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Exclusive : राजस्थान सरकार के मैरिज एक्ट में संशोधन को HC में चुनौती, सारथी ट्रस्ट ने उठाई आवाज - Compulsory registration of marriage

राजस्थान विवाह का अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक 2021 को राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है. बाल विवाह पंजीकरण करने के प्रावधान पर आपत्ति जताकर संवैधानिक वैधता को सारथी ट्रस्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी है.

मैरिज एक्ट में संशोधन को HC में चुनौती
मैरिज एक्ट में संशोधन को HC में चुनौती
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Published : Oct 1, 2021, 6:03 PM IST

Updated : Oct 1, 2021, 6:30 PM IST

जयपुर. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की ओर से विधानसभा में पारित 'राजस्थान विवाह का अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक 2021 को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. बाल विवाह पंजीकरण करने के प्रावधान पर आपत्ति जताकर विधेयक की संवैधानिक वैधता को सारथी ट्रस्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी है.

सारथी ट्रस्ट की ट्रस्टी डॉ. कृति भारती ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि जनहित याचिका के जरिये हाईकोर्ट से बाल विवाह रजिस्ट्रेशन कर राजस्थान को चाइल्ड मैरिज हब बनने से बचाने की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर भ्रमित करने की कोशिश की है.

संशोधन विधेयक के खिलाफ डॉ. कृति भारती ने लगाई जनहित याचिका (भाग 1)

डॉ. कृति भारती ने कहा कि राजस्थान विधानसभा में सरकार ने 17 सितम्बर को राजस्थान विवाह का अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक 2021 पारित किया. इस संशोधन विधेयक में सरकार ने 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लडके के बाल विवाह के बावजूद एक माह में रजिस्ट्रेशन किए जाने का प्रावधान किया है. इस संशोधन के जरिए सरकार ने बाल विवाह की कुप्रथा को पंजीकृत मान्यता देने की कवायद की है, जबकि बाल विवाह संज्ञेय अपराध है. डॉ. कृति भारती ने बताया कि राजस्थान विधानसभा में संशोधन विधेयक पारित हुआ है. विधेयक से राजस्थान के मासूम बच्चे प्रभावित हो रहे हैं, ऐसे में राजस्थान हाईकोर्ट का सुनवाई का प्राथमिक क्षेत्राधिकार है. राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर बेंच में जनहित याचिका पेश की गई है.

पढ़ें- बाल आयोग ने दी विवाह पंजीकरण विधेयक को 'क्लीनचिट', संगीता बेनीवाल ने कहा- बाल विवाह को प्रोत्साहित नहीं करता विधेयक..

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या

याचिकाकर्त्ता सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति भारती ने जनहित याचिका में बताया कि सरकार ने राजस्थान विवाह अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक पारित करने के तर्क में सुप्रीम कोर्ट के 15 साल पुराने वर्ष 2006 के एक आदेश की भी गलत व्याख्या की है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी पूरी तरह से पालना नहीं की गई है. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन कहती है कि सरकार अगर कोई भी संशोधन विधेयक लेकर आती है तो उससे पहले वह एक महीना पब्लिक ऑपिनियन लेगी, किसी भी तरह की आपत्तियों पर चर्चा होगी, सामाजिक संगठनों से बात करेगी. लेकिन इस बिल में सरकार ने किसी तरह से कोई पब्लिक ओपिनियन नहीं ली, न ही सामाजिक संगठनों से इस विषय पर चर्चा की.

संशोधन विधेयक के खिलाफ डॉ. कृति भारती ने लगाई जनहित याचिका (भाग 2)

एक माह गुजारो राजस्थान में, मिलेगा सर्टिफिकेट

डॉ. कृति भारती का कहना है कि बाल विवाह रजिस्ट्रेशन कर पंजीकृत मान्यता देने के दूरगामी परिणाम काफी घातक होंगे. बाल विवाह का सरकारी सर्टिफिकेट लेने के लिए लोग एक माह के लिए राजस्थान में आकर बाल विवाह करवाएंगे. जिससे विश्व में सर्वाधिक बाल विवाह के लिए सालों से बदनाम राजस्थान चाइल्ड मैरिज हब में तब्दील हो जाएगा. इसके अलावा भी जनहित याचिका में कई तथ्य पेश किए गए हैं.

