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खिलाड़ियों के लिए दावे बड़े-बड़े लेकिन हकीकत कोसों दूर, प्राइज मनी के लिए भटक रहा है गोल्ड मेडलिस्ट दिव्यांग खिलाड़ी

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Published : Oct 26, 2019, 8:28 PM IST

सरकार खिलाड़ियों को लेकर भले ही बड़े-बड़े दावे करें, लेकिन हकीकत यह कि खिलाड़ी सरकार और क्रीड़ा परिषद के बीच फंसे हैं. जिससे ना तो समय पर प्राइज मनी मिल पा रही है और ना ही सरकारी नौकरी के इंतजाम. अब इन्हीं सब के बीच राजस्थान दिव्यांग पैरालंपिक खिलाड़ी गोल्ड मेडलिस्ट दिव्यांग शिवराज सांखला पिस रहे है.

Gold medalist Shivraj sankhla, गोल्ड मेडलिस्ट दिव्यांग खिलाड़ी

जयपुर. शिवराज सांखला बचपन से पोलियो से पीड़ित हैं. वे पैरों पर खड़ा नहीं हो पाते. लेकिन शारीरिक अक्षमता को उन्होंने जज्बे में बदल दिया. साल 2016 में नेशनल राइफल एसोसिएशन की ओर से पुणे में हुई 60वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता. लेकिन अब वो सरकार और क्रीड़ा परिषद के बीच फंसे है.

एक तरफ जहां राजस्थान सरकार की ओर से हमेशा खिलाड़ियों के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जाती है. न केवल घोषणा बल्कि सरकार खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरी की भी बात करती है, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी खिलाड़ियों और राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रदेश का मान बढ़ाने के बाद भी खाली हाथ रहना पड़ रहा है. यही हालात है मेड़ता के शिवराज सांखला के जो 2016 से अब तक अपनी प्राइज मनी का इंतजार कर रहे हैं.

प्राइज मनी के लिए भटक रहा है गोल्ड मेडलिस्ट दिव्यांग खिलाड़ी शिवराज सांख

पढ़ें- हिम्मत और जज्बे की मिसाल : 10वीं में फेल हुआ...12वीं गणित में लाया 38 नंबर, लेकिन एक जिद थी जिसने बना दिया IPS

शिवराज ने नेशनल में गोल्ड स्टेट में सिल्वर और कई टूर्नामेंटों में गोल जीत रखे हैं, लेकिन दिव्यांग होने के बाद भी जहां वह अपने खेल से लगातार प्रदेश का मान बढ़ा रहे हैं. यह खिलाड़ी अपनी जायज मांग के लिए राजस्थान क्रीड़ा परिषद के चक्कर लगाने पर मजबूर है. शिवराज का कहना है कि साल 2016 से उसकी प्राइस मनी पेंडिंग है. अगर वह मिल जाती तो वह पैरा ओलंपिक में भी जा सकते थे. लेकिन क्रीड़ा परिषद लगातार यह कह रहा है कि अभी उनके पास बजट नहीं है.

पढ़ें- जयपुर कलेक्टर ने बेटी अमिता को दिया दीपावली गिफ्ट, मिठाई खिलाकर पटाखे भी दिए

ऐसे में यह सरकार की गलती है या सचिव की एक खिलाड़ी के तौर पर शिवराज को नहीं पता और उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. शिवराज ने कहा कि ना केवल प्राइज मनी बल्कि सरकारी नौकरी का भी वह लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं कि कब उन्हें सरकारी नौकरी मिले. शिवराज अकेले ऐसे खिलाड़ी नहीं हैं जो इस तरह से प्रताड़ित हैं. ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो प्राइज मनी के लिए सालों से भटक रहे हैं.

जयपुर. शिवराज सांखला बचपन से पोलियो से पीड़ित हैं. वे पैरों पर खड़ा नहीं हो पाते. लेकिन शारीरिक अक्षमता को उन्होंने जज्बे में बदल दिया. साल 2016 में नेशनल राइफल एसोसिएशन की ओर से पुणे में हुई 60वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता. लेकिन अब वो सरकार और क्रीड़ा परिषद के बीच फंसे है.

