जयपुर. केंद्रीय बजट आ चुका है, लेकिन राजस्थान की कांग्रेस सरकार के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा को यह बजट कोई खास रास नहीं आया है. खाचरियावास ने कहा कि इस बजट में किसी भी तबके को कुछ नहीं मिला सिवाय धोखे के. उन्होंने कहा कि देश की जनता भाजपा के झूठ, फरेब और धोखे को देख रही है. कर्मचारी, मजदूर और किसान, किसी को इस बजट में कुछ नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि जिस तरीके से धोखा चल रहा है यह ज्यादा दिन चलने वाला नहीं है.
गहलोत के मंत्री ने आगे कहा कि मोदी सरकार की जो साख बनी हुई थी वह जनता के बीच अब खत्म हो रही है. पेट्रोल-डीजल पहले से ही महंगा कर दिया गया था और जिस तरीके से केंद्र सरकार मनमानी कर रही है वह जनता देख रही है. उन्होंने कहा कि हेल्थ सेक्टर में केंद्र सरकार ने जरूर घोषणा की है, लेकिन इसके अलावा भी अन्य सेक्टर के पूरे लोग भी केंद्र से इस बजट में आस लगा रहे थे. वहीं, उन्होंने कहा कि हेल्थ में जरूर घोषणाएं की गई हैं, लेकिन यह घोषणाएं मोदी सरकार की हैं जो कहती जरूर हैं लेकिन करती कुछ नहीं हैं. अब हेल्थ बजट में भी कितना पैसा आता है, यह पता नहीं है. उन्होंने कहा कि वह इस बजट से पूरी तरीके से निराश हैं. जिस आरएसएस और भाजपा ने एफडीआई का सबसे ज्यादा विरोध किया था आज वही फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट बढ़ाने की बात कर रहे हैंं. उन्होंने कहा कि भाजपा की नीयत और नीति में खोट है और वह जो कहते हैं उसका उल्टा करते हैं.
पढ़ें : आम बजट पेश होने से पहले Etv Bharat पर विषय विशेषज्ञों से चर्चा...कैसे आएगी अर्थव्यवस्था में तेजी?
वहीं, निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि इस कठिन परिस्थिति में लोगों को संबल देने के लिए, उन्हें हौसला देने के लिए आम जनता को बजट में लगना चाहिए था कि सरकार उनके साथ खड़ी है, लेकिन जो बजट आया है वह बजट निराशाजनक है. उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटा भी 6.8 फीसदी बता दिया गया है तो प्रदेश को भी किसी तरीके की कोई सहायता नहीं दी गई है. राज्यों को लोन लेने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कहा जा रहा है. संयम लोढ़ा ने कहा कि एफडीआई के नाम पर जिस भारत की पार्लियामेंट को भाजपा के सांसदों ने 45 दिनों तक बंद रखा था, वह अब एलआईसी में एफडीआई को 49 से 74 फीसदी कर रहे हैं. लोगों को उम्मीद थी कि इनकम टैक्स में भी उन्हें इस कोरोना के संकट काल में रियायत मिलेगी, लेकिन लगातार सातवें बजट में जनता को मोदी सरकार ने कोई राहत नहीं दी है.
उन्होंने कहा कि देश के गवर्नमेंट एम्पलाई को चाहे ग्रामीण क्षेत्र के लोग हों या अन्य तबके के लोग, हर तबका ही सोच रहा था कि कोरोना से प्रभावित लोगों को अब राहत मिलेगी. वहीं, नरेगा कोर्ट 100 दिन से डेढ़ सौ दिन किया जाएगा, शहरी रोजगार योजना देंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. ऐसे में भारत सरकार का यह बजट पूरी तरीके से निराशाजनक है. वहीं, हेल्थ के बजट को बढ़ाए जाने पर भी संयम लोढ़ा ने कहा कि यह समय की डिमांड थी. जब राजस्थान सरकार ने सभी एमएलए का पूरा कोटा ही कोविड-19 के लिए दे दिया था तो इसमें केंद्र सरकार को अब कोरोना के लिए अतिरिक्त पैसा देना वैसे भी जरूरी था, लेकिन इसके साथ ही लोगों की मानसिक रूप से अच्छा होना भी आवश्यक है. जिसके लिए उन्हें खाना मिलना चाहिए और रोजगार मिलेगा तभी सही होगा, लेकिन रोजगार को लेकर कोई भी नई योजना केंद्र सरकार ने लागू नहीं की है. संयम लोढ़ा ने कहा कि कोई नया टैक्स केंद्र सरकार ने इसलिए नहीं लगाया, क्योंकि पहले ही लाखों लोग उनके खिलाफ बैठे हैं. वह कोई नया टैक्स लगाते तो जनता सड़कों पर उतर जाती.