पढ़ें- Explainer : बाल विवाह Yes या No, क्या है राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021..क्यों उठी आपत्तियां, सरकार का क्या है पक्ष

बाल विवाह शून्यकरण की राह होगी कठिन

डॉ. कृति भारती ने जनहित याचिका में बताया कि नए संशोधन के बाद में बाल विवाह शून्यकरण (निरस्त) की राह काफी कठिन हो जाएगी. मासूमों को ताउम्र बाल विवाह का दंश झेलने को विवश होना पडेगा. बता दें कि 100 प्रेरणादायक महिलाओं की सूची में शामिल डॉ. कृति भारती ने देश का पहला बाल विवाह निरस्त करवाकर अनूठी साहसिक पहल की थी. जिसे लिम्का बुक और वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया व सीबीएसई पाठ्यक्रम में भी शामिल किया गया था.

डॉ. कृति ने अब तक 43 जोड़ों के बाल विवाह निरस्त करवाए हैं और 1500 से अधिक बाल विवाह रुकवाए हैं. डॉ. कृति भारती को विद्या बालन अभिनीत शेरनी मूवी की लांचिग में रियल शेरनी टाइटल से नवाजा गया. अमेरिकन चॉकलेट कंपनी हर्शी ने डॉ.कृति भारती को चॉकलेट कवर पर फोटो के साथ स्पेशल एडिशन लांच किया था. यूएसए की टैफेड मैगजीन ने वर्ल्ड टॉप 10 एक्टिविस्ट सूची में शुमार किया हैं. कई राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों से उन्हें नवाजा जा चुका है.

डॉ. कृति का कहना है कि इस संशोधन बिल से राजस्थान फिर से सौ साल पीछे चला जाएगा. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के रोकथाम, शून्यकरण और दंड के प्रावधान पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे. पीड़ित बाल विवाह की बेड़ियों से आजाद नहीं हो पाएंगे.

जयपुर. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की ओर से विधानसभा में पारित 'राजस्थान विवाह का अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक 2021 को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. बाल विवाह पंजीकरण करने के प्रावधान पर आपत्ति जताकर विधेयक की संवैधानिक वैधता को सारथी ट्रस्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी है.

सारथी ट्रस्ट की ट्रस्टी डॉ. कृति भारती ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि जनहित याचिका के जरिये हाईकोर्ट से बाल विवाह रजिस्ट्रेशन कर राजस्थान को चाइल्ड मैरिज हब बनने से बचाने की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर भ्रमित करने की कोशिश की है.

संशोधन विधेयक के खिलाफ डॉ. कृति भारती ने लगाई जनहित याचिका (भाग 1)

डॉ. कृति भारती ने कहा कि राजस्थान विधानसभा में सरकार ने 17 सितम्बर को राजस्थान विवाह का अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक 2021 पारित किया. इस संशोधन विधेयक में सरकार ने 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लडके के बाल विवाह के बावजूद एक माह में रजिस्ट्रेशन किए जाने का प्रावधान किया है. इस संशोधन के जरिए सरकार ने बाल विवाह की कुप्रथा को पंजीकृत मान्यता देने की कवायद की है, जबकि बाल विवाह संज्ञेय अपराध है. डॉ. कृति भारती ने बताया कि राजस्थान विधानसभा में संशोधन विधेयक पारित हुआ है. विधेयक से राजस्थान के मासूम बच्चे प्रभावित हो रहे हैं, ऐसे में राजस्थान हाईकोर्ट का सुनवाई का प्राथमिक क्षेत्राधिकार है. राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर बेंच में जनहित याचिका पेश की गई है.

