए हैं. बिजली के भी बीपीएल परिवारों से बहुत कम पैसे ले रहे हैं. 150 यूनिट जो बिजली उपभोग करता है, उसे हम सिर्फ साढ़े तीन, पौने चार रुपए में बिजली दे रहे हैं. जब मैंने यह विभाग संभाला था, उस समय हमें 80 हजार करोड़ का घाटा मिला था. हमनें 2.8 प्रतिशत छीजत कम की. एक प्रतिशत छीजत से 350 करोड़ का नुकसान होता है. किसानों की मांग के अनुसार शुरू-शुरू में एक लाख 40 हजार कुओं के लिए कनेक्शन दिए. फिर 70 हजार कनेक्शन दिए. चालू वर्ष में हम 50 हजार कुओं को कनेक्शन देने का लक्ष्य है.
सवाल: 2018 में राहुल गांधी के दो बार हारे नेताओं को टिकट नहीं देने के फॉर्मूले के बाद भी आप अकेले नेता रहे जिनको टिकट दिया गया, न सिर्फ आपको टिकट दिया गया बल्कि किसी और का पहले से घोषित टिकट काटकर आपको टिकट मिला, इसके पीछे कहानी बताइए?
जवाब: कहानी कुछ नहीं है. मेरी लॉयल्टी है. मेरा जब टिकट कटा तो मैंने कहा मैं इंडिपेंडेंट नहीं लड़ूंगा. मैंने नहीं लड़ूंगा ऐसा इशारा किया था, उसको लेकर बीजेपी ने यह हल्ला कह दिया कि ये भारत मां की जय बोलने से मना कर रहा है. एक आदमी को भारत माता की जय बुलवा दिया और मेरी उंगली दिखा दी कि देखो यह मना कर रहा है. मैंने इश्यू बना लिया. मैंने कहा कि भारत माता की जय बोलने से मना किया है तो मुझे वोट मत देना. लेकिन मैं भारत माता के लिए जान दे सकता हूं तो मुझे वोट देना. असत्य बोलने वालों को वोट मत देना. पार्टी में जब मैंने सोनिया गांधी से कहा कि आपने मुझे बराबर टिकट दिया इसके लिए मैं आभारी हूं. आप पार्टी संगठन में मुझे जो जिम्मेदारी देंगे, मैं काम करूंगा. दस जनपथ ने मुझसे पूछा कि मेरा टिकट कैसे कट गया. मैंने कहा कि मैं दो बार चुनाव हार गया. उससे पहले लगातार चुनाव जीत रहा था. लेकिन डिलिमिटेशन में बीजेपी ने मेरी विधानसभा को ऐसा काटा कि मुझे हार मिली. मेरे बहनोई गोपाल कृष्ण जोशी को मेरे सामने खड़ा कर दिया. फिर भी हमारी बीकानेर की जनता साथ थी. पार्टी ने मेरी बात को ध्यान से सुना. मैं चुनाव भी नहीं लड़ता तो भी पार्टी मुझे राज्यसभा में स्थान देती. मैं इतना सीनियर आदमी हूं. मैंने हमेशा वफादारी से पार्टी की सेवा की है. पार्टी ने इसे समझा और मुझे टिकट दिया.
सवाल: करीब 40 साल के राजनीतिक जीवन में आप विवादों से हमेशा दूर रहे, आप पर कभी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे, लेकिन एक आरोप अंदरखाने कुछ लोग आप पर लगाते हैं... कि बीकानेर में कांग्रेस को आप और आपका परिवार जेबी संस्था (आपकी जेब की संस्था) के रूप में चलाते हैं ? आपने वहां कभी पार्टी के सेकंड लाइन कार्यकर्ताओं को पनपने नहीं दिया ? कितनी सच्चाई है इस आरोप में ?