एक तरफ जहां राजस्थान सरकार की ओर से हमेशा खिलाड़ियों के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जाती है. न केवल घोषणा बल्कि सरकार खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरी की भी बात करती है, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी खिलाड़ियों और राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रदेश का मान बढ़ाने के बाद भी खाली हाथ रहना पड़ रहा है. यही हालात है मेड़ता के शिवराज सांखला के जो 2016 से अब तक अपनी प्राइज मनी का इंतजार कर रहे हैं.

प्राइज मनी के लिए भटक रहा है गोल्ड मेडलिस्ट दिव्यांग खिलाड़ी शिवराज सांख

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शिवराज ने नेशनल में गोल्ड स्टेट में सिल्वर और कई टूर्नामेंटों में गोल जीत रखे हैं, लेकिन दिव्यांग होने के बाद भी जहां वह अपने खेल से लगातार प्रदेश का मान बढ़ा रहे हैं. यह खिलाड़ी अपनी जायज मांग के लिए राजस्थान क्रीड़ा परिषद के चक्कर लगाने पर मजबूर है. शिवराज का कहना है कि साल 2016 से उसकी प्राइस मनी पेंडिंग है. अगर वह मिल जाती तो वह पैरा ओलंपिक में भी जा सकते थे. लेकिन क्रीड़ा परिषद लगातार यह कह रहा है कि अभी उनके पास बजट नहीं है.

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ऐसे में यह सरकार की गलती है या सचिव की एक खिलाड़ी के तौर पर शिवराज को नहीं पता और उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. शिवराज ने कहा कि ना केवल प्राइज मनी बल्कि सरकारी नौकरी का भी वह लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं कि कब उन्हें सरकारी नौकरी मिले. शिवराज अकेले ऐसे खिलाड़ी नहीं हैं जो इस तरह से प्रताड़ित हैं. ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो प्राइज मनी के लिए सालों से भटक रहे हैं.

Intro:सरकार खिलाड़ियों को लेकर भले ही करें बड़े-बड़े दावे लेकिन हकीकत यह कि सरकार और क्रीड़ा परिषद के बीच फंसे हैं खिलाड़ी ना तो मिल पा रही है समय पर प्राइज मनी नाही सरकारी नौकरी के इंतजाम


Body:राजस्थान सरकार की ओर से हमेशा खिलाड़ियों के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जाति है न केवल घोषणा बल्कि सरकार खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरी की भी बात करती है लेकिन हकीकत यह है कि आज भी खिलाड़ियों और राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रदेश का मान बढ़ाने के बाद भी खाली हाथ रहना पड़ रहा है यही हालात है मेड़ता के शिवराज सांखला के जो 2016 से अब तक अपनी प्राइज मनी का इंतजार कर रहे हैं शिवराज ने नेशनल में गोल्ड स्टेट में सिल्वर और कई टूर्नामेंटों में गोल जी रखे हैं लेकिन दिव्यांग होने के बाद भी जहां वह अपने खेल से लगातार प्रदेश का मान बढ़ा रहे हैं लेकिन यह खिलाड़ी अपनी जायज मांग के लिए राजस्थान क्रीड़ा परिषद के चक्कर लगाने पर मजबूर है शिवराज का कहना है कि साल 2016 से उसकी प्राइस मनी पेंडिंग है अगर वह मिल जाती तो वह पैरा ओलंपिक में भी जा सकते थे लेकिन क्रीड़ा परिषद लगातार यह कह रहा है कि अभी उनके पास बजट नहीं है ऐसे में यह सरकार की गलती है या सचिव की गलती है एक खिलाड़ी के तौर पर शिवराज को नहीं पता और उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है शिवराज ने कहा कि न केवल प्राइज मनी बल्कि सरकारी नौकरी का भी वह लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं कि कब उन्हें सरकारी नौकरी मिले शिवराज अकेले ऐसे खिलाड़ी नहीं है जो इस तरह से प्रताड़ित है ऐसे खिलाड़ियों की बड़ी संख्या है जो प्राइज मनी के लिए सालों से भटक रहे हैं
बाइट शिवराज सांखला गोल्ड मेडलिस्ट


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