पढ़ें- बाल आयोग ने दी विवाह पंजीकरण विधेयक को 'क्लीनचिट', संगीता बेनीवाल ने कहा- बाल विवाह को प्रोत्साहित नहीं करता विधेयक..

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या

याचिकाकर्त्ता सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति भारती ने जनहित याचिका में बताया कि सरकार ने राजस्थान विवाह अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक पारित करने के तर्क में सुप्रीम कोर्ट के 15 साल पुराने वर्ष 2006 के एक आदेश की भी गलत व्याख्या की है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी पूरी तरह से पालना नहीं की गई है. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन कहती है कि सरकार अगर कोई भी संशोधन विधेयक लेकर आती है तो उससे पहले वह एक महीना पब्लिक ऑपिनियन लेगी, किसी भी तरह की आपत्तियों पर चर्चा होगी, सामाजिक संगठनों से बात करेगी. लेकिन इस बिल में सरकार ने किसी तरह से कोई पब्लिक ओपिनियन नहीं ली, न ही सामाजिक संगठनों से इस विषय पर चर्चा की.

संशोधन विधेयक के खिलाफ डॉ. कृति भारती ने लगाई जनहित याचिका (भाग 2)

एक माह गुजारो राजस्थान में, मिलेगा सर्टिफिकेट

डॉ. कृति भारती का कहना है कि बाल विवाह रजिस्ट्रेशन कर पंजीकृत मान्यता देने के दूरगामी परिणाम काफी घातक होंगे. बाल विवाह का सरकारी सर्टिफिकेट लेने के लिए लोग एक माह के लिए राजस्थान में आकर बाल विवाह करवाएंगे. जिससे विश्व में सर्वाधिक बाल विवाह के लिए सालों से बदनाम राजस्थान चाइल्ड मैरिज हब में तब्दील हो जाएगा. इसके अलावा भी जनहित याचिका में कई तथ्य पेश किए गए हैं.

पढ़ें- Explainer : बाल विवाह Yes या No, क्या है राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021..क्यों उठी आपत्तियां, सरकार का क्या है पक्ष

बाल विवाह शून्यकरण की राह होगी कठिन

डॉ. कृति भारती ने जनहित याचिका में बताया कि नए संशोधन के बाद में बाल विवाह शून्यकरण (निरस्त) की राह काफी कठिन हो जाएगी. मासूमों को ताउम्र बाल विवाह का दंश झेलने को विवश होना पडेगा. बता दें कि 100 प्रेरणादायक महिलाओं की सूची में शामिल डॉ. कृति भारती ने देश का पहला बाल विवाह निरस्त करवाकर अनूठी साहसिक पहल की थी. जिसे लिम्का बुक और वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया व सीबीएसई पाठ्यक्रम में भी शामिल किया गया था.

डॉ. कृति ने अब तक 43 जोड़ों के बाल विवाह निरस्त करवाए हैं और 1500 से अधिक बाल विवाह रुकवाए हैं. डॉ. कृति भारती को विद्या बालन अभिनीत शेरनी मूवी की लांचिग में रियल शेरनी टाइटल से नवाजा गया. अमेरिकन चॉकलेट कंपनी हर्शी ने डॉ.कृति भारती को चॉकलेट कवर पर फोटो के साथ स्पेशल एडिशन लांच किया था. यूएसए की टैफेड मैगजीन ने वर्ल्ड टॉप 10 एक्टिविस्ट सूची में शुमार किया हैं. कई राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों से उन्हें नवाजा जा चुका है.

डॉ. कृति का कहना है कि इस संशोधन बिल से राजस्थान फिर से सौ साल पीछे चला जाएगा. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के रोकथाम, शून्यकरण और दंड के प्रावधान पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे. पीड़ित बाल विवाह की बेड़ियों से आजाद नहीं हो पाएंगे.

Last Updated : Oct 1, 2021, 6:30 PM IST
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