जवाब: मैंने भवानी शंकर शर्मा को यूआईटी का चेयरमेन बनाया. कोटा में रामकिशन, मान सिंह देवड़ा को जोधपुर में, मैंने कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाया. गोपाल जोशी को लूणकरणसर से टिकट दिलाया. मैं जब चुनाव लड़ूंगा तो मेरा स्थान जब खाली होगा, तभी तो दूसरा आदमी आएगा. यशपाल गहलोत को हमने अध्यक्ष बनवाया.
सवाल: ढाई साल से राजस्थान कांग्रेस गृहयुद्ध (गहलोत-पाटलट गुट के चलते) के हालात में है, ऐसे परिस्थिति में 2023 में कांग्रेस किस बूते राजस्थान चुनाव लड़ेगी ?
जवाब: हमारी पार्टी में जो भी लोग हैं, वो हमारे हाईकमान की बात को मानते हैं. हर व्यक्ति की ख्वाहिश होती है. उस ख्वाहिश के हिसाब से सब अपनी बात रखते हैं. लेकिन फिर हाईकमान जो फैसला देता है, वह सभी को मान्य होता है. राजस्थान में गहलोत सरकार अच्छा काम कर रही है. उन्होंने जो शानदार बजट दिया है, उसके आधार पर मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि राजस्थान में फिर कांग्रेस सरकार आएगी. कांग्रेस मजबूत होगी. उसका कारण यह है कि राजस्थान में सड़कों का जाल बिछ रहा है. घर-घर पानी का कनेक्शन, घर-घर बिजली दी जा रही है. एक लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया जा चुका है. कोरोना काल में भी डेवलपमेंट के काम निरंतर जारी हैं.
सवाल: आप भी पीसीसी चीफ रहे हैं तब संगठन दिल्ली से चलता था लेकिन अब ऐसा लगता है कि संगठन अपने स्तर पर ही चल रहा है, लोग प्रदेश स्तर पर ही बंदरबांट करने में लगे हैं. निजी तौर पर पहले और अब में क्या बदलाव महसूस करते हैं आप ? कुछ अपने अनुभव हमसे शेयर कीजिए.
जवाब: हमारे यहां सत्ता का विकेंद्रीकरण रहा है. मैं जब कांग्रेस का अध्यक्ष रहा, तब भी मुझे केंद्रीय नेतृत्व का बहुत सहयोग मिलता था. मुझे याद है कि कांग्रेस की सदस्यता शुल्क का 25 प्रतिशत बीसीसी को देना पड़ता है. 40 प्रतिशत ब्लॉक को और 25 प्रतिशत पीसीसी, बाकी का हिस्सा एआईसीसी को जाता है. ये हिस्सा मैंने सभी को दे दिया तो हमारी नेता सोनिया गांधी ने पूछा कि ये पार्टी कैसे चलाएगा? तब हर महीने हमें 2 लाख रुपए का चेक एआईसीसी से आता था. केंद्र का सहयोग पहले भी मिलता था, अब भी मिलता है. प्रदेश स्तर के काम प्रदेश कांग्रेस कमेटी करती है. एआईसीसी के स्तर के जो भी निर्देश आते हैं, उसकी पालना हम करते हैं. हमारा संगठन बहुत पुराना है. इस संगठन ने देश को आजादी दिलाई है. देश को आत्मनिर्भर बनाया है. कांग्रेस संगठन में हर स्तर पर हर एक की बात सुनी जाती है. उसके बाद हमारा पार्टी नेतृत्व जो निर्णय करता है, उसे हम सभी मानते हैं.
सवाल: सत्ता में रहते हुए गहलोत-पायलट गुट के बीच झगड़ा चल रहा है. कांग्रेस को इससे क्या नुकसान होगा?
जवाब: मैं समझता हूं कि बीजेपी में द्वंद्व जितना है, उतना हमारी पार्टी में नहीं है. हां यह बात निश्चित है कि हर लोग सत्ता में अपनी भागीदारी चाहते हैं. उसके लिए एक कमेटी बनी हुई है. कमेटी सभी से बात कर रही है. उसका समाधान निकल जाएगा. इसकी मुझे पूरी उम्मीद है.